Assembly Elections Five States : अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग |

Assembly Elections Five States : अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग

Assembly Elections Five States: : Your own melody, your own rage

Assembly Elections Five States

Assembly Elections Five States : पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में सबसे दिलचस्प मुकाबला देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में हो रहा है। जहां सात चरणों में मतदान हो रहा है। अब तक तीन चरणों का मतदान हो चुका है, चार चरण का मतदान बाकी है। मतदान के हर चरण के साथ ही राजनीतिक पार्टियों के बीच जुबानी जंग तेज होती जा रही है और आरोप प्रत्यारोप लगाने का दौर चलता जा रहा है।

इस बीच अपने पक्ष में चुनावी माहौल बनाने के लिए राजनीतिक पार्टिंयां बढ़ चढ़ कर दावा कर रही है। सभी अपनी अपनी ढपली लेकर अपना अपना राग अलाप रहे है। ४०० सीटें जीतने का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दो चरणों के मतदान के बाद ही अपनी पार्टी का शतक बनने का दावा कर चुके हॅै और उनका कहना है कि आखरी चरण आने तक भाजपा के बूथों पर सन्नाटा पसर जाएगा।

उनका कहना है कि भाजपा का सुपड़ा साफ हो जाएगा। उनके चाचा शिवपाल यादव भी इसी तरह का दावा कर रहे है और समाजवादी पार्टी को ३०० से ज्यादा सीटें मिलने की संभावना जता रहे है। इधर भाजपा नेता भी ३०० से अधिक सीटों पर जीत का दावा कर रहे है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर केन्द्रिय गृह मंत्री अमित शाह तक सभी भाजपा नेता चुनावी सभाओं में ३०० से ज्यादा सीटें जीतने (Assembly Elections Five States) का दम भर रहे है।

यहां तक की कांग्रेस के नेता सलमान खुर्शीद भी उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने का दावा ठोक रहे है। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमों मायावती भी बसपा की सरकार बनने की बात कह रही है। असउद्दी ओवैसी का भी दावा है कि उनकी पार्टी के समर्थन के बिना उत्तर प्रदेश में कोई सरकार नहीं बन नहीं सकती। इस तरह के दावें इसलिए किए जा रहे है ताकि उत्तर प्रदेश के शेष चार चरणों के मतदान के पूर्व उनकी पार्टी के पक्ष में हवा बन सकें।

इसलिए हवा हवाई दावे किए जा रहे है किन्तु मतदाता अब इस तरह की हवा बाजी में आने वाले नहीं है। मतदाता अपने वोट की कीमत समझने लगे है और अपने विवेक से मतदान (Assembly Elections Five States) करने लगे है। बहरहाल इनमें से किसका दावा कितना मजबूत है यह तो दस मार्च को ही पता चलेगा।

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