Destroyer War : बाहुबली विध्वंसक युद्धपोत आईएनएस मोरमुगाओ
किशन भावनानी। Destroyer War : वैश्विक स्तर पर हर देश को अपने-अपने रक्षा क्षेत्रों को मज़बूत करने का झुकाव यूक्रेन रूस के बढ़ते लंबी अवधि विध्वंसक युद्ध के कारण बदलते राजनीतिक क्रम में तीसरे विश्वयुद्ध की विनाशकारी संभावनाओं को बलमिलता जा रहा है,क्योंकि यह सर्वविदित है कि नाटो देश पिछले दरवाजे से यूक्रेन को मदद पहुंचा रहे हैं, जिससे रूस भड़का हुआ है और विश्व में परमाणु बम की चर्चा चली हुई है। वही हमारे पड़ोसी विस्तारवादी मुल्क से भी तवांग में विवाद का मुद्दा संसद से सड़क तक सुर्खियों में है।
वहीं पड़ोसी मुल्कों ने भी वहां के विदेश मंत्री द्वारा (Destroyer War) हमारे पीएम पर यूएन में टिप्पणी के कारण तल्खी में है और परमाणु शक्ति होने के हिलोरे मार रहा है,वह भी उस भारत पर जो अब पहले जैसा भारत नहीं बल्कि वैश्विक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है उसी तरह हिंद महासागर में विस्तारवादी देश के बढ़तेदखल पर लगाम लगाने के लिए अब भारत ने अपनी नौसेना में दिनांक 18 दिसंबर 2022 को एक बाहुबली उतार दिया है जिसका नाम है विध्वंसक युद्धपोत आईएनएस मोरमुगाओ चूंकि आज देश के जवानों का हौसला बुलंद और सातवें आसमान पर है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, स्वदेशी बाहुबली युद्धपोत आईएनएस मोरमुगाओ जो भारतीय सुरक्षा में मील का पत्थर साबित होगा।
साथियों भारतीय नौसेना प्रमुख ने भी कहा है, स्वदेशी युद्धपोत निर्माण के इतिहास में आज का दिन एक और मील का पत्थर है क्योंकि हम विध्वंसक मोरमुगाओ को चालू कर रहे हैं। इसके सहयोगी जहाज विशाखापत्तनम को एक साल पहले ही भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। उन्होंने कहा,यह उपलब्धि पिछले दशक में युद्धपोत डिजाइन और निर्माण क्षमता में हमारी ओर से उठाए गए बड़े कदमों का संकेत है। नौसेना में शहरों के नाम पर जहाजों के नामकरण की परंपरा रही है, जो दोनों के बीच एक स्थायी संबंध स्थापित करता है।भारतीय नौसेना के बेडे में आधुनिक हथियारों से लैस आईएनएस मोरमुगाओ शामिल हो गया है। रक्षामंत्री ने इसे इंडियन नेवी को सौंपा है हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल के बीच इस युद्धपोत का इंडियन नेवी में शामिल होना महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
युद्धपोत के मिलने से भारतीय नौसेना की ताकत में काफी इजाफा हुआ है। इसे मुंबई में स्थित नेवी के डॉकयार्ड में तैनात किया गया है। इस विध्वंसक युद्धपोत से भारतीय नौसेना की हिंद महासागर में पहुंच बढ़ेगी और देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा काफी मजबूत होगी। यह सबसे आधुनिक युद्धपोत में से एक है जिसके तकरीबन 75 फीसदी उपकरण और हथियार भारत में बने हैं। आईएनएस मोरमुगाओ का नाम गोवा के ऐतिहासिक बंदरगाह शहर के नाम पर रखा गया है।
साथियों बात अगर हम युद्धपोत की विशेषताओं की करें तो, यह पूरी तरह से स्वदेशी युद्धपोत है और भारत के निर्मित सबसे घातक युद्धपोतों में शामिल है। भारतीय नौसेना के अनुसार, यह युद्धपोत दूरसंवेदी उपकरणों, आधुनिक रडार और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल जैसी हथियार प्रणालियों से लैस है। इस युद्धपोत ने 19 दिसंबर 2021 को पहली बार समंदर में कदम रखा था। मीडिया से मिली जानकारी के मुताबिक, इस विध्वंसक युद्धपोत को भारतीय नौसेना के वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने डिजाइन किया है और इसका निर्माण मुंबई की मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने किया है।
यह युद्धपोत दूरसंवेदी उपकरणों, आधुनिक रडार और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, रॉकेट लॉन्चर और टोरपीडो जैसे हथियारों से लैस है। इसकी वजह से दुश्मन देशके जहाज पर हमेशा भारीपड़ेगा। नौसेना ने मीडिया में बताया, इस युद्धपोत की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर और वजन 7,400 टन है। इस युद्धपोत में चार शक्तिशाली गैस टर्बाइन लगी हैं जिनकी मदद से यह जंगी जहाज 30 समुद्री मील से अधिक की रफ्तार से चल सकता है। आधुनिक रडार की मदद से इस युद्धपोत पर बेहद खराब मौसम के दौरान भी नौसेना के हेलीकॉप्टर लैंड कर सकेंगे। आईएनएस मोरमुगाओ 127 मिलीमीटर गन से लैस है, इसमें एके-630 एंटी मिसाइल गन सिस्टम भी है।
इस युद्धपोत में लगीं मिसाइलें आसमान में उड़ते विमान पर 70 किलोमीटर और जमीन या समुद्र पर मौजूद लक्ष्य पर 300 किलोमीटर दूर से निशाना लगाने में सक्षम हैं। यह स्वदेशी युद्धपोत परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध के समय भी बचाव करने में सक्षम है। इसकी सबसे खास बात ये है कि इसकी बाहरी परत को स्पेशल स्टील से बनाया गया है, ताकि दुश्मन राडार पर इसे लोकेट न कर पाए। इस युद्धपोत को प्रोजेक्ट 15बी के तहत निर्मित किया गया है। इस प्रोजेक्ट में चार विध्वंसक युद्धपोतों को निर्मित किया जा रहा है। अभी दो युद्धपोतों (आईएनएस इम्फाल और आईएनएस सूरत) का निर्माण कार्य भी मझगांव डॉकयार्ड में तेजी से चल रहा है। प्रोजेक्ट 15बी के तहत भारत वलर््ड क्लास मिसाइल डिस्ट्रॉयर्स तैयार कर रहा है. इनकी क्वालिटी अमेरिका और यूरोप के नामी शिपबिल्डर्स को टक्कर देती है, इससे पहले प्रोजेक्ट 15 ए के तहत आईएनएस कोलकाता, आईएनएस कोच्चि और आईएनएस चेन्नै अस्तित्व में आए हैं।
प्रोजेक्ट 15ए की खास बात यह रही कि प्रमुख रूसी सिस्टम्स को स्वदेशी सिस्टम्स से बदला गया। साथियों बात अगर हम इसकी विध्वंसक क्षमता की करें तो इसकी पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं को देश में ही विकसित किया गया है। इसके अलावा इसमें रॉकेट लॉन्चर, तारपीडो लॉन्चर और एसएडब्लू हेलीकॉप्टर की व्यवस्था भी है। इसमें आणविक, जैविक और रासायनिक युद्ध परिस्थितियों से लडऩे में सक्षम है। मोरमुगाओ की नीव जून 2015 में रखी गई थी और जहाज को 17 सितंबर, 2016 को लॉन्च किया गया था।
डिजाइन ने बड़े पैमाने पर पतवार (Destroyer War) के रूप, प्रणोदन मशीनरी, बहुत सारे प्लेटफॉर्म उपकरण और प्रमुख हथियार और सेंसर को बनाए रखा है। अत: अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि बाहुबली विध्वंसक युद्धपोत आईएनएस मोरमुगाओ स्वदेशी युद्धपोत निर्माण के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा। हिंद महासागर में चीन के बढ़ते दख़ल के नहले पर भारत का स्वदेशी आईएनएस मोरमुगाओ का विध्वंसक दहला होगा।