Raipur Golbazar : Ex Minister का Nagar Nigam पर आरोपों की बौछार |

Raipur Golbazar : Ex Minister का Nagar Nigam पर आरोपों की बौछार

Raipur Golbazar: A barrage of allegations on Nagar Nigam of Ex Minister

Raipur Golbazar

रायपुर/नवप्रदेश। Raipur Golbazar : भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने गोल बाजार के व्यवसायियों से मालिकाना देने के नाम पर मनमानी वसूली का विरोध करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार कोरोना की मार व आर्थिक परेशानी झेल रहे गरीब, छोटे-छोटे व्यापारियों से मनमानी वसूली का नगर निगम का प्रयास किसी स्थिति में बर्दास्त नही किया जाएगा। व्यापारियों के ऊपर थोपा जा रहा विकास शुल्क व निर्माण शुल्क पूरी तरह माफ किया जाना चाहिए।

बेचने के धंधे में लगा नगर निगम

अग्रवाल ने कहा कि गोल बाजार 125 साल पुराना ऐतिहासिक धरोहर है, नगर निगम इसे सरकार से 1 रुपये में लेकर बेचने के धंधे में लगी हुई है। गोलबाजार सकरी गलियों में बसी हुई है सड़क, बिजली सहित सभी सुविधाएं पहले से है फिर किस बात का भारी भरकम विकास शुल्क लिया जा रहा है दूसरी ओर व्यापारियों ने अपनी दुकान का निर्माण खुद ही किया है नगर निगम ने गोलबाजार के किसी एक दुकान पर एक ईंट नही लगाई है तो किस बात का निर्माण शुल्क वसूला जा रहा है।

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा रायपुर नगर निगम को गोल बाजार 1 रुपए में उपलब्ध कराया गया है। नगर निगम इसे बेचकर सैकड़ों करोड़ रुपया कमाने में लगी हुई है। विकास शुल्क के नाम पर 1000 रुपए प्रति फुट राशि वसूली जा रही है और वह भी हर मंजिल के हिसाब से ऐसी वसूली देश में कहीं नहीं हुई होगी।

लेआउट पास नहीं और रिकवरी नोटिस जारी?

बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि टाउन प्लैनिंग से उनकी योजना (Raipur Golbazar) को पास कराया जाएगा, बिना पास करें आपने व्यपारियो को कैसे नोटिस दे दी। पैसे वसूली की बात कैसे कर रहे हैं। नगर निगम की योजना ले आउट पास ही नही और वसुली का नोटिस जारी? उन्होंने कहा कि गोल बाजार अंग्रेजों के समय का बाजार हैं देश के आजादी के बाद इसे गांधी बाजार अ और ब का नाम दिया गया था। व्यापारी यहां पर 125 साल से व्यवसाय कर रहे हैं सरकार के राजस्व में नियम है 30 साल जिसका कब्जा हो गया वह मालिक हो गया 100 साल के बाद तो उनको बेचने का अधिकार मिल जाता है। ये कब्जाधारी नही है इन्हें तो बाकायदा 125 साल पहले जमीन व्यवसाय हेतु आबंटित की गई थी। 125 साल में कई पीढ़ी गुजर गई वे नियमो के हिसाब से स्वयं मालिक है। तो उन्हें मालिकाना हक कैसे देंगे? वे स्वयं नियमतः मालिक है।

अग्रवाल ने कहा कि गोल बाजार मामले के सारे दस्तावेज रिकॉर्ड जनता के सामने रखे जाने चाहिए। निगम हर बार गलत जानकारी देती हैं। नगर निगम को जमीन किस नियम के तहत किस उद्देश्य के तहत दिया गया है? एक रुपए में जमीन क्यो दी गई? नगर निगम स्थानीय संस्थाएं हैं उनका क्या उद्देश्य है? उनका उद्देश्य जनता की सेवा करना है या पैसा कमाना है। निगम के क्या-क्या काम है इसके नियम बने हुए हैं? उनका काम पैसा कमाना नहीं है उनका काम लोगों की सेवा करना है। 1 रुपए में सरकार से जमीन लेकर उस जमीन से 159 करोड़ कमाने के लिए निगम लगी हुई है।

उन्होंने कहा कि लोग 125 साल से काबिज है, उनको तो वैसे ही बुला कर माला पहनाया जाना चाहिए कि आप कई पीढ़ियों से काम कर रहे हो, उनका सम्मान करना चाहिए। गोल बाजार के दुकानदारों को फ्री में पट्टा दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जन्म से मृत्यु तक उपयोग होने वाला हर समान गोल बाजार में मिलता है। ताला बनाने वाले, चाबी बनाने वाले, फोटो फ्रेम बनाने वाले, रंगोली बेचने वाले, चूड़ी बेचने वाले, फुंदरी बेचने वाले, मटका बेचने वाले, नारियल बेचने वाल, रुई बेचने वाले हैं, पेटी बेचने वाले, छोटे छोटे व्यापारी वहां पर व्यवसाय करते हैं, संकरी संकरी गलियां है, 3 फीट की गलियां, 5 फीट की गली है।

उनका भी रेट आपने वही रखा है जो मेन रोड का है बंजारी रोड का है बेचारे छोटे-छोटे व्यापारी 100 फुट, 150 फुट कल जो रेट आएगा वह 29 लाख रुपया आएगा वे इतना पैसा कहां से देंगे छोटे छोटे व्यापारी पहले ही कोरोंनाकाल व आर्थिक मंदी की मार झेल रहे हैं। 150 फीट जमीन का ₹29000 होता है सरकार इन गरीब व्यापारियों का पूरा पैसा माफ करें और इनकी जमीन फ्री होल्ड करें फ्री होल्ड करने 2% शुल्क लगता है यही शुल्क इनसे लिया जाए।

गोलबाजार व्यवस्थित होना चाहिए, उनको मालिकाना हक मिलना चाहिए जिसके वे हकदार है। पर इन व्यापारियों को कभी 10,000 रुपए स्क्वायर फीट से देने के नोटिस नहीं दिया है आप तो विकास शुल्क के नाम पर 1,000 रुपए पर फिट उनसे वसूल रहे हैं। प्रथम मंजिल, द्वितीय मंजिल, तीसरी मंजिल का भी पैसा इसी दर पर ले रहे हैं। यह नियम कहां का है कि आपको तीनों मंजिल का विकास शुल्क देना पड़ेगा।

अग्रवाल (Raipur Golbazar) ने कहा कि गोल बाजार में होने वाले समस्त विकास के लिए स्मार्ट सिटी से राशि खर्च किया जाना चाहिए और व्यवसायियों से ली जा रही विकास शुल्क की राशि पूर्णता माफ किया जाना चाहिए। व्यवसायियों से लेने वाली सभी प्रकार का शुल्क माफ कर उन्हें 2% शुल्क लेकर जमीन का मालिकाना हक दिया जाना चाहिए। जब नगर निगम सरकार से 1 रुपए में जमीन ले सकते हैं तो व्यवसायियों को जो 125 साल से वहां काबिज है पीढ़ियों से वहां काबिज है उन छोटे छोटे व्यापारी को 1 रुपये में जमीन क्यो नही दिया जा सकता।

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