Vedanta doing nature conservation : प्रकृति संरक्षण के लिए वेदांता ने अपनाया मियावाकी वृक्षारोपण पद्धति

Vedanta doing nature conservation : प्रकृति संरक्षण के लिए वेदांता ने अपनाया मियावाकी वृक्षारोपण पद्धति

Vedanta doing nature conservation :

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0 सीओओ सुनील गुप्ता ने कहा हम खुद को गर्व से कह सकते है ग्रीन हार्ट

रायपुर/नवप्रदेश। Vedanta doing nature conservation : वेदांता कर रहा प्रकृति संरक्षण की दिशा में जापानी तकनीक का इस्तेमाल। जिससे ना सिर्फ पर्यावरण बलकि जीवन चक्रीय जीव जंतुओं का भी संरक्षण किया जा सके। इसलिए वेदांता एल्यूमिनियम ने अपने सभी प्रचालनों में मियावाकी वृक्षारोपण की शुरुआत की है।

Vedanta doing nature conservation : वेदांता लिमिटेड-एल्यूमिनियम बिजनेस के सीओओ सुनील गुप्ता ने कहा, ’’वेदांता एल्यूमिनियम में हम पूरे दिल से प्रकृति संरक्षण को अपनाते हैं, यह हमारे संवहनीय व्यापार अभ्यास का बुनियादी हिस्सा है। हम खुद को गर्व से ’ग्रीन हार्ट’ पुकारते हैं। वेदांता लिमिटेड-एल्यूमिनियम बिजनेस के सीईओ (माइंस) श्री वी श्रीकांत ने कहा हम इस ग्रह के संयुक्त संरक्षक हैं। हमें एक सकारात्मक भविष्य निर्मित करने में मदद मिलेगी जहां बेशकीमति प्राकृतिक संसाधनों का आदर व सुरक्षा सुनिश्चित होगी।’’

वेदांता एल्यूमिनियम निरंतर वृक्षारोपण अभियान चलाती रही है जिनमें कर्मचारी वॉलंटियरों व स्थानीय समुदायों को सक्रियता से शामिल किया जाता है। Vedanta doing nature conservation : कंपनी अपने सभी प्रचालनों में स्वच्छता अभियान भी चलाती रहती है। इसके अलावा कंपनी ने ऑन-साईट आवागमन के लिए इलेक्ट्रिक वाहन भी चलाए हैं। प्रकृति के संरक्षण के लिए सस्टेनेबल जीवनशैली विकल्पों के बारे में जन-जागरुकता पर भी कार्य कर रही है।

वेदांता द्वारा रैलियां और ऑनलाइन कार्यशालाएं भी आयोजित करती रहती है। कंपनी ने अपनी इकाईयों के आसपास के इलाकों में 40 से अधिक जलाशयों को नया जीवन दिया है, इससे जल पर निर्भर प्राणी भी फलफूल रहे हैं और स्थानीय समुदायों को अपनी आजीविका में भी मदद मिली है।

समुदाय को ज्यादा हरियाली मुहैया कराने के लिए कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2023 में 2.50 लाख के लगभग पौधे लगाए। वाटर पॉजिटिव प्रचालन की दिशा में वित्तीय वर्ष 2023 में 13.69 अरब लीटर पानी रिसाइकल किया गया। कंपनी की जैव विविधता प्रबंधन योजना में वृद्धि हेतु वैश्विक पर्यावरण संरक्षण फर्म ईआरएम के साथ गठबंधन किया गया है।

कर्मचारियों, उनके परिवारों व समुदाय के सदस्यों को जागरुक बनाने के लिए संरक्षण के विषय में वार्ताएं संचालित की गई हैं जिनमें प्रतिष्ठित संरक्षणवादियों जैसे रामवीर तंवर (भारत के पॉन्ड मैन) और राकेश खत्री (नैस्ट मैन ऑफ इंडिया) ने जानकारी प्रदान की। क्लोरोज़ायलॉन स्वीटेनिया (जिसे आम तौर पर सिलोन साटिनवुड के नाम से जाना जाता है) के पौधे लगाए गए जिससे जोखिम में पड़ी प्रजातियों को बचाने में मदद मिली।

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