Starvation in India : भारत में भुखमरी की समस्या

Starvation in India : भारत में भुखमरी की समस्या

Starvation in India : The problem of starvation in India

Starvation in India

Starvation in India : आजादी के बाद से कृषि प्रधान भारत ने गरीबों के कल्याण के लिए तामम योजनाएं बनाई जाती रही है। इसके बावजूद सात दशक बीत गए लेकिन न तो गरीबी टस से मस हुई है ना ही भुखमरी की समस्या से देश को मुक्ति मिली है। वैश्विक भुखमरी सूचकांक ने जो ताजा आंकड़े जारी किए है उसके अनुसार दुनिया के सबसे ज्यादा भुखमरी की समस्या से ग्रसित 116 देशों की सूची में भारत जो पिछले साल 94वें स्थान पर था वह इस साल लुढ़कर 101वें स्थान पर आ गया है। भारत में भुखमरी की समस्या को गंभीर माना गया है।

भारत से कहीं अच्छी स्थिति में तो पड़ौसी देश पाकिस्तान (Starvation in India) और बांग्लादेश है। जिनकी अर्थव्यवस्था जर्जर है। इससे स्पष्ट है कि सरकार द्वारा गरीबों के हित में बनाई जा रही योजनाओ का क्रियान्वयन धरातल पर इमानदारी से नहीं हो रहा है। गरीबों के हक का राशन बिचौलिएं हड़प कर रहे हैं। दशकों पूर्व तात्कालीन प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने कहा था कि ग्रामीण गरीब के लिए केन्द्र से चला एक रुपया उन तक पहुंचते तक दस पैसे में तब्दील हो जाता है। लगता है यह स्थिति अभी तक कायम है।

केन्द्र सरकार औैर राज्य सरकारें गरीबों के कल्याण के लिए अनेक योजनाएं बनाती है उनका क्रियान्वयन भी किया जा रहा है लेकिन लगता है कि ये सभी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही है। देश में कोई भी गरीब भूखा ना सोए और बच्चे कुपोषित ना हो इसके लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री खाद्यान योजनाओं के तहत बीपीएल परिवारों को एक व दो रुपए किलो में राशन उपलब्ध कराया जा रहा है और अत्यंत गरीबों को नि:शुल्क राशन दिया जा रहा है।

इसके बावजूद न तो गरीबी ही हट रही है और न ही भुखमरी कम हो रही है। उलटे भुखमरी की समस्या साल दर साल और विकराल होती जा रही है। जो गंभीर ङ्क्षचता का विषय है। निश्चित रूप से खाद्यान वितरण योजना में अनेक खामिया है और गंभीर अनियमितत्ताएं है। इसे दूर करने के लिए कड़े कदम उठाना निहायत जरूरी है। राशन माफियाओं की नाक में नकेल कसने की आवश्यकता है।

ताकि गरीबों का हक कोई बिचौलियां न डकार सके। इसके लिए नई दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने बीपीएल परिवारों के लिए घर पहुंच राशन सेवा की शुरूवात करने की कवायद की थी लेकिन उसे केन्द्र सरकार ने मंजूर नहीं किया। जाहिर है राशन माफिया के दबाव में ही केजरीवाल सरकार की इस अनुकरणीय पहल पर पलिता लगा दिया गया।

होना तो यह चाहिए था कि न सिर्फ नई दिल्ली में बल्कि पूरे देश में बीपीएल परिवारों (Starvation in India) को घर पहुंच राशन सेवा सुलभ कराई जाए। ताकि सत्ता के दलाल उसमें मुंह न मार पाए। जब तक इस तरह की कोई ठोस योजना नहीं बनाई जाएगी। तब तक सार्वजनिक वितरण प्रणाली भ्रष्टाचार की देन चढ़ती रहेगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि भारत के माथे पर चस्पा गरीबी और भुखमरी के कलंक को हटाने के लिए केन्द्र सरकार यथाशिघ्र कारगर कदम उठाएगी।

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