संपादकीय: बांंग्लादेश में गृहयुद्ध के हालात

संपादकीय: बांंग्लादेश में गृहयुद्ध के हालात

Situation of civil war in Bangladesh

Situation of civil war in Bangladesh

Situation of civil war in Bangladesh: पड़ौसी देश बांग्लादेश में एक बार फिर गृहयुद्ध के हालात निर्मित होने लगे हैं। वहां कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस भी कब देश छोड़कर भाग जाएं इसका कोई भरोसा नहीं है। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया भी बांग्लादेश छोड़कर लंदन जा चुकी है।

जबसे बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट हुआ है तब से पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत में शरण लिये बैठी है। बांग्लादेश की दोनो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के नेता देश से बाहर है और वहां जो छोटी मोटी राजनीतिक पार्टियां हैं वे लगातार चुनाव कराने की मांग को लेकर आंदोलन कर रही है। जिसकी वजह से वहां हालात बिगड़ते जा रहे हैं। बांग्लादेश की आर्मी भी तीन भागों में बंट चुकी है।

आर्मी का एक गुट शेख हसीना का समर्थक है तो दूसरा गुट खालिदा जिया की वापसी कराना चाहता है। सेना की एक गुट ही मोहम्मद यूनुस की काम चलाऊ सरकार का समर्थक है। ऐसे यदि वहां गृहयुद्ध छिडता है तो हालत बहुत गंभीर हो जाएंगे। इस बीच बांग्लादेश के आंदोलनकारी छात्र संगठन के नेता ने शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर दी है।

उसका कहना है कि आवामी लीग से चुनाव लडऩे पर रोक लगाई जाये। जबकि बांग्लादेश में कब चुनाव होंगे यह कोई नहीं जानता वहां के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस के लिए अपनी सरकार चला पाना मुश्किल हो रहा है। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। बांग्लादेश की काटन इंडस्ट्रीस अंतिम सांसे गिन रही है। वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने भी अब बांग्लादेश को आर्थिक मदद देने से इंकार कर दिया है।

अमेरिका के नये राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बांग्लादेश को दी जाने वाली वित्तीय मदद पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इधर चीन ने भी अपने हाथ खींच लिये हैं। चीन का मानना है कि बांग्लादेश ने अमेरिका ने ही तख्ता पलट कराया था और मोहम्मद यूनुस को वहां का कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनवा दिया था।इसलिए अब चीन भी बांग्लादेश की मदद करने से पिछे हट गया है। भारत से तो पहले ही बांग्लादेश ने पंगा ले रखा है।

इसलिए भारत द्वारा बांग्लादेश की किसी भी तरह की मदद का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। लेदेकर बस एक पाकिस्तान ही बचा है जो बांग्लादेश का मददगार बना हुआ है। लेकिन पाकिस्तान ही दिवालिएपन की कगार पर पहुुंच चुका है ऐसे में वह बांग्लादेश की क्या मदद कर पाएगा। उसके लिए तो यही स्थिति है कि नंगा नहाएगा क्या और निचोडग़ा क्या।

जाहिर है आर्थिक बदहाली का शिकार हो चुके बांग्लादेश में आगे चलकर स्थिति और ज्यादा गंभीर होने जा रही है। ऐसे में वहां गृहयुद्ध छिड़ जाए तो कोई ताज्जुब नहंी होगा। रही बात भारत की तो उसके लिए अभी भी यह चिंता का विषय है कि बांग्लादेश में रह रहे हिन्दुओं की जान माल की हिफाजत कैसे हो।

शेख हसीना की सरकार का तख्तापलट होने के बाद से वहां के हिन्दुओं पर लगातार हमले हो रहे हैं। यदि बांग्लादेश में गृहयुद्ध भड़कता है तो जाहिर है कि वहां की हिन्दु ही फिर से निशाने पर आएंगे। इसलिए भारत को बांग्लादेश के हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अपनी आवाज उठाने के साथ ही कुटनीतिक प्रयास तेज करने होंगे।

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