New Education Policy : राज्यपाल बोले- नैतिक मूल्यों की शिक्षा से मजबूत होगी राष्ट्र निर्माण की नींव

New Education Policy : राज्यपाल बोले- नैतिक मूल्यों की शिक्षा से मजबूत होगी राष्ट्र निर्माण की नींव

New Education Policy: Governor said - the foundation of nation building will be strengthened by the education of moral values

New Education Policy

छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय नियामक आयोग द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार सबसे लंबे समय तक चलने वाले वेबिनार में शामिल

रायपुर/नवप्रदेश। New Education Policy : राज्यपाल अनुसुईया उइके छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के परिप्रेक्ष्य में ‘उच्च शिक्षा नीति एवं आदर्श व्यक्तित्व निर्माण’ विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार में शामिल हुई। गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड संस्था ने इस वेबीनार को सबसे लंबे चलने वाले वेबीनार के रूप में शामिल किया। यह वेबीनार सुबह 7 से शाम 7 बजे तक यानी 12 घंटे चली। राज्यपाल ने छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष शिववरण शुक्ला को बधाई दी। वेबीनार में 15 विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, शिक्षाविद्, प्रशासनिक अधिकारीगण शामिल हुए।

राज्यपाल ने कहा कि नई शिक्षा नीति (New Education Policy) में विद्यार्थियों को मूल्यों पर आधारित शिक्षा पर जोर दिया गया है। इससे आचार-विचार और संस्कार विकसित होंगे और इसी से राष्ट्र निर्माण की नींव मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की दूरदर्शिता के परिणामस्वरूप नई शिक्षा नीति अस्तित्व में आई और इससे पूरे भारत के शिक्षा जगत में व्यापक बदलाव दिखाई देगा। नई शिक्षा नीति भारत वर्ष को उच्च शिक्षा के वैश्विक स्तर पर स्थापित करने तथा भारत को पुन: विश्वगुरू बनाये जाने के उद्देश्य से तैयार की गई है। देश एवं प्रदेश के हर विश्वविद्यालय में शैक्षणिक गतिविधियों के साथ-साथ विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु खेल-कूद एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आवश्यक हैं।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की सोच के अनुरूप ही पूरे देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इसके जरिए आम जनता विद्यार्थियों सहित सभी को हमारे ऐसे गुमनाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी याद किया जा रहा है, जिन्हें इतिहास में जगह नहीं मिल पाई थी। नई पीढ़ी आज उनके संघर्षों के बारे में जान रही है। यह भावना राष्ट्रवाद को और अधिक मजबूती प्रदान करेगी।

राज्यपाल ने कहा कि वास्तव में शिक्षा ही वह माध्यम होता है जो किसी व्यक्ति को इतना योग्य बनाता है कि वह हर चुनौती का सामना कर सके। नई शिक्षा नीति में विद्यार्थियों के संपूर्ण विकास की बात कही गई है, ताकि वह शैक्षणिक रूप से उन्नत हो और जीवन में चहुंमुखी प्रदर्शन कर सके। सैकड़ों साल पहले हमारी शिक्षा व्यवस्था ऐसी थी कि विदेशों से विद्यार्थी हमारे यहां अध्ययन करने आते थे, परन्तु धीरे-धीरे कई कारणों से हमारी शिक्षा व्यवस्था में गिरावट आने लगी और शिक्षण संस्थान भी नष्ट होते गए।

नई शिक्षा नीति के माध्यम से हमारी इस प्रतिष्ठा को पुन: स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। इस शिक्षा नीति के तहत हमारे देश के विद्यार्थी चाहे किसी भी कक्षा में हो, वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन करेंगे और तेजी से बदलते समय की जरूरत के हिसाब से पढ़ाई करेंगे। इसमें विद्यार्थियों को रोजगारपरक शिक्षा देने के प्रावधान के साथ ही विश्वव्यापी बनाने के साथ-साथ परंपराओं से जोड़कर भी रखा जाएगा।

उन्होंने कहा कि हम ऐसी शिक्षा (New Education Policy) प्रदान करें जो विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाएं, वह नौकरी खोजने के बजाए, नौकरी दाता बनें। शिक्षा का माध्यम अपनी बोली, भाषा को बनाएं। हमारे देश में ज्ञान का अपार भंडार है। हमारे ग्रंथों पर विदेशों में शोध किए जा रहे हैं और उन्हें अपनाया भी जा रहा है। योग जो हमारी प्राचीन विद्या है, उसे पूरे विश्व ने अपनाया है और विश्व योग दिवस के रूप में आयोजन भी किया जा रहा है।

राज्यपाल ने कहा कि हम यदि मंथन करें तो आज अथाह विद्या के मालिक होने के बावजूद हमारे देश में पश्चिमीकरण के प्रति दौड़ क्यों लगी है, क्यों हम दूसरी भाषाओं और संस्कृतियों को अपना रहे हैं। कहीं न कहीं इसका कारण हमारे पाठ्यक्रम और शिक्षा के माध्यम में रहा है। हमने अभी भी कई पुराने ग्रंथों, विद्या को सहेज कर रखने में कोताही बरती है और नई पीढ़ी को उसका ज्ञान भी नहीं दिया है।

उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि हम अपने पाठ्यक्रम में ऐसे विषयों को शामिल करें जो प्राचीन विद्या और ज्ञान पर आधारित हो। उन पर शोध करने के लिए शोधार्थियों को प्रोत्साहित करें। आज हम कोरोना जैसी भयानक बीमारियों से जूझ रहे हैं, हो सकता है कि हमारी प्राचीन औषधि पद्धति के जरिए इस प्रकार की बीमारियों से लडऩे की दवा मिले, जिसे हम अभी तक चिन्हित नहीं कर पाए हैं। नई शिक्षा नीति आज हमें तकनीकों को अपनाने के साथ-साथ अपनी संस्कृति और पुरातन विद्या से भी जोड़कर रखने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

उन्होंने कहा कि हमारे पास विश्वविद्यालयों में, शिक्षाविदों की बहुत बड़ी टीम है। निजी विश्वविद्यालय व्यावसायिक होने के बजाए ऐसी शिक्षा प्रदान करें जिससे संस्थान से अध्ययन करने के बाद, विद्यार्थी के व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास हो, वह अपनी संस्कृति पर गर्व कर सके और विदेश जाने के बजाए देश में ही रहकर उत्कृष्ट कार्य करे और देश की प्रगति में भागीदार बनें।

इस अवसर पर पूर्व निर्वाचन आयुक्त सुशील त्रिवेदी, विभिन्न विश्वविद्यालयों के वर्तमान और पूर्व कुलपति तथा आयोग के सदस्य, अधिकारीगण, गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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