white discharge: शीतपित्त या पित्ती, त्वचा का ऐसा रोग जो सामान्य त्वचा से अधिक लाल या पीले होते..उपचार

white discharge: शीतपित्त या पित्ती, त्वचा का ऐसा रोग जो सामान्य त्वचा से अधिक लाल या पीले होते..उपचार

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white discharge: पित्ती त्वचा का ऐसा रोग है, जो रक्त वाहिकाओं की प्रतिक्रिया से सम्बन्धित है। इसमें त्वचा पर मोटे-मोटे चकत्ते उभर आते हैं, जो सामान्य त्वचा से अधिक लाल या पीले होते हैं। इनमें खुजली होती है तथा ये चकत्ते कुछ समय तक दिखाई देते हैं।

एलर्जी करने वाले तत्व, व्यायाम या शारीरिक श्रम करने के तुरन्त बाद ही, जब शरीर गर्म होता है, ठंडे जल से स्नान करने ने पर भी पित्ती उछल जाती है। आंतों में कीड़ों के पाए जाने तथा ठंडी हवा लगाने से भी पित्ती की उत्तेजिता आमतौर पर देखी जाती हैं। ऐसे रोगों को जुकाम, खांसी, ब्रोंकाइटिस और पेट में गड़बड़ की शिकायतें भी रह सकती हैं। 

शीतपित्त (white discharge) पित्ती का उपचार

  • – 200 ग्राम पानी में 10 ग्राम पोदीना और 20 ग्राम गुड़ उबालकर और छानकर पीते रहने से शीत पित्त या पित्ती को आराम मिलता है।
  • -अजवायन का चूर्ण और गुड़ समान मात्रा में लेकर छ:-छः ग्राम की गोलियां बना लें। प्रातः सायं एक-एक गोली लेने से लाभ होता है। 
  • – देसी घी में सेंधा नमक मिलाकर मालिश करने से पित्ती में आराम मिलता है। हल्दी, मिश्री और शहद मिलाकर चाटने से भी पित्ती शान्त हो जाती है। रोगी को स्नान नहीं करना चाहिए और शरीर को हवा नहीं लगने देनी चाहिए।
  • – बेसन के लड्डुओं में काली मिर्च मिलाकर खाने से पित्त शान्त होती है।

गेहूं के दो चम्मच आटे में एक चम्मच हल्दी और घी मिलाकर हलवा बना लें। पोदीना 5 ग्राम को पीसकर जल में घोलकर सर्दियों में उबालकर छानकर 10 ग्राम चीनी मिलाकर नित्य प्रातः एवं सायं ऐसी दो मात्रा पीने से बार-बार पित्ती उछलना बन्द हो जाती है। अलसी का तेल दो भाग एक शीशी में डालकर ऊपर से कपूर (एक भाग) डालकर शीशी को कार्क से बन्द कर दें।

10-15 मिनट रख देने से दोनों मिलाकर एकरस हो जायंगे। इस तेल की मालिश शरीर पर करें। इससे पित्ती (white discharge) उछलना या एकदम हवा आदि लगने से शरीर में खारिश होना ठीक होती है। नीम के पत्ते तब तक चबाते रहें जब तक कड़वे न लग जायें।

पत्ते कड़वे नहीं लगते। इस रोग के लिए एक बहुत ही प्रचलित घरेलु औषधि हल्दी है। पानी के साथ हल्दी का पाउडर रगड़कर इसका पेष्ट बनाकर दो छोटे चम्मच की मात्रा में दिन में तीन बार रोगी को पिलाने से लाभ होता है। 

इस रोग की चिकित्सा के लिए लाल गेरू या गैरिक भी बहुत प्रचलित औषधि है। जहां तक हो सके, रोगी को नमक से रहित भोजन देना चाहिए। कड़वे स्वाद वाली सब्जियां जैसे करेला और कड़वी सहिजन इस रोग के लिए लाभदायक हैं। प्याज से लहसुन रोगी को पर्याप्त मात्रा में दिया जा सकता है। दहीं व अन्य खटै पदार्थो से परहेज रखना चाहिए।

यह उपाय इंटरनेट के माध्यम से संकलित हैं कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करके ही उपाय करें।

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