यह लोकसभा अलग दिखने वाली है, मोदीजी! सब कुछ बदलना पड़ेगा

यह लोकसभा अलग दिखने वाली है, मोदीजी! सब कुछ बदलना पड़ेगा

This Lok Sabha is going to look different, Modiji!

This Lok Sabha is going to look different, Modiji!


This Lok Sabha is going to look different, Modiji! everything has to change : राहुल गांधी ने रायबरेली की हाल की एक जनसभा में कहा था बहन प्रियंका अगर वाराणसी से चुनाव लड़ जातीं तो प्रधानमंत्री मोदी दो-तीन लाख मतों से हार जाते। ‘मोदी वाराणसी से जान बचाकर निकले हैं। राहुल ने तब यह नहीं बताया था कि संसद में प्रधानमंत्री का चैन छीनने के लिये वे बहन को अपनी किस सीट से चुनाव लड़वा रहे हैं : रायबरेली से या वायनाड से ? दोनों ही चुनाव क्षेत्रों की जनता को एक लंबे समय से सस्पेंस में डाल रखा था राहुल गांधी ने ? यह सस्पेंस उसी तरह का था जब हाल के चुनावों में आखऱि तक ज़ाहिर नहीं होने दिया गया कि राहुल अमेठी से लड़ेंगे कि रायबरेली से ! मीडिया में माहौल अमेठी का बनाकर रखा गया था पर हुआ उल्टा।

प्रियंका को लेकर बनाया गया सस्पेंस सोमवार शाम इस खुलासे के साथ ख़त्म हो गया कि सोनिया गांधी और राहुल के बाद गांधी परिवार का तीसरा सदस्य वायनाड से संसद में पहुँचने वाला है।प्रियंका पहली बार कोई चुनाव लडऩे वाली हैं। पिछले चुनाव (2019) में उनसे वाराणसी में मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव लडऩे का आग्रह किया गया था पर तब उन्होंने यह कहते हुए इंकार कर दिया था कि : मेरे कंधों पर 41 सीटों पर पार्टी को जिताने का जिम्मा है। एक स्थान पर रहकर ऐसा संभव नहीं होगा इसलिए वाराणसी से चुनाव नहीं लड़ रही हूँ ।”

उल्लेखनीय है कि 2019 में पूर्वी उत्तरप्रदेश की जिन 41 सीटों की जि़म्मेदारी राहुल ने प्रियंका को सौंपी थी उनमें रायबरेली और अमेठी भी शामिल थे। प्रियंका तब रायबरेली को छोड़ कोई और सीट कांग्रेस को नहीं दिला पाईं थीं। राहुल अमेठी में स्मृति ईरानी के मुक़ाबले हार गए थे। प्रियंका ने भाई की उस हार का इस बार बदला ले लिया। 2019 में पार्टी की पराजय से व्यथित होकर राहुल ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था।
मोदी के नये अवतार से धीरे-धीरे साफ़ हो रहा है कि वे न सिफऱ् अपने तीसरे कार्यकाल को पूरा करना चाहते हैं , हो सकता है अगले चुनाव कीतैयारियाँ भी प्रारंभ कर दी हों ! जो नजऱ आ रहा है वह यह है कि कांग्रेस को अब दोनों मोर्चों पर लड़ाई लडऩा होगी : संसद में भी और सड़कों पर भी। राहुल को एक बार फिर सड़कों का मोर्चा संभलना पड़ सकता है। उस स्थिति में संसद का मोर्चा प्रियंका को भी संभलना पड़ेगा।

विपक्ष की कई तेज-तर्रार महिला नेत्रियां पहले ही लोकसभा के लिए चुनी जा चुकीं हैं। महुआ मोइत्रा सहित सबसे ज़्यादा महिला सांसद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल से भिजवाई हैं। महुआ को पिछली बार न सिफऱ् संसद से निष्कासित कर दिया गया था कठिन चिकित्सीय परिस्थितियों के बावजूद शासकीय आवास भी उनसे ख़ाली करवा लिया गया था।
लोकसभा चुनावों के दौरान प्रियंका ने जो कमाल करके दिखाया है उस पर अगर गौर करना हो तो अमेठी में स्मृति ईरानी के ख़िलाफ़ कन्हैयालाल शर्मा की जीत की रणनीति का अध्ययन करना पड़ेगा और साथ ही घंटे-डेढ़ घंटे की दूरी पर स्थित रायबरेली में राहुल गांधी की विजय का भी। दोनों ही सीटों पर कांग्रेस की जीत का श्रेय प्रियंका की मेहनत को जाता है जिसका उल्लेख भी राहुल ने रायबरेली की सभा में किया भी।

पूरे लोकसभा चुनावों के दौरान प्रियंका ने 43 सीटों पर प्रचार किया और उनमें से बीस पर पार्टी को जीत प्राप्त हुई। इनमें कुछ सीटें यूपी की भी हैं। प्रियंका ने हर दिन दो रैलियाँ/रोड शो किए और सौ से ज़्यादा सभाओं को संबोधित किया। उनकी सफलता का प्रतिशत 46 रहा।

रायबरेली की आभार-ज्ञापन सभा में बहन के योगदान का उल्लेख करते हुए राहुल कुछ कहते-कहते रुक गए थे। उन्होंने इतना भर कहाथा कि(प्रियंका के लिये !) उनके पास एक आयडिया है जिसे वे बाद में बताएँगे। रायबरेली के तुरंत बाद वायनाड पहुँचकर राहुल ने वहाँकी आभार-ज्ञापन सभा में अपनी इस दुविधा का उल्लेख किया था कि उन्हें कोई एक सीट छोडऩा होगी और वे तय नहीं कर पा रहे हैं पर तब भी कोई खुलासा नहीं किया था। राहुल वायनाड में प्रियंका को साथ लेकर भी नहीं गए थे।
देखना दिलचस्प होगा कि हाल के नतीजों में केरल से भाजपा द्वारा हासिल की गई अपनी पहली सीट से उत्साहित मोदी वायनाड में प्रियंका के ख़िलाफ़ किस उम्मीदवार को खड़ा करते हैं ? केरल की उपलब्धि का पीएम ने पुराने संसद भवन में हुई एनडीए के संसदीय दल की बैठक में भी अत्यंत गर्व के साथ उल्लेख किया था।

क्या स्मृति ईरानी वायनाड में प्रियंका के ख़िलाफ़ लडऩे का जोखिम मोल लेंगीं ? वायनाड उनके लिये अपरिचित भी नहीं है। राहुल गांधी जब वायनाड से चुनाव लड़ रहे थे स्मृति ईरानी वहाँ उनके ख़िलाफ़ प्रचार करने पहुँचीं थीं।
प्रधानमंत्री मोदी शासन इंदिरा गांधी की तरह करना चाहते रहे हैं ।अब इंदिरा गांधी के एक स्वरूप से लोकसभा में उनका प्रत्यक्ष सामना होने वाला है। प्रियंका राहुल की बहन ज़रूर हैं पर राजनीति करने में राहुल गांधी नहीं हैं। उनसे पूरी तरह अलग हैं। यह लोकसभा अलग दिखने वाली है, प्रधानमंत्री जी।आपको सब कुछ बदलना पड़ेगा !

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