Pegasus Spyware: छत्तीसगढ़ में पेगासस का असर.. खौफ…खौफ और खौफ… |

Pegasus Spyware: छत्तीसगढ़ में पेगासस का असर.. खौफ…खौफ और खौफ…

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यशवंत धोटे
रायपुर (नवप्रदेश)। Pegasus Spyware: छत्तीसगढ़ की राजनीति में पैगासस जासूसी कांड का कितना असर हैं यह तो शोध का विषय हैं लेकिन राज्य की नौकरशाही और राजनीतिक गलियारे में फैले खौफ ने एक दूसरे के प्रति जबरदस्त अविश्वास पैदा कर दिया हैं । अब कोई वाट्सएप कालिंग या मोबाइल पर बात करना पसंद नहीं करता, यहा तक कि आईएएस और आईपीएस के अलग-अलग whatsapp group इसी खौफ से निष्क्रिय पड़े है। अब इसमे थैंक्यू, नमस्कार के मीम भर देखे जा सकते है।

वही राजनीति से जुड़े लोग इतने खौफजदा है कि वाट्सएप या मोबाईल पर बात करने से अच्छा मिलकर बात करने की सलाह दे रहे है और एक दो दिन के बाद का एपाईमेन्ट भी दे रहे है। हांलाकि इस कृत्रिम खौफ से हम 19वीं सदी की ओर वापस लौट रहे हैं जब संचार के साधन कम थे।

इसे महज संयोग ही कह सकता है कि जब राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पैगासस (Pegasus Spyware) में एक के बाद एक खुलासे हो रहे थे ठीक उसी समय राज्य में एसीबी और एन्टीकरप्शन ब्यूरो के पूर्व एडीजी जीपी सिंह के यहा छापे पड़ रहे थे और उनके यहा कथित तौर पर इवीएम हैकरो के नंबर से लेकर जो खुलासे हो रहे थे उसके चलते नौकरशाही में न केवल खौफ का माहौल बन गया बल्कि एक दूसरे से फोन पर बात भी नहीं कर रहे है।

जीपी सिंह का मामला खत्म होता उससे पहले राज्य के कददवर मंत्री टीएस सिंहदेव पर उनकी ही पार्टी के विधायक बृह्स्पति सिंह ने हत्या का आरोप लगा दिया। विधानसभा सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पूर्व शुरू हुए इस राजनीतिक घटनाक्रम नें कांग्रेस की राजनीति में भूचाल ला दिया। कांग्र्रेस की सत्ता और संगठन से जुड़े लोग एक दूसरे से फोन पर बात तक नही कर पा रहे थे वही विपक्षी दल इस घटनाक्रम पर चटकारे ले रहे थे।

हालांकि विधानसभा के दो दिन के गतिरोध के बाद मामला तो शान्त हो गया लेकिन सत्ता संगठन में एकदूसरे के प्रति इतना अविश्वास पैदा कर गया कि अब खुलकर बोलना बन्द हो गया है। प्रत्येक शख्स एक दूसरे पर जासूसी का शक कर रहा है। हालांकि पैगासस कांड की आंच छतीसगढ़ तक आ गई हैं सात लोगो के नम्बर ट्रेस हुए है।

लेकिन कोई बड़ा खुलासा नही हुआ है। सामाजिक कार्यकर्ता आलोक शुक्ला का नम्बर भी पैगासस (Pegasus Spyware) की सूची में है। नवप्रदेश से बातचीत में उन्होने कहा कि फोन टेपिंग राज्य सरकारे भी करती रही है और अब पैगासस वाले मसले में केन्द्र सरकार पर आरोप हैं। यह आम आदमी की निजता का हनन तो है ही लेकिन सर्विलांस से खौफ का माहौल हमेशा बना रहता है।

गौरतलब है कि पैगासस की सूची में जिन लोगो के मोबाईल नंबर मिले है उसमें आलोक शुक्ला, शालिनी गैरा, डिग्री प्रसाद, बेला भाटिया, सोनी सोरी, लिंगा कोड़ोपी और शुभ्रान्शु चौधरी हैं।

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