State Level Function : भाषाविद मानते हैं- छत्तीसगढ़ी भाषा है समृद्ध |

State Level Function : भाषाविद मानते हैं- छत्तीसगढ़ी भाषा है समृद्ध

State Level Function: Linguists believe- Chhattisgarhi language is rich

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रायपुर/नवप्रदेश। State Level Function : साहित्य संस्थान “छन्द के छ” का राज्य स्तरीय समारोह बैस भवन में सोल्लास सम्पन्न हुआ। समारोह के मुख्य अतिथि भाषाविद डॉ. चितरंजन कर, अध्यक्ष कमल वर्मा (प्रदेश अध्यक्ष छ.ग. राजपत्रित अधिकारी संघ) एवं विशिष्ट अतिथि-डॉ. सुधीर शर्मा (भाषाविद), विजय मिश्रा “अमित” (प्रसिद्ध रंगकर्मी) और इंजी.पूरन सिंह बैस जी (अध्यक्ष बैस कुर्मी क्षत्रिय समाज), संस्था के संस्थापक अरुण निगम सहित बड़ी संख्या में छंद साधक उपस्थित थे। उल्लेखनीय है छत्तीसगढ़ के गिरधर कविराए स्व कोदुराम ‘दलित’ के सुपुत्र अरूण निगम ने आनलाईन गुरुकुल “छंद के छ” संचालित करके  छत्तीसगढ़ी में छंदबद्ध लेखन का सूत्रपात किया है।

समारोह में बोधनराम निषादराज, शुचि भवि, द्वारिकाप्रसाद लहरे ,जगदीश “हीरा” साहू की कृति का  विमोचन हुआ। इन पर छन्दकार जीतेन्द्र वर्मा “खैरझिटिया”, ज्ञानुदास मानिकपुरी,अश्वनी कोसरे और मनीराम साहू “मितान” ने चर्चा की। अपने संबोधन में डॉ कर ने कहा कि किसी भी भाषा में अन्य भाषाओं की बोली का ब्याकरण  सम्मत समावेश वर्जित नहीं है, तभी भाषा  प्रचलन और प्रवाह में बनी रहेगी। कमल वर्मा ने महतारी भाखा को समृद्ध करने  छंदकारों को बधाई देते जनकवि लक्ष्मण मस्तुरिया के संस्मरणों को साझा किया।

विशेष अतिथि डॉ. शर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा को समृद्ध करने संस्था के योगदान को अविस्मरणीय बताया। इसी क्रम में विजय मिश्र ने कहा कि मकड़ी अपने नैसर्गिक गुणों के कारण नपा-तुला, ज्यामितीय जाल बुनती है उसी तरह की नैसर्गिक प्रतिभा छन्दकारों में दिखाई दे रही है। इंजी. पूरन बैस ने  छत्तीसगढ़ी साहित्य, संस्कृति के संवर्द्धन का आव्हान किया‌। वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा,रामनाथ साहू ने छंदकारों का उत्साहवर्धन किया।

छंदकार बलराम चंद्राकर,विजेंद्र वर्मा के संयोजन में 110 छंदकारों ने विभिन्न छंदों में काव्य पाठ किया। संचालन अजय अमृतांशु, जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया, ईश्वर साहू ,आरुग, मोहन निषाद, अश्वनी कोसरे और गजराज दास महंत ने किया ‌कार्यक्रम  में छंदकार सूर्यकांत गुप्ता, मीता अग्रवाल,चोवाराम वर्मा “बादल”, आशा देशमुख, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर, ज्ञानुदास मानिकपुरी आदि की महती भूमिका रही।

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