Code Of Conduct Licensed Weapons Not Deposited : थानेदारों के दबादले की वजह से देरी, 2700 से ज्यादा के पास है गन

Code Of Conduct Licensed Weapons Not Deposited : थानेदारों के दबादले की वजह से देरी, 2700 से ज्यादा के पास है गन

Code Of Conduct Licensed Weapons Not Deposited :

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रायपुर पुलिस के कई थाना लायसेंसी हथियारों को जमा कराने के लिए कर रहे धीमी कवायद

रायपुर/नवप्रदेश। Code Of Conduct Licensed Weapons Not Deposited : लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता लागू है बावजूद इसके जिले में लायसेंसी हथियार रखने वालों ने अपनी गन जमा नहीं किये हैं। निजी हथियारधारियों के लाइसेंसी हथियार जमा करने के मामले में पुलिसिया कार्रवाई बेहद धीमी है। पुलिस विभाग के रिकार्ड में 2700 से ज्यादा लायसेंसी हथियार है लेकिन अभी तक सिर्फ 40 फीसदी लोगों ने ही हथियार जमा किए हैं।

जानकारी के मुताबिक विधानसभा चुनाव के ठीक पहले जिले में पुलिस ने हथियार जमा कराए थे। चुनाव खत्म होने के बाद लोगों ने अपने-अपने हथियार प्रक्रियानुसार वापस ले लिए लेकिन अब इन्हीं लोगों के बीच से लोकसभा चुनाव के लिए हथियार जमा नहीं कराया जा सका है। जिले में कारोबारी घराने से जुड़े लोगों की संख्या सबसे ज्यादा है जिन्होंने लायसेंस ले रखा है।

इधर राजनीति से जुड़े परिवारों के सदस्यों ने भी बड़ी संख्या में लायसेंस जारी कराया है। कई ऐसे राजनीतिक परिवार हैं जिनमें महिलाओं के नाम भी लायसेंस जारी है। एडिशनल एसपी ग्रामीण कीर्तन राठौर ने बातचीत में बताया, इस हफ्ते से हथियार जमा कराने के लिए विशेष अभियान चलाने की तैयारी हो चुकी है। कलेक्टर द्वारा जारी आदेशानुसार विशेष कमेटी का गठन किया जाएगा, इसके बाद घर-घर दस्तक देकर लायसेंसी हथियार जमा कराया जाएगा।

सिक्योरिटी गार्ड दायरे के बाहर प्राइवेट सेक्टर में सुरक्षा व्यवस्था संभालने वाले सुरक्षा गार्ड आचार संहिता के नियमो के दायरे के बाहर होंगे। आमतौर पर सुरक्षा गार्ड अपने पास राइफल रखते हैं। बैंक, अस्पताल और कई बड़े निजी संस्थानों में सेवाएं दे रहे एजेंसियों से सुरक्षा गार्ड तैनात किए गए हैं।

थानेदारों के तबादले का असर लोकसभा के ठीक पहले हथियार जमा कराने की कवायद इसलिए काफी धीमें है, क्योंकि नए अधिकारियों की पोष्टिंग का दौर जारी है। पिछले पंद्रह दिनों के भीतर एएसपी, डीएसपी और फिर आखिर में थानेदार बदले गए हैं। पुलिस विभाग में लोवर स्टाफ में भी बदलाव किया गया है, ऐसे में लॉ एंड आर्डर की ड्यूटी प्रभावित हुई है।

रसूखदार, कारोबारी हैं बिंदास

आमतौर पर निजी हथियारधारियों से उनके असलहों को जमा करवाने में रायपुर पुलिस भी मां और मौसी जैसा सलूक है। कारोबारियों, राजनेताओं और अन्य रसूखदारों से हथियार जमा करवाने के बजाये उन्हें रियायत देने का तरीका बता रही है। बकाया लोगों से सख्ती से या बार बार फोन करके गन जमा करवाने की हिदायत दे रही है पुलिस। कुछ के तो घर तक उनके हथियार लेने पहुँच जा रही है, लेकिन रसूखदारों के हथियार मेंटेनेंस के नाम पर शस्त्रालयों में जमा होना या फिर सर्विसिंग के लिए दिए जाने का बताकर रियायत बक्श रही है। बता दें कि रायपुर में पूर्व में भी आचार संहिता के दौरान एक डीलर ने दूसरे की गन से ख़ुदकुशी किया था।

अफसरों को भी राहत और मुर्रवत

राजधानी रायपुर में भी कई प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी लाइसेंसी केरी करते हैं। कुछ IAS और IPS के पास तो एक लाइसेंस में दो से तीन गन है। नियमतः आम लाइसेंसियों से थाने में तालाब कर हाटगियर जमा करवाते हैं लेकिन अधिकारीयों को बुलाना तो दूर अब तक उनके पुरे हथियार भी जमा नहीं करवाए गए हैं। स्वाभाविक भी है थाना स्टाफ कैसे अपने आला अफसरों को फोन करके उनकी गन जमा करने कहेगा ? नियमतः जिस लाइसेंसी की गन है उन्हें खुद अपने असलहे को जमा करवाने आना है न कि किसी दूसरे के हाथों से भेजना।

वर्सन

लायसेंसी हथियार जमा कराने के लिए जल्द अभियान चलाया जाएगा। जिले में जिनके पास हथियार हैं उन्हें आदर्श आचार संहिता के नियमों का पालन करना अनिवार्य है।

  • कीर्तन राठौर, एएसपी ग्रामीण

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