Yogi Adityanath Oath Ceremony : उप मुख्यमंत्री का नाम फाइनल

Yogi Adityanath Oath Ceremony : उप मुख्यमंत्री का नाम फाइनल

Yogi Adityanath Oath Ceremony: Deputy Chief Minister's name final

Yogi Adityanath Oath Ceremony

लखनऊ। Yogi Adityanath Oath Ceremony : उप मुख्यमंत्री के लिए केशव प्रसाद मौर्य का नाम फाइनल उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2022 में प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापसी कर रही भारतीय जनता पार्टी को योगी आदित्यनाथ के रूप में विधायक दल के नेता भी दोबारा मिला है। भाजपा का फोकस मिशन 2024 पर है, इसको देखते हुए योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल 2.0 में जातीय व क्षेत्रीय समीकरण के साथ पुरानी कैबिनेट में रहे विधायकों का सम्मान भी बरकरार रखा जाएगा। योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को शाम को चार बजे अटल बिहारी वाजपेयी इकाना इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में मंत्रियों के साथ शपथ लेंगे।

डिप्टी CM दो ही रहेंगे

योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को करीब चार दर्जन मंत्रियों के साथ शपथ लेंगे। इनमें दो उप मुख्यमंत्री भी हैं। एक पर तो केशव प्रसाद मौर्य का नाम फाइनल है, दूसरे पर डा. दिनेश शर्मा के बाद अब ब्रजेश पाठक का भी नाम आ गया है। ब्रजेश पाठक डिप्टी सीएम बनाए जा सकते हैं। ब्रजेश पाठक का कद बढ़ाया जा सकता है। भाजपा अब ब्राह्मणों की लीडरशिप में बदलाव करेगी। यह तो तय है कि डिप्टी सीएम दो ही रहेंगे।

योगी का मंत्रिपरिषद 50 सदस्यीय होगा

मुख्यमंत्री समेत योगी आदित्यनाथ का मंत्रिपरिषद 50 सदस्यीय होगा। बीते दो-तीन दिन में जिन विधायकों का आरटीपीसीआर टेस्ट हुआ है, उनका मंत्री बनना तय है। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में उनको ही मंच पर जाने की इजाजत होगी, जिनका कोरोना टेस्ट हुआ है। 45-50  विधायकों के साथ 70 लोगों को मंच पर स्थान मिलेगा। इनमें राज्यपाल तथा मुख्य सचिव व डीजीपी के साथ पीएम की सुरक्षा में लगे कमांडो भी हैं।

शपथ ग्रहण से पहले किसी से भी नहीं मिलेंगे योगी आदित्यनाथ

मुख्यमंत्री पद की शपथ (Yogi Adityanath Oath Ceremony) लेने से पहले योगी आदित्यनाथ किसी से भी नहीं मिलेंगे। कयास लगाए जा रहे थे कि आज जिन विधायकों को मंत्री पद की शपथ लेने है, उनको मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर चाय पर बुलाया गया है। यहां पर किसी को चाय पर नहीं बुलाया गया है। सीएम आवास पर चाय पर चर्चा का कोई कार्यक्रम नहीं है। सीएम के सरकारी आवास से किसी विधायक या पूर्व मंत्री को चाय पर नहीं बुलाया गया है। आज शपथ ग्रहण के पहले मुख्यमंत्री किसी से नहीं मिलेंगे।

मंत्रिमंडल को लेकर तमाम अटकलें

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद से ही योगी मंत्रिमंडल को लेकर तमाम अटकलें चल रही हैं। इसमें हर नाम के पीछे अपने-अपने तर्क भी हैं। सर्वाधिक चर्चा इसकी है कि अब उपमुख्यमंत्री कौन बनेगा। केशव प्रसाद मौर्य चुनाव हार गए हैं, इसलिए उनकी दावेदारी कमजोर कही जाने लगी तो डा. दिनेश शर्मा को संगठन में भेजने की चर्चा चल पड़ी। इसी दौरान भाजपा ने चुनाव हारे पुष्कर सिंह धामी को दोबारा उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया तो केशव को लेकर कयास बदल गए। अब वही फार्मूला यहां भी लागू हो सकता है। मौर्य संगठन का कौशल रखते हैं और पिछड़ा वर्ग के प्रमुख नेताओं में शामिल हैं।

उन्हें दोबारा डिप्टी सीएम बनाकर पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले ब्राह्मण वर्ग को नाराज क्यों करना चाहेगी, इसी कारण डा. दिनेश शर्मा भी दोबारा बनाए जा सकते हैं। इन तर्कों को हवा तब भी मिली, जब विधायक दल की बैठक के मंच पर दोनों को स्थान मिला और फिर सरकार बनाने का प्रस्ताव देने के लिए राजभवन गए प्रतिनिधिमंडल में भी वह शामिल रहे। इस पद के दावेदारों में कई दिन से भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और दलित नेता के रूप में उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबीरानी मौर्य का नाम भी चल रहा है। अब इनका कैबिनेट मंत्री बनाया जाना तय माना जा रहा है।

इसके साथ ही प्रमुख पदों में विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी भी है। अटकलें हैं कि संसदीय कार्य के अनुभवी, नौवीं बार के विधायक सुरेश खन्ना को यह दायित्व सौंपा जा सकता है, जबकि संसदीय कार्यमंत्री वरिष्ठ और अनुभवी विधायक सूर्यप्रताप शाही बनाए जा सकते हैं।

ब्यूरोक्रेटस एके शर्मा, असीम अरुण और राजेश्वर को भी मिलेगा मौका

कैबिनेट मंत्री की सूची में सेवानिवृत आइएएस अफसर एमएलसी एके शर्मा, कन्नौज सदर से जीते। पूर्व आइपीएस अफसर असीम अरुण तथा लखनऊ के सरोजनी नगर से विधायक पूर्व पीपीएस अफसर राजेश्वर सिंह के नाम भी संभावित हैं। इनमें असीम का दावा दलित होने के नाते भी मजबूत हो जाता है। इन तीनों को ही महत्वपूर्ण विभाग दिए जा सकते हैं। केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कई सेवानिवृत्त अधिकारियों को मंत्री बनाया जा चुका है, इसलिए इस फार्मूले में यह तीनों फिट बैठते हैं।

फिर लौटेंगे पुरानी कैबिनेट के दिग्गज

योगी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य, डा. धर्म सिंह सैनी और दारा सिंह चौहान को हटा दें तो ग्यारह मंत्री चुनाव हार गए हैं। केशव के अतिरिक्त किसी हारे मंत्री को दोबारा यह मौका दिए जाने की संभावना बहुत कम है, लेकिन कैबिनेट में रहे पुराने दिग्गजों की वापसी तय है। इनमें सतीश महाना, जयप्रताप सिंह, आशुतोष टंडन, श्रीकांत शर्मा, बृजेश पाठक, कपिल देव अग्रवाल, नंदगोपाल गुप्ता नंदी, जितिन प्रसाद आदि नाम हैं, जिन्हें पहले से अधिक महत्वपूर्ण विभाग दिए जा सकते हैं।

योगी के नए मंत्रिमंडल में गठन का आधार ये बनेंगे

बड़ी (Yogi Adityanath Oath Ceremony) जीत, महिला, युवा और जातीय समीकरण सहित कई पैमाने योगी के नए मंत्रिमंडल के गठन का आधार बनेंगे। इनके साथ युवाओं में पंकज सिंह, नीरज बोरा, शलभमणि त्रिपाठी, अदिति सिंह, प्रकाश द्विवेदी जैसे नाम हो सकते हैं तो विपक्षी दिग्गजों को हराने वालों में राजेश चौधरी, केतकी सिंह, दयाशंकर सिंह जैसे नाम शामिल हैं। पिछली सरकार में विधानसभा उपाध्यक्ष बनाए गए नितिन अग्रवाल अबकी मंत्री बनाए जा सकते हैं। अपना दल एस के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष पटेल और निषाद पार्टी के अध्यक्ष डा. संजय निषाद का भी इस बार कैबिनेट मंत्री बनना तय माना जा रहा है।

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