संपादकीय: किसानों के साथ अन्याय

संपादकीय: किसानों के साथ अन्याय

Injustice to farmers

Injustice to farmers

Injustice to farmers: पंजाब में एमएसपी की मांग को लेकर आंदोलनरत किसानों के खिलाफ पंजाब सरकार ने बुलडोजर की कार्यवाही करते हुए शंभु बार्डर और खनौरी बार्डर से उनके पंडाल उखाड फेंके हैं। पुलिस ने 200 से ज्यादा किसानों को गिरफ्तार भी किया है। न्याय की मांग कर रहे इन किसानों के साथ उसी आम आदमी पार्टी की सरकार ने अन्याय किया है जो कल तक किसानों की सबसे बड़ी हितैषी बना करती थी।

जब किसानों ने राजधानी नई दिल्ली के सभी बार्डर पर धरना देकर एक साल तक आंदोलन किया था तब नई दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल धरना स्थल पर पहुंचे थे और किसानों के आंदोलन का समर्थन किया था। यही नहीं बल्कि नई दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार ने आंदोलनरत किसानों को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई थी। आम आदमी पार्टी के नेता किसानों की मांगों का समर्थन करते हुए केन्द्र सरकार पर किसानों के साथ घोर अन्यया करने का आरोप लगाते थे।

किसान आंदोलन के नाम पर सभी विपक्षी पार्टियों ने अपनी राजनीतिक रोटी सेंकी थी। इस आंदोलन की समाप्ति के बाद जब पंजाब विधानसभा के चुनाव हुए तो आम आदमी पार्टी ने किसानों का समर्थन जुटाने के लिए यह वादा किया था कि यदि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी तो किसानों के कर्ज माफ कर दिये जाएंगे और पंजाब के किसानों से एमएसपी पर उनकी फसल की खरीदी की जाएगी।

आम आदमी पार्टी के इस वादे पर पंजाब के किसानों ने भरोसा किया और आम आदमी पार्टी को भर भर कर वोट दिये जिसकी वजह से पंजाब विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को दो तिहाई से भी ज्यादा बहुमत मिला। किन्तु सरकार बन जाने के तीन साल बाद भी भगवंत सिंह मान की सरकार ने किसानों से किया गया वादा पूरा नहीं किया तो पंजाब के किसान आंदोलन पर बाध्य हो गये। किसानों की मांगों पर मान सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया उल्टे किसानों को भगवंत सिंह मान ने धमकी दे दी थी कि यदि किसान अपने आंदोलन पर अडिग रहे तो वे उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करेंगे।

आखिरकार पंजाब सरकार ने किसानों के खिलाफ बुलडोजर की कार्यवाही कर दी और शंभु बार्डर व खनौरी बार्डर से किसानों को खदेड़ दिया गया। सैकड़ों किसानों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस तरह किसानों का आंदालने बलपूर्वक कुचल दिया गया। आम आदमी पार्टी के नेता पुलिसिया कार्यवाही को उचित बताते हुए यह तर्क दे रहे हैं कि किसानों के आंदोलन के कारण पंजाब की अर्थव्यवस्था पर विपरित प्रभाव पड़ रहा था। पंजाब के व्यापारियों को प्रतिदिन लगभग पांच सौ करोड़ का नुकसान हो रहा था इसलिए बार्डर को खुलवाने के लिए किसानों के खिलाफ कार्यवाही जरूरी थी।

आम आदमी पार्टी के नेता यह भूल गये हैं कि जब नई दिल्ली के बार्डरों को किसानों ने एक साल तक बंद रखा था। उससे देश की अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान उठाना पड़ा होगा। उस समय तक केन्द्र सरकार ने किसानों के खिलाफ ऐसी कोई कार्यवाही नहीं की थी। किन्तु पंजाब सरकार ने किसानों आंदोलन को कुचल कर यह साबित कर दिया की किसानों के प्रति उसके मन में कोई सहानुभूति नहीं है।

बहरहाल किसानों के खिलाफ की गई पुलिस कार्यवाही को लेकर पंजाब के किसानों में गहन रोस व्याप्त है और अब वे पंजाब में जगह जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता सतनाम सिंह ने पंजाब पुलिस की इस कार्यवाही की कठोर शब्दों में निंदा करते हुए कहा है कि इससे किसान झुकेंगे नहीं और अपनी न्यायोचित मांगों को लेकर इस आंदोलन को और आगे बढ़ाएंगे।

कुल मिलाकर किसानों पर सख्ती बरतकर पंजाब सरकार ने आग में घी डालने का काम किया है। बेहतर होगा कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान किसानों के साथ चर्चा करें और उनकी मांगो पर सहानुभूति पूर्वक विचार करें अन्यथा किसानों का यह आंदोलन और उग्र हो सकता है।

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