Cop-26 में छत्तीसगढ़ की IAS ऋचा शर्मा ने रखा बेसिक देशों का पक्ष, जलवायु वित्त पोषण की जिम्मेदारी पर दिया जोर

Cop-26 में छत्तीसगढ़ की IAS ऋचा शर्मा ने रखा बेसिक देशों का पक्ष, जलवायु वित्त पोषण की जिम्मेदारी पर दिया जोर

In Cop-26, IAS Richa Sharma of Chhattisgarh placed the side of basic countries, emphasized on the responsibility of climate funding

Cop-26

रायपुर/नवप्रदेश। भारत सरकार के पार्यावरण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के पद पर पदस्थ छत्तीसगढ़ कैडर की IAS अधिकारी ऋचा शर्मा ने ग्लासगो में चल रहे जलवायु परिवर्तन वार्ता Cop-26 के स्टॉक टेकिंग सत्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने वार्ता में बेसिक समूह के चार देश ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, चीन तथा भारत की ओर से पक्ष रखा।

Cop-26 के दौरान भारत के नेतृत्व में ‘बेसिक’ देशों की प्रतिनिधि के तौर पर ऋचा शर्मा ने जलवायु वित्त पोषण को लेकर विकसित देशों को आड़े हाथों लिया। भारत की ओर से ऋचा शर्मा ने कहा कि यदि विकसित देश जलवायु वित्त पोषण की अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रहे तो विकासशील देशों के बढ़े हुए उत्सर्जन एवं नेट जीरो लक्ष्य खतरे में पड़ सकते हैं। क्योंकि वित्त के बगैर उन्हें पूरा करना संभव नहीं होगा।

भारत की मुख्य वार्ताकार तथा पर्यावरण मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव ऋचा शर्मा ने Cop-26 के स्टॉक टेकिंग सत्र में कहा कि ज्यादातर देशों ने अपने कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्यों में बढ़ोतरी की है। भारत समेत कई देशों ने नेट जीरो का भी ऐलान किया है। एक तरफ जहां विकासशील देश अपने लक्ष्यों में बढ़ोतरी कर रहे हैं, वहीं विकसित देश एक दशक पहले तय की हुई 100 अरब डॉलर की राशि का भी इंतजाम जलवायु खतरों से निपटने के लिए नहीं कर पा रहे हैं। न तो अब तक यह राशि एकत्र हुई है और न ही राष्ट्रों को प्रदान की गई है।

ऋचा शर्मा ने कहा कि यह राशि एक दशक पहले तय हुई थी और तब लक्ष्य भी अलग थे। लेकिन आज जब देशों ने अपने लक्ष्य बढ़ा दिए हैं, वे नेट जीरो के लिए कार्य कर रहे हैं तो इस राशि को बढ़ाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 2025 तक विकसित देश इसके लिए नए वित्तीय लक्ष्य की घोषणा करें। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों को जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वित्तीय मदद करना विकसित देशों की जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा कि जलवायु वित्तपोषण के बगैर नए जलवायु लक्ष्यों की प्राप्त खतरे में पड़ सकती है इसलिए विकसित देश जलवायु वित्तपोषण की राशि में इजाफा करें और उसे विकासशील देशों तक पहुंचाना भी सुनिश्चित करें। वैसे भी ऐतिहासिक रूप से यह विकसित देशों की जिम्मेदारी है क्योंकि मौजूदा खतरे के लिए वे ज्यादा जिम्मेदार हैं। इसलिए बेसिक देश इस मामले में विकसित देशों की जवाबदेही सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हैं।

गौरतलब हो कि ऋचा शर्मा 1994 बैच की छत्तीसगढ़ कैडर की IAS अधिकारी है और 2019 में केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली में हैं। ऋचा शर्मा छत्तीसगढ़ शासन में खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग की सचिव की जिम्मेदारी संभाल रही थी।

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