संपादकीय: फारूक अब्दुल्ला का विवादास्पद बयान

संपादकीय: फारूक अब्दुल्ला का विवादास्पद बयान

Editorial: Farooq Abdullah's controversial statement

Farooq Abdullah's controversial statement

Farooq Abdullah’s controversial statement: जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ फारूक अब्दुुल्ला और महबूबा मुफ्ती लगातार विवादास्पद बयानबाजी कर रहे हैं। जबसे जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 का खात्मा हुआ है। तबसे उनकी राजनीतिक दुकानदारी बंद होने का खतरा पैदा हो गया है। यही वजह है कि बौखलाहट में जब तब विवादास्पद बयानबाजी करते रहते हैं और पाकिस्तान की भाषा बोलते रहते हैं। नेशनल कांफ्रेंस के सांसद और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ फारूक अब्दुल्ला ने एक बार फिर पाकिस्तान के साथ बातचीत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा है कि भारत को पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी चाहिए।

जिसमें पहले ही बहुत देर हो चुकी है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कथन का उल्लेख किया है कि हम दोस्त बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं बदल सकते इसलिए हमें पड़ोसियों के साथ दोस्ताना तालुकात रखना चाहिए। डॉ अब्दुल्ला ने यह विवादास्पद बयान भी दिया है कि यदि हम कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के साथ वार्ता नहीं करेंगे तो हमारा भी हाल गाजा और फिलिस्तीन की तरह हो जायेगा डॉ अब्दुल्ला के मुताबिक पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ जो फिर से प्रधानमंत्री बनने वाले हैं।

वे भी भारत के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन भारत बातचीत में रूचि नहीं ले रहा है। डॉ अब्दुल्ला को यह बात समझ में नहीं आ रही है कि भारत ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान के साथ उस समय तक कोई भी बातचीत नहीं की जाएगी जब तक वह आतंकवाद का रास्ता नहीं छोड़ देता। पाक अपने नापाक इरादों से तौबा करने के लिए तैयार ही नहीं है। कश्मीर घाटी में आतंकवाद की आग को हवा देने में पाकिस्तान लगा हुआ है। हाल ही में पाकिस्तान की शह पर ही पुंछ सेक्टर में भारतीय सेना के काफिले पर आतंकवादियों ने हमला किया था। इसमें हमारे पांच जवान शहीद हो गए।

ऐसे समय में जब की सारा देश जवानों की शहादत का बदला लेने की मांग कर रहा है। तब डॉ अब्दुल्ला पाकिस्तान के साथ बातचीत की पैरोकारी कर रहे हैं। डॉ अब्दुल्ला हों या महबूबा मुफ्ती उन्हें बात भलीभांति समझ लेनी चाहिए की पाकिस्तान के साथ कश्मीर मुद्दे पर तो बातचीत की ही नहीं जाएगी। क्योंकि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था आज भी है और कयामत तक रहेगा इसलिए डॉ अब्दुल्ला को पाकिस्तान की भाषा नहीं बोलना चाहिए। जम्मू कश्मीर में 370 के खात्में के बाद से आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही तेज हुई है और अब वहां अमन और चैन कायम हो रहा है।

साथ ही जम्मू कश्मीर व लद्दाख में प्रगति की रफ्तार तेज हो रही है। जिससे वहां के लोगों में खुशहाली देखी जा रह है जो डॉ अब्दुल्ला जैसे नेताओं को फूटी आंख नही सुहा रही है। जम्मू कश्मीर को अपने बाप की जागिर समझाने वाले डॉ अब्दुल्ला जैसे नेताओं को यह डर सता रहा है कि 370 के समाप्त हो जाने से उनकी राजनीति भी समाप्त हो रही है। जबकी ऐसा कतई नहीं है। जम्मू कश्मीर में संभवतय लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव भी कराए जा सकते है यदि ऐसा नहीं हुआ तो भी बहुत जल्द जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए केन्द्र सरकार वचनबद्ध है इसलिए डॉ. अब्दुल्ला को पाकिस्तानी राग अलापना छोड़कर जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव लडऩे की तैयारी करनी चाहिए यदि उन्हें राजनीति करनी है तो वे पाकिस्तान की वकालत करना बंद कर दें।

अन्यथा उनकी राजनीतिक दुकानदारी बंद होना तय है। डॉ अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं को इस तरह की विवादास्पद बयानबाजी से भले ही मीडिया में सुर्खियां मिल जाती हो लेकिन इससे वे जम्मू कश्मीर के लोगों के दिल मेें जगह नहीं बना पाएंगे क्योंकि वहां के बाशिंदे समझ चुके हैं कि 370 हटने के बाद से जम्मू कश्मीर के विकास के लिए नए दरवाजे खुले हंै और उन्हें विकास का लाभ भी मिल रहा है।

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