Peasant Movement Ended : अंतत: खत्म हुआ किसान आंदोलन...

Peasant Movement Ended : अंतत: खत्म हुआ किसान आंदोलन…

Peasant Movement Ended: Farmers movement finally ended...

Peasant Movement Ended

Peasant Movement Ended : एक साल से भी ज्यादा समय तक चले किसान आंदोलन का आखिरकार समापन हो गया। सरकार ने किसान संगठनों की सभी मांगे मान ली। इसके बाद किसानों ने अपना आंदोलन खत्म करने की घोषणा की और अब वे किसान विजय दिवस मनाकर दिल्ली के सभी बार्डरों से अपना तंबू उखाड़कर अपने गांव लौट जाएंगे। बार्डर से तंबू हटाने का काम शुरू भी हो गया है। एक दो दिनों में सभी किसान बार्डर खाली कर अपने अपने घरों के लिए रवाना हो जाएंगे।

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि यह किसानों की बड़ी जीत है अब किसान लौट जाएंगे लेकिन यदि सरकार अपने वादों से मुकरी तो हम फिर आंदोलन पर बाध्य होंगे। बकौल राकेश टिकैत आंदोलन खत्म (Peasant Movement Ended) नहीं हुआ है बल्कि स्थगित किया गया है। बहरहाल किसानों के आंदोलन के खत्म होने के बाद देश की राजधानी नई दिल्ली और एनसीआर के लोगों ने राहत की मिलो लंबी सांस ली है। जो इस आंदोलन के चलते बुरी तरह परेशान हुए थे।

दिल्ली के तीनों बार्डर पर किसान संगठनों ने एक तरह से रास्ता की रोक रखा था। जिसकी वजह से लाखों लोगों को पिछले एक साल से आवागमन में भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा था। आसपास के उद्योग धंधे भी ठप पड़ गए थे जिसकी वजह से लाखों लोगों के सामनो रोजगार का संकट खड़ा हो गया था। अब किसान आंदोलन के खत्म होने के बाद इन सभी लोगों की जिदंगी पटरी पर लौट आएगी।

किसान आंदोलन सफल रहा और सरकार ने अन्यदाता किसानों की प्रमुख मांग न सिर्फ मान ली बल्कि तीनों कृषि कानून संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन रद्द कर दिए। न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित किसान संगठनों की अन्य मांगों पर भी जल्द ही फैसला लेने का किसानों को भरोसा दिलाया है जिसपर किसानों को विश्वास रखना चाहिए। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार किसान संगठनों की अन्य मांगों पर भी यथाशीघ्र उचित निर्णय लेगी।

किसान आंदोलन के स्थगित (Peasant Movement Ended) होने से उन राजनीतिक दलों को जबरदस्त आघात लगा है जो किसानों के कंधों पर बंदूक रखकर सरकार पर निशाना साधते रहे है और किसानों के इस आंदोलन का उत्तर प्रदेश और पंजाब सहित पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में इसका राजनीतिक लाभी उठाने की मंशा पाले हुए थे। ऐसे राजनीतिक दलों को किसान अंादोलन के समाप्त होने से गहरा सदमा लगा है।

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