Lok Sabha Elections 2024 : अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग

Lok Sabha Elections 2024 : अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग

Lok Sabha Elections 2024: Apni Apni Dhapli Apna Apna Raga

Lok Sabha Elections 2024

Lok Sabha Elections 2024 : 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ सभी विपक्षी पार्टियों ने एक जुट होने की कवायद तो शुरू कर दी है लेकिन उनकी यह कोशिश मेंढको को तराजु में तौलने की तरह असंभव लग रही है। इसकी वजह यह है कि राष्ट्रीय महत्कांक्षा पालने वाले विभिन्न क्षेत्रिय दल अपनी अपनी ढपली पर अपना अपना राग अलाप रहे है। देश के लगभग आधा दर्जन राज्यों के मुख्यमंत्री खुद को भावी प्रधानमंत्री के रूप में पेश करने लगे है। यही वजह है कि विपक्षी एकता की उनकी कोशिशें अभी तक सफल होती नहीं दिख रही है।

इस बीच बसपा प्रमुख मायावती ने तो स्पष्ट कर दिया है कि उनकी बहुजन समाज पार्टी लोकसभा चुनाव अकेले अपने दम पर लड़ेगी। इसका मतलब साफ है कि बसपा किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी। प्रधानमंत्री पद की एक और दावेदार बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमुल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी कल ही एकला चलो रे की नीति पर चलने की घोषणा कर दी है। उनका भी कहना है कि तृणमुल कांग्रेस किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी और अपने बल बुते पर भाजपा का मुकाबला करेगी। इधर तेलांगना के मुख्यंत्री आर चन्द्रशेखर राव जिनका अगली बार तेलांगाना में सरकार बनाना और फिर से मुख्यमंत्री बन पाना ही असंभव है वे भी खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार मानकर चल रहे हैं और अन्य क्षेत्रिय पार्टियों से गठजोड़ कर तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद कर रहे हैं।

नई दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जरूर उनके समर्थन में आए है लेकिन यह बात किसी से छिपी नहीं है कि अरविंद केजरीवाल कि नजरे भी प्रधानमंत्री की कुर्सी पर टिकी हुई है। यह बात अलग है कि लोकसभा में आम आदमी पार्टी का इस समय एक भी सांसद नहीं है। बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतिश कुमार भी प्रधानमंत्री बनने के लिए छटपटा रहे हैं। राष्ट्रीय जनता दल ने और बिहार के कुछ छुट भैय्ये दलों ने नीतिश कुमार को प्रधानमंत्री पद का उम्मीद्वार घोषित कर दिया है। नीतिश कुमार जो अपनी जेडीयू को ही टूट से नहीं बचा पाई है वे विपक्षी पार्टियों को कैसे एकजुट कर पाएगें।

इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूख अब्दुल्ला ने तमिनाडू के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन को विपक्षी की ओर से प्रधानमंत्री पद का सबसे उपयुक्त प्रत्याशी बनाकर विपक्षी दलों की बेसानी पर बल डाल दिया है। इधर प्रमुख विक्षी पार्टी कांग्रेस प्रधानमंत्री पद के लिए अपना दावा ठोक रही है। कुल मिलाकर सभी विपक्षी पार्टियों की एकता की बेल मुडेंर पर चढ़ती नहीं दिख रही है।

प्रधानमंत्री पद को लेकर ही उनके बीच अभी से जो खींचा तानी चल रही है उसे देखते हुए यह नहीं लगता कि लोकसभा चुनाव के पूर्व सभी विपक्षी दल एकजुट हो पाऐगें। अभी यह तो सुत है ना कपास और जुलाहों में लम ला मचा हुआ है। ऐसी स्थिति में चुनाव के पूर्व कोई बड़ा गठबंधन बन पाना मुश्किल ही दिख रहा है। जिससे भाजपा को ही फायदा हो सकता है। बहरहाल अभी चुनाव में अभी एक साल का वक्त है इस बीच यदि अपनी महत्वकांक्षाओं को दरकिनार कर सभी भाजपा विरोधी राजनीतिक पार्टियां एकजुट होती है तो भाजपा के लिए कड़ी चुनौती पेश कर सकती है।

लेकिन ऐसा हो पाना फिलहाल तो कठिन ही लग रहा है। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) के पूर्व पांच बड़े राज्यों के विधानसभा चुनाव होने है इन चुनाव के नतीजों के बाद ही विपक्षी पार्टियों की एकता के अभियान को गति मिलेगी। फिलहाल सभी राजनीतिक पार्टियां अभी तेल देख रही है और तेल की धार देख रही है।

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