Khabron Ke Galiyare se : खबरों के गलियारे से...

Khabron Ke Galiyare se : खबरों के गलियारे से…

रायपुर, नवप्रदेश। खबरों के गलियारे से…

…अब अगला आदिवासी नेता कौन?

नंदकुमार साय के कांग्रेस प्रवेश की पटकथा तभी लिखी जा चुकी थी जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उनकी बेटी के सगाई समारोह में गए थे। वैसे तो भाजपा की तत्कालीन सत्ता और मौजूदा संगठन में उपेक्षा जगजाहिर थी। लेकिन इस तरह के विस्फोट की उम्मीद नहीं थी। अब कयास यह लग रहा है कि अगले आदिवासी नेता (Khabron Ke Galiyare se) कौन। पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर भी कामावेश इसी दौर से गुजर रहे है। भाजपा की सरकार में गृहमंत्री रहते उनकी पीड़़ा यह थी कि उन्हें काम नहीं करने दिया जा रहा था, यही वजह थी कि 2018 में कांग्रेस के सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से उनकी नजदीकियां बढ़ी जो अब भी बरकरार है। कहीं ऐसा न हो कि चुनाव आते आते भाजपा में भगदड़ मच जाए।

इतना सन्नाटा क्यों है भाई…

हाईकोर्ट के एक फैसले से आदिवासियों का आरक्षण जब 32 से 20 हुआ तो भाजपा कांग्रेस की जुबानी जंग में नुकसान के दावे और वादे किए जाते रहे। यहां तक कि राज्यपाल का ट्रांसफर हो गया। नए राज्यपाल ने विधेयक पर साइन नहीं किए, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के स्टे से अजीबो-गरीब एक राजनीतिक सन्नाटा छाया हुआ है, क्योंकि यदि आदिवासियों का आरक्षण 20 से 32 फीसदी हुआ है तो अनुसूचित जाति का आरक्षण 16 से 12 फीसदी भी हुआ (Khabron Ke Galiyare se) है।

मंत्रालय के अधिकांश कमरे खाली…

मंत्रालय का मिनिस्टर ब्लाक सन्नाटे से सराबोर है। वैसे भी सचिव ब्लाक के अधिकांश कमरे खाली पड़े है और उपर से आईएएस अफसरों की लंबी  छुट्टियों ने मंत्रालय के सचिव ब्लाक को सूना कर दिया है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि ईडी का खौफ मंत्रालय में भी है। रहा सवाल मिनिस्टर ब्लाक का, तो पूरा मंत्रीमंडल ही अपने बंगले वाले कार्यालयो से सरकारी काम-काज निपटा रहा है। इससे अलहदा यह है कि आईएएस अफसरों की प्रतिनियुक्ति पर जाने की होड़ सी लगी हुई है। अभी 19 आईएएस अफसर राज्य के बाहर सेवा दे रहे है। इसलिए मंत्रालय के अधिकांश कमरे खाली (Khabron Ke Galiyare se) है।

राष्ट्रीय राजमार्ग और नरबलि…

छत्तीसगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के खूब काम चल रहे है। रायपुर से भिलाई के बीच बन रहे चार फ्लाई ओवर औसतन हर माह एक नरबलि ले रहे है। यानि काम-काज इतना धीमा और अस्त-व्यस्त कि बेतरतीब यातायात से हर माह औसतन एक दुर्घटना होती है जिसमें मौत होती है और हर घटना के बाद दोनों जिलों रायपुर और दुर्ग जिले का प्रशासन औचक निरीक्षण कर दिशा-निर्देश दे देते है। हालांकि इस मार्ग पर रोजाना चलने वाली जनता भी इस नरबलि के लिए उतनी ही जिम्मेदार है जितना राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण।

बिरगांव की महापौर अंबिका यदु…

छत्तीसगढ़ शासन ने एक तो लंबे समय बाद डायरी छापी उसमें भी बिरगांव के मौजूदा महापौर कांग्रेस के महेश देवांगन का नाम और नंबंर नहीं है बल्कि भाजपा की अंबिका यदु का नाम महापौर की सूची में छपा है। गौरतलब है कि बिरगांव नगर निगम का चुनाव तीन साल पहले हुआ और काग्रेस पार्षदों के बहुमत से महेश देवांगन महापौर बने, लेकिन  2023 में छपी सरकारी डायरी में बिरगांव की महापौर अंबिका यदु है। वहीं रायपुर नगर पालिक निगम के कमिश्नर के रुप में प्रभात मलिक का नाम छपा है जबकि उनका 9 माह पहले कलेक्टर गरियाबंद के लिए ट्रांसफर हो चुका है। वर्तमान में कमिश्नर मयंक चतुर्वेदी है।

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