Kabul:अफगानिस्तान में तालिबान ने नहीं कर पाया इस प्रान्त पर अब तक कब्जा,पढ़ें पूरी खबर…..

Kabul:अफगानिस्तान में तालिबान ने नहीं कर पाया इस प्रान्त पर अब तक कब्जा,पढ़ें पूरी खबर…..

Taliban has not been able to capture this province in Afghanistan so far, read full news…..

Kabul

काबुल। तालिबान ने पूरे अफगानिस्तान पर (Kabul) कब्जा कर लिया है, जिसके बाद वहां मची अफरा तफरी का मंजर शायद ही किसी ने ऐसी अराजकता देखी हो। अभी तक लोग बसों और ट्रेनों के पीछे भागते नजर आते थे लेकिन यह नजारा पहली बार विमान के साथ दौड़ते हुए देखा गया। इतना ही नहीं लोगों को हवाई जहाज से गिरते देख लोगों का दिल पसीज गया।

लेकिन इन सबके बीच अफगानिस्तान में ऐसा भी प्रांत है जहां अभी भी सब कुछ सामान्य है। तालिबान ने इस प्रान्त में अब तक कभी भी कब्जा नहीं कर पाया है। अफगानिस्तान का पंजशीर घाटी एक ऐसी जगह है जहां अब तक तालिबान कब्जा नहीं कर पाया बल्कि भविष्य में भी इसकी संभावना भी नहीं दिखाई देती। यहां तक कि रूस भी यह प्रयास कर चुका है। जिसमे रूस ने सिर्फ हवाई हमले ही किये लेकिन जमीनी लड़ाई में मात खा गया। पंजशीर की घाटी की दूरी अफगानिस्तान की राजधानी काबुल (Kabul) से लगभग 150 किमी हैं।

पंजशीर घाटी बेहद ही खूबसूरत है और यहां अफगानिस्तान का ताजिक समुदाय बड़ी संख्या में रहता है। लगभग डेढ़ लाख लोग यहां निवास करते हैं और पंजशीर नदी यहां से होकर गुजरती है। पन्ना और चांदी सहित अन्य रत्न बड़ी मात्रा यहां पाए जाते हैं।

तालिबान मुख्य रूप से पश्तूनों का समूह है। तालिबानी आतंकवादियों का यह समूह पाकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर बड़ी संख्या में रहते हैं। वैसे अफगानिस्तान में 40 प्रतिशत पश्तून रहते हैं इसके अलावा 60 प्रतिशत में अन्य समुदाय आते हैं जिनमें ताजिक, अहमदिया आदि शामिल हैं।

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ताजिक समुदाय तालिबानियों का दुश्मन है और ये तालिबानियों के लिए बड़ा सिरदर्द है। पूर्व उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह और गुलबुद्दीन हिकमतयार, अहमद शाह मसूद के बेटे उमर मसूद सहित कई पूर्व मंत्री यहां एक जुट हो रहें हैं। आने वाले दिनों में पंजशीर से तालिबान के खिलाफ मोर्चा तैयार होने वाला है जिसकी रूपरेखा बनाने के लिए एक बैठक भी वहां हो चुकी है। आश्चर्य नहीं होगा जब जल्द ही पुराने दल एक हो कर गठबंधन तैयार कर तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे।

पंजशीर के रहने वाले अफगानिस्तान (Kabul) के प्रथम उपराष्ट्रपति अमरूल्ला सालेह ने तालिबान के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। सालेह ने टि्वट कर अफगानिस्तान के संविधान का हवाला देते हुए कहा है “अफगानिस्तान के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, पलायन, इस्तीफा या मृत्यु में एफवीपी कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है। मैं वर्तमान में अपने देश के अंदर हूं और वैध देखभाल करने वाला राष्ट्रपति हूं। मैं सभी नेताओं से उनके समर्थन और आम सहमति के लिए संपर्क कर रहा हूं।”

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