Tribal Tourism Resort में दिखेगी जनजातीय संस्कृति, कला और ग्रामीण परिवेश की झलक : बघेल

Tribal Tourism Resort में दिखेगी जनजातीय संस्कृति, कला और ग्रामीण परिवेश की झलक : बघेल

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Tribal Tourism Resort

मुख्यमंत्री ने कुरदर, सरोधा दादर और धनकुल के इको-एथनिक रिसॉर्ट का किया ई-लोकार्पण

पर्यटन के क्षेत्र में विश्व के नक्शे में बनेगा छत्तीसगढ़ का स्थान: पर्यटन मंत्री साहू

रायपुर । मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ में ट्रायबल टूरिज्म (Tribal tourism in Chhattisgarh) को बढ़ावा देने के लिए नवनिर्मित तीन रिसार्ट बिलासपुर जिले के कुरदर हिल इको रिसॉर्ट, कबीरधाम जिले के सरोधा दादर बैगा एथनिक रिसॉर्ट और कोण्डागांव जिले में नवनिर्मित धनकुल एथनिक रिसॉर्ट का वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ई-लोकार्पण किया। राज्य सरकार के पर्यटन विभाग द्वारा भारत सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत इन रिसार्टों का निर्माण किया गया है।


          मुख्यमंत्री श्री बघेल ने इस अवसर पर कहा कि छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति और उनसे जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों के लिए आज का दिन महत्वपूर्ण है। आदिवासी कला, संस्कृति और इनके वैभव से पर्यटकों को परिचित कराने के लिए ’’ट्राइबल टूरिज्म सर्किट’’ (Tribal tourism in Chhattisgarh) का विकास किया जा रहा है।

भारत सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत 13 जनजातीय बाहुल्य स्थलों में पर्यटकों के लिए स्थानीय ट्राइबल एवं इको टूरिज्म थीम पर आधारित सुविधाएं विकसित की जा रही है। उन्होंने कहा कि पर्यटक इन स्थानों पर रूककर यहां की सदियों पुरानी जनजातीय संस्कृति, कला एवं ग्रामीण परिवेश को नजदीक से देख और समझ सकेंगे।


    मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यटकों (Tribal tourism in Chhattisgarh) में अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित रखने, स्थानीय संस्कृति का सम्मान करने और प्रकृति में प्रदूषण कम करने का भाव जागृत होगा। पर्यटन से राज्य की पहचान स्थापित होने के साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर निर्मित होंगे। आदिवासी अंचल में प्रकृति ने न सिर्फ दिल खोलकर नैसर्गिक खूबसूरती दी है बल्कि स्थानीय संस्कृति के रूप में अनेक कलाएं भी दी हैं, जो किसी भी इंसान को अपने प्रकृति के सबसे खूबसूरत स्वरूप से परिचित कराती हैं।


    मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ आस्था और संस्कृति का केन्द्र बनेगा। यह परिपथ आदिवासी अंचलों में हमारी संस्कृति के बिखरे मोतियों को जोड़कर ऐसी खूबसूरत माला बनेगी जो लोगों के जीवन में आस्था और संस्कार को मजबूत करेगी। छत्तीसगढ़ भगवान राम के ननिहाल के रूप में जाना जाता है।

भगवान राम वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ के 75 स्थानों पर गए थे तथा 51 स्थल पर विश्राम किए थे, इनमें से प्रथम चरण में 9 स्थानों का सौंदर्यीकरण एवं विकास विभिन्न विभागों के समन्वय से किया जा रहा है। राम वन गमन पर्यटन परिपथ के विकास कार्य का शुभारंभ चंदखुरी के कौशल्या माता मंदिर से किया गया है।

उन्होंने कहा कि भगवान श्रीराम के प्रति छत्तीसगढ़ के जनमानस की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए जनसहयोग के लिए ’राम वनगमन पर्यटन परिपथ विकास कोष’ का शीघ्र गठन किया जाएगा। इसके माध्यम से आमजन भी आर्थिक सहयोग का पुण्य सुअवसर प्राप्त कर सकेंगे।


    समारोह में पर्यटन मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ पर्यटन की दृष्टि से समृद्ध राज्य है। आने वाले समय में विश्व के नक्शे में छत्तीसगढ़ का स्थान बनेगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की स्वदेश दर्शन योजना के तहत छत्तीसगढ़ में यहां की आदिवासी एवं जनजातीय संस्कृति से पर्यटकों को परिचित कराने के लिए ट्रायबल टूरिज्म सर्किट की परियोजना स्वीकृति कराई गई।

लगभग 96 करोड़ रूपए की इस परियोजना में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य 13 क्षेत्रों-जशपुर, कुनकुरी, मैनपाट, कमलेश्वरपुर (मैनपाट), महेशपुर, कुरदर, सरोधा दादर, गंगरेल, नथियानवागांव, कोण्डागांव, जगदलपुर, चित्रकोट एवं तीरथगढ़ शामिल किया गया है।


    मुख्यमंत्री निवास में आयोजित ई-लोकार्पण समारोह में कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे, संस्कृति मंत्री श्री अमरजीत भगत, ग्रामोद्योग मंत्री श्री गुरू रूद्र कुमार, संसदीय सचिव श्री विकास उपाध्याय, विधायक श्री मोहन मरकाम, पर्यटन सचिव श्री अन्बलगन पी., मुख्यमंत्री के सचिव श्री सिद्धार्थ कोमल सिंह परदेशी, प्रबंध संचालक पर्यटन मंडल श्रीमती इफ्फत आरा सहित पर्यटन विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

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