My Country : मेरा देश भारत महान! लेकिन मैं?

My Country : मेरा देश भारत महान! लेकिन मैं?

My Country My country India is great! but I

My Country

राजीव खंडेलवाल। My Country : भारत मेरी मातृभूमि है। मैं देश का नागरिक हूं। इसलिए बेशक बेहिचक मेरा देश महान है। परन्तु मैं कितना महान हूं? इसी के जवाब में मेरा देश कितना महान है? उत्तर मिल जायेगा। लेकिन इसके पूर्व में ”मैंÓÓ व ‘हमÓ पर कुछ बातें अवश्य आपसे साझा करना चाहता हूं।

प्राय: हम सब दिनचर्या में ‘हमÓ शब्द का प्रयोग ‘मैंÓ की तुलना ज्यादा करते है। जैसे ”हम बदलेगें, युग बदलेगाÓÓ विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आंदोलन गायत्री परिवार का महत्वपूर्ण मूल ‘नाराÓ है। परन्तु हम ”हमारा देश महानÓÓ के बदले ”मेरा देश महानÓÓ प्रयुक्त करते है। ‘हमÓ में ”मैंÓÓ शामिल है, परन्तु हम का मैं स्वयं को छोड़कर दूसरे के ”मैंÓÓ को शामिल कर वह ‘हमÓ को पूरा करता है। इसलिए सार्वजनिक जीवन में मैं छूट जाता है, जिससे व्यक्ति स्वयं को अप्रभावी कर लेता है। क्योंकि व्यक्ति की सामान्यत: प्रवृत्ति यही होती है।

”पर उपदेश कुशल बहुतेरेÓÓ अर्थात पड़ोसी, दूसरे (My Country) से अच्छे व्यवहार, आचरण व कार्य की आशा करते है और इसी आशा में, मैं (स्वयं) को भूल जाते हैं। यह मानकर कि दूसरा तो करेगा ही। अत: यदि ‘मैंÓ सार्थक रूप से जमीन में उतर गया तो वह ‘हमÓ में परिवर्तित हो जाता है। इसीलिए ”मेरा देश महानÓÓ कहा गया है। जो ”मैं+मैंÓÓ ”हमÓÓ बनकर देश को मजबूती प्रदान करेगा। अत: आज के समय की आवश्यकता स्वयं को सुधारने की ही है। ‘मेरा देश महानÓ के कुछ उदाहरण आगे आपके सामने प्रस्तुत है, जिस पर गंभीरता पूर्वक विचार कर मंथन करे कि निम्न घटनाएं मेरे देश को कितना ‘महानÓ बनाती है।

  1. जनसंख्या वृद्धि की वर्तमान दर की चीन से तुलनात्मक रूप से करते हुए भारत 2027 तक विश्व की सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बनने की ओर अग्रसर हो रहा है। बधाई? 2. हमारे देश में 15 न्यूज चेनल ”नम्बर वनÓÓ है। परन्तु सूचना एवं प्रसारण विभाग सोये हुये हैं। 3. 27 मई 2022 को दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में एक कुत्ते को टहलाने के कारण दो आईएएस दंपति (पति-पत्नि) संजीव खिरवार और रिंकू दुग्गा को राष्ट्रीय राजधानी से क्रमश: लद्दाख और अरूणाचल प्रदेश में तबादला कर दिया गया। (नेता से ज्यादा ताकत शायद कुत्ते की? शायद इसी कारण से नेतागिरी में जब इस शब्द के द्वारा महिमा मंडित किया जाता है, तो बुरा नहीं माना जाता है?) 4. स्वतंत्र भारत देश के अभी तक इतिहास में यह पहला मामला है, जब 24 मई 2022 को पंजाब के मुख्यमंत्री ने अपने ही स्वास्थ्य मंत्री विजय सिंगला को भ्रष्टाचार में लिप्त होने पर बचाने के बजाए न केवल पकड़ा, बल्कि उसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाई कर बिना देर किये मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर आपराधिक कार्यवाही कर एफआईआर भी दर्ज की। लेकिन मीडिया में इस तरह की त्वरित, चरित्र निर्माण करने वाली घटना की देशव्यापी चर्चा होने के बजाए, ज्ञानवापी मुद्दा ही मीडिया व जनता के बीच छाया रहा है। आखिर इतना निरीह ‘जनÓ व ‘तंत्रÓक्यों? 5. देश की लगभग 140 करोड़ की जनसंख्या में कोई तो एक बंदा हो, जो गइराई से जड़ जमाती मंहगाई की नींव को खोदने के लिए (जैसा कि धार्मिक स्थलों को खोदने के लिये) उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर दे। या सिर्फ मंदिर-मस्जिदों के लिए ही न्यायालयों में याचिकाएं दायर होती रहेगी? कई महत्वपूर्ण मामलों में स्वयं संज्ञान लेकर न्यायालीन आदेश द्वारा जनता को राहत पहुंचाने वाली उच्चमत न्यायालय उक्त मामले में स्वत: संज्ञान क्यों नहीं ले रहा है जो देश की लगभग 90 प्रतिशत जनता से जुड़ा मामला है।
  2. जेल में (फरवरी 2022) 100 दिनों से ज्यादा बंद महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक वास्तव में नवाब होकर जनता के मालिक है। इसलिए उन पर नैतिकता के कानून की कोई कैंची ही नहीं चलती है। अत: वे बड़े ठाठ बाट से जेल में भी मंत्री बने हुये है। स्वतंत्र भारत के इतिहास की यह पहली अनोखी अंचभित करने वाली घटना है जो संविधान की भावना का साफ-साफ उल्लघंन प्रतीत होता है। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने शायद नैतिकता में पतन की इतने गिरे हुए स्तर की कल्पना स्वयं की ही नहीं थी, इसलिए ऐसी आपातकालीन स्थिति से निपटने का कोई प्रावधान संविधान में रखा ही नहीं गया। क्या देश के समस्त मंत्रियों का आत्म स्वाभीमान मर गया है? जो जेल में रहकर मंत्री के इस्तीफे की दबाव पूर्वक मांग नहीं कर पा रहे है? क्या इस कारण उनके सम्मान पर भी प्रश्नवाचक चिंह नहीं लगता है? क्या वे न्यायालय की शरण नहीं ले रहे है? क्या इससे मंत्रिपद की गरिमा बिल्कुल भी घट नहीं गई है। जिसके गौरवपूर्ण आकर्षण के कारण ही तो राजनेता, मंत्री बनने के लिये मरे जाते है। अभी दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन भी प्रर्वतन निदेशालय (ईडी) ने धन-शोधन निवारण अधिनियम के अंतर्गत गिरफ्तार किया है। परन्तु 24 घंटे बीत जाने के बावजूद न तो उन्होंने इस्तीफा दिया और न ही भ्रष्ट्राचार के विरूद्ध बिगुल बजाने का अकेले दावा करने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने उन्हे बर्खास्त किया है? वैसे 24 घंटे में भ्रष्ट्राचार के आरोप में ”लोक सेवकÓÓ के जेल में बंद रहने पर उन्हे तुरन्त नौकरी से निलम्बित कर दिया जाता है। कई मामले में न्यायालय ने विधायक को लोकसेवक माना है।
  3. आर्यन शाहरूख खान केस (अक्टूबर 2021) के माध्यम से फिल्म इंडस्ट्रीज को बदनाम करने में अधिकतर मीडिया और राजनेताओं के परस्पर आरोप-प्रत्यारोप के बीच आर्यन के खिलाफ कोई सबूत न होकर चार्जशीट में उसका नाम अभियोजन द्वारा शामिल न करना बल्कि यह कहना कि उसने दूसरे लोगो को ड्रग्स लेने से रोका, यह न केवल हास्यादपद स्थिति है बल्कि सातवें आश्चर्य से कम नहीं है। इसी तरह सुशांत सिंह राजपूत आत्महत्या केस में मीडिया ट्रायल कर अभियोगी के हत्या का अपराधी बताकर सजा देने की मांग भी कर दी गई। जबकि प्रकरण में अधिकतम आत्महत्या का मामला का ही निष्कर्ष निकल पाया। आत्महत्या को प्रेरित करने का आरोप (धारा 306) का भी नहीं पाया गया। इस तरह के मीडिया ट्रायल से टीवी चेनल भरे पड़े है।
  4. मई 2022 में दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा की पंजाब पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारी पर दिल्ली पुलिस ने आरोपी के परिवार की शिकायत के आधार पर पंजाब पुलिस के विरूद्ध ही अपहरण का प्रकरण दर्ज कर लिया व दिल्ली पुलिस के कहते पर हरियाणा के कुरुक्षेत्र में पंजाब पुलिस के काफिले को रोक कर आरोपी को पंजाब पुलिस से छुड़वाकर दिल्ली पुलिस को सौंप दिया।
    देश के इतिहास में इस तरह की पहली घटना है।
  5. वर्ष 1967 के बाद से देश में आया-राम गया-राम के चलते कई संयुक्त विधायक दल सरकारो का निर्माण हुआ। परन्तु हद तो तब हो गई, जब हरियाणा की सियासत ने आया-राम गया-राम के दल-बदल के नए आयाम स्थापित करते हुए पूरा का पूरा मंत्रिमंडल का ही दल बदल करवा दिया व जनता पार्टी के मुख्यमंत्री रातोरात बिना इस्तीफा दिये कांग्रेस के मुख्यमंत्री कहलाने लगे।
  6. तमिलनाडु के अरियालुर में 27 नवंबर 1956 को भीषण ट्रेन हादसा हुआ था. हादसे में करीब 142 लोगों की मौत हो गई। लाल बहादुर शास्त्री ने रेल हादसे के बाद नैतिकता के आधार पर तुरंत इस्तीफा देकर वे देश के पहले ऐसे नैतिकता लिये हुए राजनैतिज्ञ मंत्री बनें। यद्यपि इसके बाद नीतीश कुमार ने भी वर्ष 1999 में गैसला ट्रेन हादसे में 290 लोगों की मृत्यु होने के कारण इस्तीफा दिया था। तत्पश्चात् तत्कालीन रेल मंत्रियों सुरेश प्रभु, ममता बनर्जी ने भी रेल हादसों के बाद इस्तीफे की पेशकश की थी, परन्तु नैतिकता का यह आवरण सिर्फ रेल मंत्रालय तक ही सीमित रहा।
  7. सरकार भले ही पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करने में अपनी भूमिका से इनकार करती है। परन्तु दिन प्रतिदिन, हफ्ता-पखवाड़ा डीज़ल-पेट्रोल के मूल्यों में होने वाली वृद्धि ”चुनाव के समयÓÓ बिना किसी रूकावट के पूरी चुनावी अवधि में बिना नागा ”अवकाशÓÓ ले लेती है। यह छुट्टी सरकार ही तो देगी? अंतर्राष्ट्रीय बाजार नहीं? ”आदर्श चुनाव संहिताÓÓ लागू होते ही मूल्य वृद्धि भी ”आदर्शÓÓ दिखने के लिए ”रूकÓÓ जाती रही।
  8. सर्वोच्च न्यायालय ने सीबीआई को सरकारी तोता निरूपित कर दिया है। कोयला ब्लाक आवंटन घोटाले और अन्य मामलों की सीबीआई जांच में केंद्र के हस्तक्षेप पर चिंता जाहिर करते हुए न्यायालय ने कहा कि सीबीआई पिंजरे में बंद ऐसा तोता बन गई है जो अपने मालिक की बोली बोलता है। राजनैतिक हित के लिए सरकार जगह-जगह छापे लगवाती है।
  9. हरियाणा के एक (My Country) आईएएस अधिकारी अशोक खेमका का 30 साल में 54 बार तबादला (ट्रांसफर) किया गया। गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड। जबकि इस अवधि में विपरीत सिंद्धान्तों वाली सरकारें आती जाती रही।
    आइये ”मेरेÓÓ, ”अपनेÓÓ ”हमारेÓÓ, महान देश भारत को महान बनाने में अपना तुच्छ किंतु महान योगदान अवश्य करे।

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