Kuno National Park : PM मोदी ने चीता मित्रों से कहा- मेरे जैसे लोग तुम्हें परेशान करेंगे...? अचंभित |

Kuno National Park : PM मोदी ने चीता मित्रों से कहा- मेरे जैसे लोग तुम्हें परेशान करेंगे…? अचंभित

Kuno National Park: PM Modi told cheetah friends - people like me will trouble you...? amazed

Kuno National Park

नई दिल्ली/नवप्रदेश। Kuno National Park : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन (17 सितंबर) के मौके पर अफ्रीकी देश नामीबिया से लाए गए चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में आजाद किया। उन्होंने कल दो चीतों को छोड़ा। इसके बाद प्रधानमंत्री ने वहां मौजूद चीता मित्रों से भी बात की। इस दौरान पीएम मोदी ने उन्हें किसी के भी दबाव में नहीं करने सलाह दी। उन्होंने कहा कि अभी कई लोग आप पर चीते को दिखाने के लिए दबाव बनाएंगे, लेकिन आपको ऐसा नहीं करना है। उनकी यह सुनकर चीता मित्र भी हैरान रह गए।

किसी भी तरह के दबाव में नहीं आने की सलाह

प्रधानमंत्री ने चीता मित्रों से (Kuno National Park) कहा, ‘आप जैसे ही यह काम शुरू करोगे, सबसे पहली मुसीबत क्या आने वाली है? सबसे बड़ी समस्या नेता लोग करेंगे, मेरे जैसे। आपको बताया गया होगा कि थोड़े दिनों तक चीता देखने के लिए नहीं आना है। उन्हें अभी यहां के मौसम में ढलने देना है। इसके बाद वे बड़ी जगह पर जाएंगे, वहां इन्हें ढलने देना है। लेकिन हम नेता लोग आ जाएंगे। नेताओं के रिश्तेदार आ जाएंगे। टीवी वाले आ जाएंगे। आप पर दबाव डालेंगे। अफसरों पर दबाव डालेंगे।’

पीएम मोदी चीता मित्रों से आगे कहते हैं, ‘यह आपका काम है कि किसी को घुसने नहीं देना। मैं भी आऊं तो मुझे घुसने नहीं देना। मेरे नाम से मेरा कोई रिश्तेदार भी आ जाए तो उन्हें भी घुसने नहीं देना। जब तक चीतों के यहां के मौसम में व्यवस्थित होने का समय पूरा नहीं होता है, तब तक किसी को घुसने नहीं देना।’

चीता मित्र 400 युवाओं का है समूह

चीता मित्र लगभग 400 युवाओं का समूह है, जिन्हें चीतों (Kuno National Park) के महत्व के बारे में लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। चीता मित्रों से बातचीत में प्रधानमंत्री ने कहा कि जब तक चीते अपने नए बसेरे के अभ्यस्त नहीं हो जाते, जब तक वे उनके (मोदी) सहित किसी को भी केएनपी के अंदर नहीं जाने दें। प्रधानमंत्री ने याद किया कि कैसे उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए गिर में एशियाई शेरों की रक्षा की लिए गांव वालों को शामिल किया था।

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