Union Budget : सहकारिता क्षेत्र के लिए बूस्टर डोज है केंद्रीय बजट

Union Budget : सहकारिता क्षेत्र के लिए बूस्टर डोज है केंद्रीय बजट

Union Budget: Union Budget is a booster dose for the cooperative sector

Union Budget

ज्योतिंद्र मेहता। Union Budget : सहकारिता क्षेत्र निश्चित रूप से माननीय प्रधानमंत्री का आभारी है क्?योंकि उन्?होंने पिछले कई वर्षों से नजरअंदाज किए जा रहे सहकारिता क्षेत्र का कायाकल्प करने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। हमें ‘सहकार से समृद्धि’ का प्रेरक नारा दिया गया है और यह सुनिश्चित करने के लिए कि इस पर अक्षरश: अमल किया जाए, माननीय प्रधानमंत्री ने स्वतंत्र भारत में पहली बार सहकारिता क्षेत्र के लिए एक अलग मंत्रालय बनाया है और इस मंत्रालय की कमान माननीय अमितभाई को सौंपी है जो हमारे बीच एक सहयोगी के रूप में रहे हैं।

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था तभी तेजी से आगे बढ़ती है जब अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिलता है और फि?र वे अर्थव्यवस्था में अहम योगदान करने में समर्थ हो जाते हैं। नौकरी चाहने वाले लोग आगे चलकर नौकरी देने वाले बन जाते हैं या स्वरोजगार में सक्षम हो जाते हैं। इसे ‘समृद्धिÓ कहा जा सकता है।

भारत में 90 प्रतिशत से भी अधिक रोजगार असंगठित क्षेत्र (Union Budget) ही देता है और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 50 प्रतिशत हिस्?सेदारी असंगठित क्षेत्र की ही है। सहकारिता दरअसल जमीनी स्तर पर उद्यम और उन लोगों के समूह का एक आदर्श रूप है जो व्यक्तिगत तौर पर आर्थिक दृष्टि से इतने समर्थ नहीं होते हैं कि अपने दम पर कोई व्यवसाय शुरू कर सकें। सहकारी समितियों में आर्थिक गतिविधियों के कई क्षेत्रों में प्रवेश करने की क्षमता होती है। ‘सहकार से समृद्धि’ नारे से दरअसल सहकारी समितियों की क्षमता में सरकार का पूरा भरोसा होने का स्?पष्?ट संकेत मिलता है।

इस दिशा में सरकार की गंभीरता इस वर्ष के बजट प्रस्तावों में स्?पष्?ट रूप से नजर आती है, जिसमें काफी मंथन करके सहकारिता क्षेत्र के लिए कुछ अत्?यंत उल्?लेखनीय आवंटन किए गए हैं। सरकार ने नवगठित सहकारिता मंत्रालय के लिए इस वर्ष 900 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जो इससे पहले सहकारिता क्षेत्र के लिए स्वीकृत धनराशि से 3 गुना अधिक है। केंद्रीय योजनाओं के तहत पारदर्शिता, निगरानी में आसानी और उन्हें धनराशि का प्रभावकारी हस्तांतरण सुनिश्चित करने के लिए बजट में बिल्?कुल सही कदम उठाते हुए पीएसी के डिजिटलीकरण को तत्काल प्राथमिकता दी गई है। इस वित्त वर्ष में विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए 350 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। ‘वैमनीकॉम’ को एक अत्?यंत महत्वपूर्ण संस्थान के रूप में मान्यता दिए जाने और इसके साथ ही उसे अपना वार्षिक बजट तय करने की अनुमति मिल जाने से सहकारिता शिक्षा एवं प्रशिक्षण को निश्चित रूप से काफी बढ़ावा मिलेगा।

सहकारी समितियों के लिए बृहद् योजनाओं के अंतर्गत इस वर्ष के बजट में 274 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव दिया गया है। सरकार का यह एक दूरदर्शी निर्णय है, क्योंकि प्रत्येक क्षेत्र की सभी सहकारी समितियों का विकास होगा और वह अधिक प्रभावी होंगी, यदि उन्हें नए क्षेत्रों में विविधता लाने के लिए मार्गदर्शन प्राप्त होगा। इससे सहकारी समितियों को समर्थन प्राप्त होगा जिनकी उन्हें बहुत आवश्यकता है। इस तथ्य को भी रेखांकित किया जाना चाहिए। शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में आरबीआई की मंजूरी प्राप्त कर ली है और राष्ट्रीय सहकारी वित्त एवं विकास निगम (एनसीएफडीसी) में पंजीकरण हो चुका है। सरकार द्वारा इस क्षेत्र के लिए कई निर्णय लिए गए है जिनकी मांग लंबे समय से की जा रही थी। जैसे पीएसी का डिजिटलीकरण, ब्लॉक चेन तकनीक का उपयोग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता ताकि समितियां प्रभावी ढंग से काम कर सकें और उनके पास विश्वसनीय एवं अद्यतन डेटा बैंक हो।

उम्मीद है कि इन पहलों से युवा भी सहकारी समितियों की ओर आकर्षित होंगे। वाओं के लिए सहकारी समितियों के संदर्भ में स्टार्टअप शुरू करने की अपार संभावना है, शर्त यह है कि नियमों को सरल बनाया जाए और कार्य करने को आसान बनाया जाए। इससे अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों एवं ऐसे क्षेत्रों जहां सहकारी समितियों की संख्या बहुत कम है, गठन में मदद मिलेगी। युवाओं के नेतृत्व में सहकारी समितियां सफल होंगी।

सहकारी क्षेत्र के लिए धन की आवश्यकता
वर्तमान में, सहकारी समितियों के पास अपनी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए बहुत सीमित विकल्प उपलब्ध हैं। उनकी मुद्रा बाजार तक पहुंच नहीं है। जैसाकि पहले कहा जा चुका है, सहकारी समिति के गठन और विनियमन के लिए सरल नियम और कानून जरूरी हैं।

नए युग की सहकारी समितियों को युवाओं द्वारा संचालित किए जाने की जरूरत है और हमारे युवा आधुनिक प्रौद्योगिकी को लेकर काफी सहज हैं ताकि सहकारिता का क्षेत्र भी प्रौद्योगिकी और इंटरनेट से संचालित हो सके।सरकार को सहकारी समितियों के आधुनिकीकरण/नए जमाने की सहकारी समितियों के निर्माण की दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए उपयुक्त व्यवस्थाएं और योजनाएं बनानी चाहिए। ऐसा एनसीडीसी के जरिए नए जमाने की सहकारी समितियों को शुरुआती धन प्रदान करने के लिए एक अलग कोष बनाकर किया जा सकता है। यदि सहकारी ऋण गारंटी उपलब्ध हो, तो सहकारी बैंक और अन्य ऋणदाता सहकारी समितियों को ऋण देने में और अधिक उदारता बरतेंगे।

ऋण गारंटी के जरिए सहकारी समितियों का बेहतर वित्त पोषण
यह बिल्कुल स्पष्ट है कि यदि ऋण प्रदान करने वाली संस्था को ऋण जोखिम के संबंध में गारंटी दी जाए, तो वह अधिक जोखिम लेगी और भौतिक रूप से जमानत के लिए कुछ उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में उस पर जोर नहीं देना स्वीकार कर लेगी।

नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी
ऋणदाताओं को कई कार्यक्षेत्रों में क्रेडिट गारंटी (Union Budget) कवर प्रदान की जाती है। भारत में, वित्त मंत्रालय ने नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी नाम की एक संस्था बनाई है जो विभिन्न प्रकार के व्यवसायों को क्रेडिट गारंटी प्रदान करने वाली पांच निधियों (फंडों) के ट्रस्टों को नियंत्रित करती है। इस बात पर ध्यान दिया जा सकता है कि आईबीए के तहत अधिसूचित चंद सहकारी बैंक सदस्यों को छोड़कर किसी भी योजना में पात्र उधार देने वाले संस्थानों (ईएलआई) के रूप में सहकारी बैंक शामिल नहीं हैं। एक फिर से इस सरकार को इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने इस वर्ष सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों के लिए एक योजना, जीटीएमएसई, में गैर-अधिसूचित सहकारी बैंकों को पात्र उधार देने वाले संस्थान (ईएलआई) के रूप में शामिल करने की घोषणा की है।

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