Study in Naxalgarh : फैल रहा ज्ञान का उजियारा, बंद स्कूलों को शुरू करने मिली सफलता

Study in Naxalgarh : फैल रहा ज्ञान का उजियारा, बंद स्कूलों को शुरू करने मिली सफलता

Study in Naxalgarh: Light of knowledge spreading, success in starting closed schools

Study in Naxalgarh

सुकमा/नवप्रदेश। Study in Naxalgarh : राज्य सरकार द्वारा नक्सल क्षेत्रों में विकास, विश्वास और सुरक्षा की नीति अब रंग ला रही है। सुकमा ज़िले के कोण्टा विकासखंड में नक्सलवाद के चलते 15 साल से बंद स्कूलों को फिर से शुरू करने में सफलता मिली है। इससे सुदूर वनांचल में रहने वाले बच्चों का भविष्य संवरने लगा है।

संवेदनशील क्षेत्र चिंतलनार और जगरगुंडा में सफलतापूर्वक फिर से स्कूल संचालित किए जा रहे हैं। इन संवेदनशील क्षेत्रों के स्कूलों में अध्ययन-अध्यापन का काम स्थानीय युवाओं की मदद से किया जा रहा है।

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बंद पड़े स्कूलों को फिर से खोलने का प्रयास

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विशेष पहल पर बीते तीन वर्षों से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बंद स्कूलों को दोबारा खोलने का प्रयास को बहुत बड़ी सफलता मिल रही है। ग्रामीणों के सहयोग से जिला प्रशासन ने पंचायतों के माध्यम से शाला संचालन के लिए झोपड़ियां तैयार की। प्रत्येक शाला के लिए अस्थायी शेल्टर निर्माण के लिए 40 हजार रुपये का प्रावधान किया। ऐसे सभी बच्चें जो 15 वर्षों से अधिक समय तक शिक्षा से वंचित रह गए थे, उनकी शिक्षा सुविधाओं में कोई कमी न हो इसके लिए प्रशासन निरंतर काम कर रहा है।

45 स्कूलों के पक्के भवन तैयार

जिला प्रशासन द्वारा बच्चों की शिक्षा (Study in Naxalgarh) सुचारू रूप से संचालित करने के लिए झोपड़ियों के स्थानों पर पक्के भवन बनना शुरू किया गया है। इसके तहत पहले चरण में 45 शाला भवनों का निर्माण कर लिया गया है तथा 49 भवनों का निर्माण कार्य प्रगति पर है।

पंद्रह साल पहले नक्सली हिंसा के चलते विकासखंड कोण्टा के 123 स्कूल बंद हो गए थे। नक्सलियों ने दर्जनों स्कूल भवनों को ढहा दिया था। जिनमें 100 प्राथमिक, 22 माध्यमिक एवं 01 हाईस्कूल शामिल है। अंदरूनी इलाकों में स्कूल भवनों को माओवादियों ने इसलिए ढहा दिया था, ताकि फोर्स वहां ना रुक पाए।

युवाओं को मिल रहा रोजगार

सुदूर वनांचलों में बसे इन अति संवेदनशील ग्रामों में बच्चों को पढ़ाने के लिए स्थानीय स्तर पर स्थानीय शिक्षित बेरोजगार युवाओं को चिन्हांकित कर उन्हें अध्यापन कार्य के लिए प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षित के बाद 97 युवकों को पंचायत स्तर पर नियुक्त किया गया है। इन युवाओं को ज़िला प्रशासन की तरफ से प्रतिमाह ग्यारह हजार रुपये का मानदेय दिया जा रहा है। इन शिक्षादूतों ने लगभग 4000 से अधिक बच्चों को चिन्हांकित किया जो शाला और शिक्षा से वंचित हो चुके थे।

चिंतलनार स्कूल अब बच्चों से है गुलजार

नक्सल हिंसा के प्रभाव के चलते बन्द हो चुके हाई स्कूल चिंतलनार को सत्र 2021-22 में पुनः प्रारंभ किये जाने के बाद अब यहां के बच्चों को कहीं भटकना नहीं पड़ रहा है। इस इलाके के अति संवेदनशील और नक्सल हिंसा से सर्वाधिक प्रभावित ग्राम जगरगुंडा का हायर सेकंडरी स्कूल, माध्यमिक शाला, कन्या/बालक छात्रावास जो बीते वर्षों दोरनापाल में संचालित किया जा रहा था, वह अब सर्व सुविधाओं के साथ जगरगुंडा में ही संचालित किया जा रहा है।

इस तरह ग्राम भेज्जी, किस्टाराम, गोलापल्ली, सामसट्टी की शिक्षण एवं आवासीय संस्थाएं जो कि कोण्टा, मरईगुड़ा, दोरनापाल मुख्यालय में संचालित की जाती रही अब वह सम्पूर्ण सुविधाओं (Study in Naxalgarh) के साथ उनके मूल ग्रामों में संचालित किए जाने से यहां के विद्यार्थियों का आत्मविश्वास बड़ा है।

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