त्वरित टिप्पणी: खैरागढ़ से ही शुरू होगा 2023 का सफर

त्वरित टिप्पणी: खैरागढ़ से ही शुरू होगा 2023 का सफर

Quick Comment: The journey of 2023 will start from Khairagarh itself

cm bhupesh baghel

यशवंत धोटे
cm bhupesh baghel: चार दिन पहले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से हुई मेरी मुलाकात में उनका आत्मविश्वास ही बता रहा था कि खैरागढ़ का उपचुनाव कांग्रेस न केवल ठीक-ठाक जीत रहीं है बल्कि 2023 के छत्तीसगढ़ के आम चुनाव में शानदार वापसी की शुरूआत इसी खैरागढ़ के परिणाम से होनी है, हालांकि उन्होनें नवप्रदेश से खास बातचीत के साथ उसी दिन ये घोषणा भी कर दी थी कि 23 में शानदार वापसी हो रही है।

उपचुनाव की घोषणा के साथ ही खैरागढ़ को जिला बनाने की घोषणा के मास्टर स्ट्रोक के साथ ही तय हो गया था कि खैरागढ़ की जनता की दुखती रग पर भूपेश बघेल ने हाथ रख दिया है और यही से शुरू हुआ वह स्लोगन- भूपेश है तो भरोसा है। आज आए खैरागढ़ उपचुनाव के नतीजों को यदि लिटमस टेस्ट माना जाए तो भाजपा के लिए 2023 की राह कठिन हो सकती है। दरअसल भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए चार उपचुनाव में सभी कांग्रेस ने जीती जिसमे तीन सीटे दंतेवाड़ा, मरवाही, खैरागढ़ दूसरों दलों से छीनी है। दंतेवाड़ा की सीट भाजपा से छिनी गई है जबकि मरवाही और खैरागढ़ जनता कांग्रेस से छिनी हुई सीट है।

अब प्रश्न यह उठता है कि इन सारे चुनाव में भाजपा ने कितनी गंंभीरता से चुनाव लड़े। दंतेवाड़ा और मरवाही उपचुनाव तो खानापूर्ति जैसा ही रहा लेकिन भाजपा ने खैरागढ़ का उपचुनाव बेहद गंभीरता से लड़ा। दो केन्द्रीय मंत्रियों, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह, सभी नौ सांसदों, 14 विधायकों समेत संगठन के सारे पदाधिकारियों को उतार देने के बाद भी भाजपा यह सीट नहीं जीत पाई। हालांकि कांग्रेस का मास्टरस्ट्रोक था खैरागढ़ को जिला बनाने की घोषणा। उसका फायदा मिला और परिणाम सामने है।

जनता की नजर में भूपेश के साथ भरोसे का संकट नहीं है। ऐसा 2018 के चुनाव घोषणापत्र के जाहिर होने के बाद देखा जा सकता था। मसलन कांग्रेस ने 2500 रूपए क्विंटल धान खरीदी और किसानों की कर्जमाफी की घोषणा की थी। चुनाव के दर्मियान ही इसका असर देखा गया किसानों ने धान बेचना बंद कर दिया और चुनाव की तारीख और परिणाम का इंतजार किया जा रहा था। वहीं हुआ किसानो ने जमकर वोट दिया दो-तिहाई बहुमत की 67 सीटे पाकर कांग्रेस की सरकार बनी भूपेश बघेल सीएम बने और शपथ के चार घंटे बाद किसानों का कर्ज माफ कर वादा पूरा कर दिया। 2500 रूपए क्विंटल पर धान खरीदी आज भी जारी है।

कमोवेश यही भरोसा इस बार खैरागढ़ की जनता ने भूपेश पर जताया और शानदार जीत दिलाई, हालांकि इस परिणाम के बाद राज्य की राजनीति के लिहाज से भाजपा को एक बार फिर गंभीर चितंन की जरूरत है लेकिन कांग्रेस को भी अंदरखाने अपनी स्थिति मजबूत करने की जरूरत है। फिलहाल तीसरे दल की कोई खास मौजूदगी नहीं दिख रही है लेकिन चुनाव आते तक क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता।

अब तक इतिहास देखे तो तीसरे दल की मौजूदगी में कांग्रेस को नुकसान होता रहा है। 2003 में जोगी से सत्ता को हटाने विद्याचरण शुक्ल ने एनसीपी से चुनाव लड़ा और कां्रगेस को सत्ता से बाहर कर दिया। वैसा कोई करिश्माई राजनेता अब छत्तीसगढ़ में नहीं है। बहरहाल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 2 मई से राज्यव्यापी दौरा कर जनता से रुबरू होकर अपने साढ़े तीन साल के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनांएगे वहीं भाजपा केन्द्र के नेताओं के साथ राज्य भर में घुमेंगी।

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