Election Challenge : कोरोना काल में चुनाव की चुनौती

Election Challenge : कोरोना काल में चुनाव की चुनौती

Election Challenge: The challenge of elections in the Corona era

Election Challenge

Election Challenge : भारत में एक बार फिर कोरोना ने अपनी रफ्तार तेज कर दी है ऊपर से कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रान ने भी कोहराम मचाना शुरू कर दिया है जो डेल्टा वायरस के मुकाबले सात गुना अधिक तेजी से फैलता है। एक के बाद एक देश के अनेक राज्य कोरोना की चपेट में आने लगे है। इनमे वे राज्य भी शामिल है जहां कुछ माह बाद ही विधानसभा चुनाव होने जा रहे है।

उत्तर प्रदेश, पंजाब और उतराखण्ड सहित जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने है वहां भी कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे है और वहां की राज्य सरकारों ने नाईट कफर््यू और विकेंड कफर््यू जैसे सतही कदम उठाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है। इन सभी राज्यों ने राजनीतिक दलों की विशाल रैलियां हो रही है जिसमें लाखों की संख्या में भीड़ जुटाई जा रही है और इस बहाने अपनी ताकत दिखाई जा रही है।

रैली के दौरान न तो लोग मास्क पहनते है और न ही अन्य सावधानीयां बरतते है। लाखों की भीड़ में सोशल डिस्टेंसिंग का तो सवाल ही नहीं उठता। जाहिर है यह राजनीतिक रैलियां चुनावी (Election Challenge) राज्यों में कोरोना विस्फोट का कारण बनेंगी। कोरोना काल के बीच चुनाव कराना निश्वित रूप से एक बड़ी चुनौती है। अभी तक इन पांच राज्यों के चुनावी कार्यक्रम घोषित नहीं हुए है। चुनाव आयोग ने इस बारे में सभी राजनीतिक पार्टियों से चर्चा की थी जिसमें सभी दलों ने समय पर ही चुनाव कराने की पूरजोर मांग की है।

इसका मतलब साफ है कि कोरोनाकाल में चुनाव आगे नहीं बढ़ाए जाएंगे। ऐसी स्थिति में कोरोना विस्फोट को रोकने का एक ही रास्ता बचता है कि ऐसी तमाम राजनीतिक रैलियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाएं और राजनीतिक पार्टियों से कहा जाए कि वे वर्चुअल रैलियां करें या अन्य माध्यमों से चुनाव प्रचार करें।

इसके लिए भी राजनीतिक पार्टियां (Election Challenge) तैयार होगी या नहीं इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता किन्तु चुनाव आयोग और केन्द्र सरकार को इस बारे में जल्द ही किसी नतीजे पर पहुंचना होगा क्योंकि एक के बाद एक कई नेता भी कोरोना से संक्रमित हो रहे है, जिन्होने अब तक कई रैलिया की है। उनके संपर्क में आएं हजारों लोगों के भी कोरोना से संक्रमित होने का खतरा पैदा हो गया है। यदि चुनावी रैलियों पर रोक नहीं लगी तो निश्चित रूप से स्थिति भयावह हो सकती है।

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