मजबूत भारत की आधारशिला इस्पात उत्पादन प्रोत्साहन योजना

मजबूत भारत की आधारशिला इस्पात उत्पादन प्रोत्साहन योजना

Steel Production Promotion Scheme The cornerstone of strong India

Industrial Revolution

Industrial Revolution : बातचीत में हम अक्सर लौह युग की बात करते हैं, लौहे की खोज, उत्पत्ति व विकास ही औद्योगिक क्रांति की सही शुरुआत है। इसके बगैर हम औद्योगिक विकास की कल्पना नहीं कर सकते। भारत अब कच्चे स्टील उत्पादन में दुनिया का दूसरा नंबर का देश बन गया है।

गुरुवार 22 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विशेष प्रकार के इस्पात के उत्पादन को बढ़ावा देने, निवेश आकर्षित करने और रोजगार के नए अवसर सृजित करने के लिए 6322 करोड़ की उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी है। मोदी मंत्रिमंडल का यह फैसला भारतीय उद्योग, (Industrial Revolution) रोजगार व आने वाले नए भारत के मजबूत मेरुदंड का काम करेगा।

भारत इस्पात उत्पादन में दुनिया का दूसरा नंबर का देश है। अब तक भारत कच्चा इस्पात बड़ी मात्रा में निकालता है और अन्य देशों को निर्यात करता है। लेकिन अब स्पेशियलटी स्टील के उत्पादन –सम्बद्ध प्रोत्साहन को मंजूरी मिल गई है जिसके तहत पीएलआई योजना के तहत कंपनियों को यह सुनिश्चित करना है कि विशेष स्टील बनाने में ,प्रयुक्त इस्पात देश के भीतर पिघलाया और ढाला जाएगा। इससे साफ होता है कि इस्पात विनिर्माण में प्रयुक्त कच्चा माल भारत में ही बनाया जाएगा।

मोदी मंत्रिमंडल के इस फैसले में किसी एक कंपनी या समूह को एक साल में 200 करोड़ रुपए तक प्रोत्साहन राशि दिया जाएगा। इसकी अवधि पाँच वर्षों 2023-24 से 2027-28 तक होगी। इस योजना के तहत 40,000 करोड़ का निवेश होने से 25 मिलियन टन क्षमता का बढऩे की उम्मीद है। जिससे 33,000 करोड़ रूपए की विदेशी मुद्रा भी हमें आने वाले समय में प्राप्त होगी। विशेष स्टील का निर्यात भी 55 लाख टन होने ही उम्मीद बतायी जा रही है।

करीबन 5,2500 लोगों को रोजगार मिलेगा जिसमें 68,000 प्रत्यक्ष रोजगार होगा। भारत दुनिया के सबसे अधिक युवा आबादी वाले देश हैं।यहाँ के युवाओं को रोजगार चाहिए तभी भारत समृद्ध भारत हो बन पाएगा। इस योजना से सीधे फायदा युवाओं के कैरियर को होगा। जहां रोजगार के प्रयाप्त अवसर मिलेंगे वहाँ के लोग, समाज व देश खुशहाल होंगे। भारत में इस्पात के प्रचुर भंडार मौजूद हैं, इसका समुचित दोहन आवश्यक है।

इस्पात (Industrial Revolution) से ही हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाले छोटे से लेकर बड़े –बड़े तकनीक या टूल बनते हैं। सुई लेकर भारी विमान- औद्योगिक ढांचे सब इसी स्टील (इस्पात) से ही बने होते। सभी तरह के मशीननरीज़ कल- पुर्जे सब इन्ही स्टील से बने होते हैं। स्टील के बगैर आप किसी भी छोटे से लेकर बड़े मशीनरीज़ की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। इस पीएलआई योजना के तहत कोटेड/ प्लेटेड इस्पात उच्च क्षमता वाले स्टील, विशेष प्रकार के रेल ,अलाय स्टील उत्पाद और स्टील वायर औरइलेक्ट्रिकल स्टील आएंगे। इन उत्पादों का उपयोग रेफ्रीजरेटर,वाशिंग मशीन, जैसे इलेक्ट्रिक उत्पादों वाहनों के कल पुर्जों, तेल एवं गैस परिवहन के पाइप,वायलट,रक्षा क्षेत्र में काम आने वाले बैलिस्टिक आर्मर शीट,हाई-स्पीड रेलवे लाइन, टरबाइन उपकरणों, बिजली ट्रांसफार्मर और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए किया जाता है।

खनिज किसी भी देश के लिए मजबूत आधार होता हैं। खनिज से ही किसी भी देश की संपन्नता मापी जाती है। खनिज के मामले में भारत में उन्नत देश है। अब बात करते हैं इस्पात की तो भारत में इस्पात के प्रचुर भंडार मौजूद हैं, इसका समुचित दोहन भी आवश्यक है। भारत के कर्नाटक, ओड़ीसा, झारखंड व छत्तीसगढ़ बड़े लौह उत्पादक राज्य हैं,यहाँ प्रचुर मात्रा में लौह अयस्क मौजूद हैं।

छत्तीसगढ़ के परिपेक्ष्य में देखें तो यहाँ इस्पात के प्रयाप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। भिलाई स्टील प्लांट, छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरी दुनिया में विख्?यात हैं। दंतेवाड़ा जिले का प्रसिद्ध बैलाडिला का लोहा पूरी दुनिया मानती हैं,यहाँ की खदान की लोहा दुनिया के सबसे उच्चतम कोटि का लोहा माना जाता है।यहाँ का कच्चा लोहा एनएमडीसी संयंत्र के माध्यम से विशाखापट्टनम बंदरगाह के माध्यम से जापान जाता है। इसी तरह कांकेर जिले स्थित रावघाट का लोहा भी उच्च क्वालिटी का माना गया है।

इसे विशेष इस्पात उत्पादन –सम्बद्ध प्रोत्साहन (स्पेशियलटी स्टील) योजना से जुड़ेंगे तो प्रदेश सहित देश को समुचित लाभ मिलेगा। इस इस्पात से पूंजी निवेश, औद्योगीकरण,रोजगार-व्यवसाय व बाजार को आप में जोडऩे की जरूरत है, तभी देश आत्मनिर्भरता की ओर गतिमान होगा और कोरिया-जापान आदि इस्पात विनिनिर्माण देशों के समकक्ष आएगा।

आज भी भारत से कच्चे लोहे अन्य देशों को निर्यात किया जाता है। वहाँ उन्नत तकनीक से इस लोहे को पिघलाकर ढालकर विशेष स्टील बनाकर अन्य अलग-अलग कंपनी व देशों को निर्यात होती हैं, जिससे उन देशों को पूंजी प्राप्त होती है। इस स्पेशियलटी स्टील गलाई –ढलाई व सफाई व वितरण में रोजगार के अच्छे अवसर भी देखने को मिलता है।

भारत सरकार द्वारा द्वारा लिए गए पीएलआई योजना (Industrial Revolution) से भारत सरकार अब कच्चे इस्पात के बजाय विशेष इस्पात के निर्यात करेगी जिससे सरकारी कोष को पूंजी मिलेगी, पूंजी का बेहतर निवेश होगा ,आने वाले समय में रोजगार के पर्याप्त अवसर हमारे युवाओं को मिलेगा। इस तरह से मोदी मंत्रिमंडल ने इस पंचवर्षीय औद्योगिक नीति से भारत को उन्नत व मजबूत भारत निर्माण के लिए नींव रखी है। इस पीएलआई योजना से भारत कोनिश्चित रूप से मजबूती मिलेगी।

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