Farmer's Union : भारतीय किसान यूनियन में दरार

Farmer’s Union : भारतीय किसान यूनियन में दरार

Farmer's Union: Rift in the Bharatiya Kisan Union

Farmer's Union

Farmer’s Union : देश में नए कृषि कानूनों के विरोध में भारतीय किसान यूनियन ने विभिन्न किसान यूनियनों को एकजुट कर के संयुक्त किसान मोर्चा बनाया था। जिसने नई दिल्ली के बार्डरों पर लगभग एक साल तक आंदोलन किया और आखिरकार सरकार को किसानों के सामने झुकना पड़ा और तीनों कृषि कानूनों का रद्द करना पड़ा। इस पूरे किसान आंदोलन में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को बहुत प्रचार मिला।

हर खबरिया चैनलों पर राकेश टिकैत ही छाए रहते थे। आंदोलन के दौरान राकेश टिकैत की कार्यप्रणाली को लेकर किसान यूनियन (Farmer’s Union) के पदाधिकारियों ने कई बार असंतोष जताया और उनमें मतभेद भी गहराए थे लेकिन किसान आंदोलन में किसी तरह की कोई बाधा न आएं इसलिए सभी राकेश टिकैत की मनमानी को लेकर खामोश ही रहे। उनकी राजनीतिक महत्वकांक्षा किसी से छिपी नहीं थी।

जैसे ही सरकार ने तीनों कृषि कानून वापस लिए और किसान संगठनों की सभी मांगों पर सहमति की मुहर लगा दी तो इसके बाद भी राकेश टिकैत बार बार आंदोलन की धमकी देते रहे उन्होने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को हराने के लिए भी अपनी ताकत लगाई लेकिन उनके अपने ही इलाके में भाजपा ने शानदार जीत दर्ज कर राकेश टिकैत को उनकी औकात दिखा दी।

इसके बाद से किसान संगठन में राकेश टिकैत और उनके भाई जो भारतीय किसान यूनियन के स्वयंभू अध्यक्ष रहे है उनके खिलाफ माहौल बनने लगा, अखिरकार भारतीय किसान यूनियनों के पदाधिकारियों ने टिकैत बंधुओं को बाहर का रास्ता दिखा दिया और भारतीय किसान यूनियन के साथ अराजनैतिक संगठन लगाकर किसान यूनियन को नया रूप दे दिया। राकेश टिकैत ने अपनी ओर से समझाने की बहुत कोशिश की और सफाई भी दी लेकिन उनकी एक नहीं चली।

अब राकेश टिकैत (Farmer’s Union) यह कह रहे है कि उनका भारतीय यूनियन यथावत कायम है कुछ लोगों ने अलग संगठन जरूर बना लिया है। उन्होने आरोप लगाया है कि किसी भी दबाव में ही किसान संगठन के कुछ नेताओं ने अलग होने का निर्णय लिया है। बहरहाल सच्चाई जो भी हो लेकिन यह तो तय है कि देश के सबसे बड़ किसान संगठन में दरार पड़ चुकी है ऐसे में अब किसानों की लड़ाई कैसे आगे बढ़ेगी यह सोचने का विषय है। अब देखना दिलचस्प होगा कि बेआबरू होकर कूचे से निकाले गए राकेश टिकैत अब अपने पुराने किसान संगठन का अस्तित्व बनाए रखने के लिए कौन सा रूख अख्तियार करते है और जो नया किसान संगठन अस्तित्व में आया है वह किसानों के हितों की रक्षा के लिए कैसी रणनीति बनाता है।

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