Schemes Promoting Freebies : वरिष्ठ अफसरों की चिंता वाजिब

Schemes Promoting Freebies : वरिष्ठ अफसरों की चिंता वाजिब

Schemes Promoting Freebies: The concern of senior officers is justified

Schemes Promoting Freebies

Schemes Promoting Freebies : नई दिल्ली में देश के वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक में इन आला अफसरों ने देश के विभिन्न राज्यों में चल रही मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली योजनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए इसे देश की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद खतरनाक बताया है। इन वरिष्ठ नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया है कि वे मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली ऐसी सभी योजनाओं पर रोक लगाने के लिए कारगर पहल करे अन्यथा देर सवेर भारत में भी श्रीलंका जैसे हालात निर्मित हो सकते है।

इन आला अफसरों के मुताबिक शिक्षा, स्वास्थ्य और अत्यंत गरीबों को अनाज जैसी चीजे ही नि:शुल्क देनी चाहिए। अन्य और कोई भी वस्तु या सेवा नि:शुल्क नहीं होनी चाहिए। वरिष्ठ अधिकारियों की यह चिंता वाजिब है और उनकी अपील पर केन्द्र सरकार को गंभरतापूर्वक विचार कर जल्द से जल्द उचित कदम उठाना चाहिए वरना भारत की अर्थव्यवस्था भी इस मुफ्तखोरी के चलते चौपट हो सकती है।

गौरतलब है कि चुनाव (Schemes Promoting Freebies) जीतने के लिए विभिन्न राजनीतिक पार्टियां वोट कबाडऩे मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने की होड़ में शामिल हो जाती है। कोई मुफ्त में सायकल तो कोई मुफ्त में स्कूटी तो कोई मुफ्त में लेपटाप आदि वस्तुएं देने की घोषणा करतीहै तो कोई राजनीति पार्टी पानी और बिजली नि:शुल्क देने की घोष्णा करती है। इस तरह की घोषणाओं का मतदाताओं पर असर भी पड़ता है और वे मुफ्त की सुविधाएं पाने के लिए ऐसी पार्टियों को वोट दे भी देते है।

इसका परिणाम यह निकलता है कि सरकारी खजाने पर अनावश्यक बोझ पड़ता है और मुफ्तखोरों की मौज हो जाती है जबकि दूसरी ओर संसाधनों की कमी के कारण विकास कार्य बाधिक होते है। ऐसे राज्यों पर करोड़ों अरबों रूपए का कर्ज चढ़ जाता है और उसका ब्याज चुकाने में ही सरकार का बहुत धन व्यय हो जाता है। धीरे-धीरे ऐसे राज्य बिमारू राज्य की श्रेणी में शामिल हो जाते है और फिर संकट से उभरने के लिए केन्द्र सरकार से विशेष आर्थिक पैकेज देने की मांग करने लगते है।

इन राज्यों की मांग (Schemes Promoting Freebies) पूरी करने से केन्द्र सरकार का खजाना भी खाली होने लगता है। यदि यही सिलसिला चलता रहो तो देश का भी दिवाली निकल सकता है और भारत में भी श्रीलंका जैसे हालात निर्मित हो सकते है। उम्मीद की जानी चाहिए कि वरिष्ठ नौकरशाहों की इस चिंता को सरकार समझेगी और समय रहते मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने वाली योजनाओं पर कड़ाई पूर्वक अंकुश लगाने के लिए ठोस कदम उठाएगी।

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