Assembly Elections : बहस का निरंतर गिरता स्तर

Assembly Elections : बहस का निरंतर गिरता स्तर

Assembly Elections: The ever-decreasing level of debate

Assembly Elections

Assembly Elections : उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के लिए हो रहे विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ खबरिया चैनलों में टीआरपी की होड़ लग चुकी है। दर्शक भी चुनावी खबरों के प्रति रूची दिखा रहे है और खाली समय में खबरिया चैनलो को ही देखते है। जिनमें खबरे कम और निरर्थक बहस ज्यादा दिखाई जा रही है।

इन खबरिया चैनलों के स्टूडियो अखाड़े के रूप में तब्दील होने लगे है। बहस में भाग लेने वाले विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ता मर्यादा की सीमाएं लांघने में संकोश नहीं करते। एक दूसरे (Assembly Elections) पर आरोप प्रत्यारोप लगाने के दौरान वे अपना आपा खोकर अभर्दता पर उतर आते है। अपशब्दों का भी प्रयोग करने से नहीं हिचकते। एंकर चीखता चिल्लाता रह जाता है लेकिन वे जो मुंह में आए बक देते है। स्थिति तो अब आपस में गाली-गालौज और मारपीट पर उतारू होने की भी निर्मित होने लगी है।

यह सब देखकर प्रबुद्ध दर्शकों को इन खबरिया चैनलों की बहस से किनारा करने का मन करने लगा है। कुछ पार्टी प्रवक्ता तो इस कदर बदतमीजी करते है कि उनका चेहरा देखते ही लोग चैनल बदल देते है। राजनीतिक विश्लेषक के रूप में इस बहस में भाग लेने वाले पैनेलिस्ट भी किसी खास पार्टी के ही समर्थक होते है और वे भी विरोधी पर जमकर भड़ास निकालते हैं। दर्शकों की मजबूरी है कि उन्हें यह सब झेलना पड़ता है।

यदि यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं दिखता जब लोगों का इन खबरिया चैनलों से मोह भंग हो जाएगा और वे खबरिया चैनलों से किनारा कर मनोरंजक चैनलों की ओर आकर्षित होने लगेगे। इस बारे में खबरियां चैनलों को चिंतन करना चाहिए और बहस के गिरते स्तर को सुधारने के लिए कारगर प्रयास करना चाहिए। बददिमाग पैनेलिस्टों को जो तर्क करने की जगह कुर्तक करने लगते है और चीख चिल्लाकर डिबेट को दिशा से भटकाने की कोशिश करते है। उन्हें तो इस तरह की बहस के लिए आमंत्रित ही नहीं किया जाना चाहिए।

एंकरों को भी अपनी कार्यप्रणाली में (Assembly Elections) सुधार करने की जरूरत है। कुछ एंकर तो पैनेलिस्ट पे भी ज्यादा जोर से चीखने लगते है और पैनेलिस्टों को अपनी बात पूरी करने का अवसर ना देकर अपनी ही हाकने लगते हैं। यदि इन सब में सुधार नहीं आया तो खबरिया चैनलों के ऐसे कार्यक्रम उबाऊ बनकर रह जाएंगे।

उम्मीद की जानी चाहिए की ऐसे खबरिया चैनल विभिन्न मुद्दों पर की जाने वाली बहस के स्तर को ऊपर उठाने के लिए उचित पहल करेंगे। ताकि उसमें जनहित से जुड़े मुद्दों पर शालिनता पूर्वक सार्थक चर्चा हो सके।

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