गार्डन बनेगा कमार्ई का जरिया…कैसे ? मेंटेंनस अब निजी कंपनी के हवाले

गार्डन बनेगा कमार्ई का जरिया…कैसे ? मेंटेंनस अब निजी कंपनी के हवाले

Saamaany sabha : 5 प्रतिशत हिस्सेदारी देकर कर सकते हैं दुकानदारी

रायपुर/नवप्रदेश। Saamaany sabha : रायपुर नगर निगम की सामान्य सभा में एमआईसी ने कुल 21 एजेंडे दिए थे। जिसमें शुक्रवार को हुई सामान्य सभा में 19 एजेंडे को प्रस्ताव के लिए रखा गया था। 14 प्रस्तावों पर समुचित समाधान हुआ जबकि 5 प्रस्ताव पेंडिंग है, जिसे आगामी 27 जुलाई को एक बार फिर सामान्य सभा में चर्चा के बाद निर्णय लिया जाएगा।

बैठक में अनेक अहम मुद्दों पर एकराय होकर निर्णय लिया, हालांकि इस दौरान विपक्ष ने विरोध जरूर किया था, लेकिन बहुत कम बहुमत के कारण वह प्रस्ताव पास हो गया। इसमें सबसे जरूरी शहर के गार्डनों का मेंटेंनस को लेकर था। दरअसल, शहर में सौ से अधिक गार्डन है, जिसके रख-रखाव में लाखों रूपए खर्च किया जाता है।

5% की हिस्सेदारी पर स्टॉल लगाने की अनुमति

इन उद्यानों की उचित देखभाल के लिए निगम को राजस्व की आवश्यकता होती है, लेकिन निगम (Saamaany sabha) अलग से आय कहां से लाता है, इसलिए आम बैठक में यह निर्णय लिया गया कि वर्तमान में प्रयोग के रूप में व्हाइट हाउस के सामने के बगीचे को 5% की हिस्सेदारी पर स्टॉल लगाने की अनुमति देगा। यह काम निगम खुद नहीं करेगा, बल्कि 5 साल के लिए इसे निजी हाथों में सौंपने का फैसला किया, ताकि निगम को राजस्व मिले। शुक्रवार को बड़ी बहुमत से ये प्रस्ताव पास हुआ है। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया कि शहर के शहर के 80 गार्डनों में पांच-पांच फीसदी की हिस्सादारी से छोटे-बड़े व्यावसाय करने वाले को दिया जाएगा।

निगम को होगा 2 लाख सालाना आय

वैसे तो शहर भर में सैकड़ों उद्यान हैं, जिनमें से नगर निगम को न्यूनतम वार्षिक लाइसेंस शुल्क दो लाख रुपये प्रति उद्यान मिलेगा। निजी कंपनी जोड़ने से बगीचों की देखभाल भी होगी और लोगों को रोजगार भी मिलेगा। यहां निजी कंपनी गुमटी बनाएगी, जिसमें गुपचुप, चाट-भेल, चाउमिन, जूस, वेज-नॉन फूड समेत कई तरह की स्टॉल लगाए जा सकेंगेस्टेज इवेंट भी कर सकेंगे, इसके लिए एजेंसी को विज्ञापन देने का भी अधिकार होगा।

नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे का तर्क

आम सभा की बैठक (Saamaany sabha) में भाजपा पार्षद और विपक्ष की नेता मीनल चौबे ने इसका कड़ा विरोध किया. उनका तर्क था कि पालिका बाजार योजना में चाट, गुप्त जैसे व्यापारिक प्रतिष्ठान से बगीचे की मर्यादा नष्ट हो जाएगी। सप्ताहांत में परिवार बगीचे में घूमने आते हैं, लेकिन व्यावसायिक प्रतिष्ठान के कारण भीड़ बढ़ेगी। लोग परिवार लेकर आने में करताएंगे। माहौल खराब होगा। यह बगीचे के महत्व और संरचना को खराब कर देगा। इसलिए बगीचे में व्यावसायिक गतिविधियां शुरू नहीं करनी चाहिए।

कुछेक पार्षदों ने विरोध में दिए ये तर्क

  • मृत्युंजय दुबे : वातावरण दूषित होगा, बदबू फैलेगी। गंदगी होगी तथा शांति भी भंग होगी, लोग परिवार के साथ गार्डन नहीं जा सकेंगे।

  • सरिता दुबे : गार्डन में व्यावसायिक गतिविधियों का संचालन के लिए क्या एनजीटी की अनुमति ली गई है? ऐसा करना बेहद जरूरी है।

  • मनोज वर्मा : चाट-गुपचुप ठेलों से अतिक्रमण शुरू होता है, फिर लाइन से दुकानें बन जाती हैं। अब गार्डनों में भी ऐसा होने लगेगा। तुंहर सरकार तुंहर द्वार में मिले आवेदन से लेकर मांगी खर्च की जानकारी।

विपक्ष के पास सवालों की थी भरमार

लंबे समय बाद हुई आम बैठक के कारण विपक्ष के पास सवालों की भरमार थी। कई मुद्दों पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के पार्षदों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का लंबा दौर चला। भाजपा पार्षद प्रमोद साहू, मृत्युंजय दुबे और सरिता दुबे ने तुंहर सरकार तुंहर में प्राप्त आवेदनों, निवारण और पूरे कार्यक्रम पर होने वाले खर्च की जानकारी मांगी ।

एमआईसी सदस्य ज्ञानेश शर्मा ने बताया कि 70 वार्डों में 37523 आवेदन प्राप्त हुए. इसमें 31779 का निराकरण किया गया। सूर्यकांत राठौर ने सफाई कंपनी का हिसाब मांगा। स्वास्थ्य विभाग के अध्यक्ष नागभूषण राव यादव ने कहा कि 351072 घरों और दुकानों से घर-घर जाकर कचरा संग्रहण किया जा रहा है।

महापौर ने कहा-आत्मनिर्भर होंगे गार्डन

मेयर एजाज ढेबर ने कहा कि शहर में 189 गार्डन हैं। इनमें से 80 गार्डन पूरी तरह सुसजिज्त है। मेंटनेंस भी हो रहा है, जिसका खर्च लाखों में है। शेष गार्डनों को भी व्यवस्थित करना है, लेकिन खर्च के कारण ऐसा नहीं हो पा रहा है। इस स्कीम से गार्डन आत्मनिर्भर होंगे, यानी मेंटेनेंस का खर्च निकलेगा। उद्यानिकी विभाग के अध्यक्ष सुरेश चन्नावार ने कहा कि गार्डन का सिर्फ 5 प्रतिशत हिस्सा लेंगे, उसी में यह गतिविधियां होंगी।

महापौर एजाज ढेबर ने कहा कि शहर विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा और सुझाव के लिए वे दोनों दलों के पांच-पांच पार्षदों की एक टीम बनाना चाहते हैं। इसका एकमात्र कारण यही है कि शहर का विकास होना चाहिए।

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