Bhoram Dev : अब जागा पुरातत्व विभाग, भोरमदेव मंदिर की रिपेयरिंग और प्लिंथ प्रोटेक्शन पर 64 दिन बाद काम शुरू

Bhoram Dev : अब जागा पुरातत्व विभाग, भोरमदेव मंदिर की रिपेयरिंग और प्लिंथ प्रोटेक्शन पर 64 दिन बाद काम शुरू

कवर्धा, नवप्रदेश। भोरमदेव मंदिर के कार्य को लगभग 64 दिनों के बाद अब पुनः प्रारंभ कर दिया गया है । मंदिर की नींव की मजबूती को देखने जहां मंदिर के चारों तरफ खुदाई कर दिया गया था। वही जानकारों के मानना भी है कि ऐसा पहली बार हुआ था कि जब मंदिर की मजबूती देखने नीव को ही खोद दी गई हो । क्योंकि इस तरह का एक भी ऐसा मामला अब तक सुनाई में नहीं आया है।

नवंबर माह के पहले हफ्ते में भोरमदेव मंदिर की नींव खुदाई में घोर लापरवाही बरती गई। यहां न विशेषज्ञ और न ही खुदाई के मापदंडों का पालन किया जा रहा था। इस मामले को लेकर दैनिक नवप्रदेश ने  प्रमुखता से खबर का प्रकाशन किया। जिसके बाद अब कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।

 अब इस मंदिर की रिपेयरिंग व प्लिंथ प्रोटेक्शन काम विशेषज्ञ के देखरेख में किया जाएगा। कार्य आरंभ के प्रथम दिवस पर जब  टीम पहुची थी तब मौके पर विभाग के सब इंजीनियर और मजदूर ही मौजूद रहे।कोई विशेषज्ञ मौजूद नहीं थे। विभाग ने  लगभग 64 दिन के बाद काम शुरू किया है।

ज्ञात हो कि मंदिर में रोजाना दर्शन करने पहुंचे लोगों को परेशानी हो रही थी। दरअसल मंदिर के पिछले हिस्से में बोल्डर पत्थर पड़े हुए है। साथ ही मंदिर के दोनो किनारो में बैरिकेट्स लगाया गया है। इस कारण से मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे लोगों को काफि दिक्कत होती है,श्रद्धालुओं का कहना था कि जल्द निर्माण कार्य आरंभ हो,जिससे उन्हें मंदिर की परिक्रमा करने में कोई परेशानी न हो।

मंदिर की नींव खोदकर जांची गई थी मजबूती

भोरमदेव मंदिर सम्भवतः देश का पहला पुरातत्व मंदिर जिसकी नींव खोद कर मंदिर की मजबूती की जांच की गई,ऐसा हम नही 5 नवंबर को भोरमदेव मंदिर जांच में पहुची टीम ने नींव से दो फीट नीचे खुदाई हुए ,नींव को देख कर मजबूती के दावा किया था।पुरातत्व धरोहर के नींव की जांच किये बिना बड़ी ही लापरवाही से इसकी अनुभवहीन मजदूरों से खुदाई का कार्य कराई गई थी, खबर प्रकाशन के बाद काम रोका गया,बाद में टीम मंदिर परिषर पहुची और राज्योत्सव समाप्ति के बाद काम पर जिला प्रशासन से सहमति बनी थी,जो रविवार को लगभग 64 दिन बाद शुरू हो पाया।

11वीं सदी के इस मंदिर का पीछे का भाग झुका

पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित 11वीं सदी के इस मंदिर के पीछे का भाग झुक गया है। इसे बचाने के लिए नवंबर माह में पुरातत्व विभाग स्वयं की निगरानी में काम करवाने की जगह ठेकेदार और उनके मजदूरों के भरोसे छोड़ दिया था। ठेकेदार के मजदूर बेहिसाब नींव के पास गैंती चलाकर खोदाई कर रहे थे। यह मंदिर करीब 20 डिग्री तक झुक चुका है और झुकाव निरंतर जारी है। वर्ष 2018 में ऐतिहासिक महत्व की धरोहर के संरक्षण के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी निर्देश जारी किए थे।

इसके बाद पुरातत्व विभाग की विशेष टीम ने सर्वेक्षण किया था। टीम ने माना कि मंदिर का अस्तित्व खतरे में है। राज्य सरकार ने संरक्षित स्मारक भोरमदेव मंदिर में अनुरक्षण व अन्य विकास कार्य के लिए बीते साल 2022 फरवरी में निविदा (टेंडर) जारी की गई थी। इसमें करीब 37.33 लाख रुपये का काम होना है।जिसमें अभी हाल ही में कार्य आरंभ हुआ है।

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