Mahila Meto : पांच महिला मेटो ने बढ़ाई 'आधी आबादी' की भागीदारी

Mahila Meto : पांच महिला मेटो ने बढ़ाई ‘आधी आबादी’ की भागीदारी

Mahila Meto: Five women Meto increased the participation of 'half the population'

Mahila Meto

मेटो का काम कुशलता से अंजाम देने के साथ ही महिलाओं को कर रहीं प्रेरित

रायपुर/नवप्रदेश। Mahila Meto : ‘हर हाथ को काम और काम का वाजिब दाम’ की उक्ति को धरातल पर उतारने वाली मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) देश की ‘आधी आबादी’ को भी आर्थिक मजबूती प्रदान कर रही है। हर हाथ को काम देने का आशय केवल पुरूष मजदूर तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें ऐसे सभी महिला श्रमिक भी शामिल हैं जो काम की इच्छुक हैं और जो काम कर सकती हैं।

देश की ‘आधी आबादी’ यानि महिलाएं मनरेगा में पुरूषों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर रोजगार सृजन कर रही हैं। महिला मेटो (Mahila Meto) की नियुक्ति से कार्यस्थल में उनकी उपस्थिति और भी ज्यादा सुनिश्चित हुई है। मनरेगा कार्यों में महिला मेट नाप से लेकर रिकॉर्ड संधारण का कार्य बखूबी कर रही हैं। वे महिला मजदूरों को प्रोत्साहित भी कर रही हैं। फलस्वरूप अनेक जिलों में कार्यस्थलों में महिला मजदूरों की भागीदारी 50 प्रतिशत से अधिक हो गई है।

Mahila Meto: Five women Meto increased the participation of 'half the population'

बदल दिए घर के हालात

गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर विकासखण्ड मुख्यालय से दस किलोमीटर की दूरी पर सघन वनों के बीच ग्राम पंचायत गुन्डरदेही बसा है। वहां पंजीकृत पांच महिलो मेटों में एक गिरजा साहू भी है। मजदूर परिवार की गिरजा बारहवीं तक शिक्षित है। पहले उनका परिवार पति की रोजी-मजदूरी पर ही निर्भर था। पर अब जब से वह मेट बनी है, अपने परिवार को आर्थिक संबल प्रदान कर रही है। वर्ष 2015 से मेट का काम कर रही गिरजा ने धीरे-धीरे रकम जोड़कर अब कपड़े की एक दुकान भी खोल ली है। आय का अतिरिक्त साधन होने से परिवार की आर्थिक स्थिति अब पहले से काफी बेहतर हो गई है।

दूसरी महिलाओं को कर रही प्रेरित

गिरजा को मेट का काम करते देख गांव की केशरी ध्रुव, मंजू साहू, उर्वशी यादव और त्रिवेणी साहू भी प्रेरित हुईं और मेट का काम सीखकर अब वे भी महिला मेटो के रूप में सेवाएं दे रही हैं। इन लोगों ने मनरेगा के तकनीकी सहायक से खनती की माप एवं मजदूरों का नियोजन सीखने के बाद महिला मेटो (Mahila Meto) के लिए आयोजित प्रशिक्षण में पंजी संधारण एवं दस्तावेजों के रखरखाव का काम भी कुशलता से सीख लिया है। गांव में नवीन तालाब निर्माण, तालाब गहरीकरण, नाला सफाई एवं भूमि सुधार जैसे अनेक कार्यों में मेट के रूप में मजदूरों के कुशल नियोजन के साथ-साथ उन्हें जरूरी दिशा-निर्देश देने, पंजी संधारण तथा मस्टररोल में हाजिरी दर्ज करने जैसे महत्वपूर्ण काम वे कर रही हैं।

महिलाओं की भागीदारी 50% से अधिक

वन क्षेत्र में स्थित होने के कारण गुण्डरदेही में खेती-किसानी का रकबा बहुत कम है। रोजगार के अन्य साधन भी कम संख्या में हैं। वहां मनरेगा कार्यों में महिला श्रमिकों की भागीदारी बढ़ाने में गांव की इन पांचों महिला मेटो का विशेष योगदान है। इनके प्रोत्साहन से पिछले तीन वर्षों में मनरेगा कार्यों में महिला श्रमिकों की भागीदारी 50 प्रतिशत से अधिक रही है। गुन्डरदेही में वर्ष 2018-19 में सृजित कुल मानव दिवस रोजगार में से 55 प्रतिशत, 2019-20 में 56 प्रतिशत और 2020-21 में करीब 54 प्रतिशत महिलाओं द्वारा सृजित किए गए हैं। गांव की महिला मेटो द्वारा आजीविका संवर्धन के कार्यों के प्रति महिलाओं को प्रोत्साहित करने से ही इतनी बड़ी संख्या में महिलाओं को रोजगार देना संभव हो पाया है।

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