Identity in Global Business : 400 बिलियन डॉलर का व्यापार निर्यात |

Identity in Global Business : 400 बिलियन डॉलर का व्यापार निर्यात

Identity in Global Business: Trade Exports of $400 Billion

Identity in Global Business

Identity in Global Business : भारत की रिकॉर्ड 400 अरब डॉलर मूल्य के वस्तु निर्यात की उपलब्धि, इस बात का शानदार उदाहरण है कि 2014 से नागरिकों के जीवन में निर्णायक सुधार लाने के मिशन के साथ; इस देश में शासन, सुधार और निरंतर बदलाव किये जा रहे हैं। निर्यात में यह वृद्धि किसानों, कारीगरों, बुनकरों और कारखाने के श्रमिकों की मदद कर रही है तथा छोटे और बड़े व्यवसायों को रोजगार पैदा करने, कार्य व परिचालन का विस्तार करने, अधिक प्रतिस्पर्धी बनने और वैश्विक व्यापार में अपनी पहचान स्थापित करने में सहायता कर रही है।

कोविड से त्रस्त विश्व में 400 बिलियन डॉलर का निर्यात लक्ष्य, कई लोगों को असंभव लग रहा था, क्योंकि मांग में कमी थी, कंटेनर की कीमत कई गुना अधिक थी और दुनिया रोजगार ख़त्म होने की स्थिति तथा विभिन्न प्रकार के संघर्षों का सामना कर रही थी। लेकिन यह परिस्थिति भी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को उत्पादों और क्षेत्रों की पहचान करने, जहां निर्यात बढ़ाया जा सकता है तथा स्थिति का आकलन करने में अवरोध नहीं बन सकी। केंद्र सरकार ने बेहतर परिणाम के लिए निर्यातकों और उद्योग निकायों के साथ साझेदारी का दृष्टिकोण अपनाया।

निर्यात के मिशन को तब गति मिली, जब प्रधानमंत्री ने निर्यात पर ध्यान केंद्रित करने के लिए उद्योग जगत का आह्वान किया और उन्हें वस्तुओं तथा सेवाओं से सम्बंधित भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एक बड़ी छलांग लगाने के लिए प्रेरित किया। प्रधानमंत्री ने स्वयं मंत्रालयों, राज्यों, विदेश स्थित भारतीय मिशनों, कमोडिटी बोर्डों, उद्योग संघों और विशेषज्ञों को प्रेरित करने के लिए विचार-विमर्श किया। उन्होंने निर्यात की प्रगति की लगातार निगरानी भी की।

यह वास्तव में एक महत्वाकांक्षी मिशन था, क्योंकि कोविड के पहले के समय में 2018-19 के दौरान भारत ने वस्तु निर्यात में 330 बिलियन डॉलर का लक्ष्य हासिल किया था, जो उस समय तक सबसे बेहतर प्रदर्शन था। इसके बाद महामारी ने वैश्विक व्यापार को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया। लेकिन भारत ने तेजी से वापसी की, क्योंकि नीतिगत उपायों, सुधारों, निर्यात-संवर्धन योजनाओं, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना जैसी प्रमुख पहलों और विपरीत परिस्थितियों में साहसिक फैसलों ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनाने के लिए आवश्यक गति प्रदान की। निर्यात में तेज वृद्धि दर्ज की गयी है, मासिक आधार पर रिकॉर्ड की एक श्रृंखला स्थापित हुई है, जिसने 2021-22 की ऐतिहासिक उपलब्धि को समर्थन प्रदान किया है।

निर्यात आर्थिक विकास में योगदान दे रहा है, रोजगार के अवसरों का सृजन कर रहा है और छोटे व्यवसायों एवं श्रमिकों की मदद कर रहा है। दुनिया अब भारत को एक भरोसेमंद और विश्वसनीय भागीदार के रूप में देख रही है, जो महामारी के सबसे बुरे दौर में भी समय पर गुणवत्तापूर्ण वस्तुएं और सेवाएं प्रदान करने में सक्षम है।

परिणाम शानदार हैं। भारत ने निर्धारित समय से नौ दिन पहले ही इस लक्ष्य को हासिल कर लिया है। हमने ‘संपूर्ण सरकार का’ दृष्टिकोण अपनाया और निर्यातकों के साथ साझेदार के रूप में काम किया। सरकार ने उन्हें किसी भी बाधा को दूर करने में सक्रियता के साथ मदद की और उन्हें प्रत्येक देश में, प्रत्येक उत्पाद के लिए, प्रत्येक अवसर हासिल करने के सन्दर्भ में प्रोत्साहित किया, ताकि बड़े लक्ष्य को प्राप्त करने में समर्थन दिया जा सके। 200 देशों/क्षेत्रों के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए तथा नए और मौजूदा बाजारों एवं खोए हुए बाजार हिस्से को हासिल करने के लिए एक माध्यम रूप में छोटे उद्यमों और स्टार्टअप की भूमिका पर विशेष जोर दिया गया।

लेकिन यह सिर्फ संख्याओं (Identity in Global Business) की कहानी नहीं है। इसमें नए उत्पादों का निर्यात, नए बाजारों में प्रवेश, निर्मित उत्पादों के बढ़ते निर्यात, इंजीनियरिंग निर्यात में 50 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि, और छोटे व्यवसायों तथा किसानों के प्रशंसनीय योगदान, जिनकी कड़ी मेहनत ने वैश्विक खाद्य सुरक्षा को मजबूत किया है जैसी उत्साह बढ़ानेवाली नयी बातें भी शामिल हैं। कृषि निर्यात लगभग 25 प्रतिशत बढक़र करीब 50 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। भारत के मेहनती किसान विश्व स्तर पर कारोबार किए जाने वाले चावल का लगभग आधा हिस्सा प्रदान करते हैं। किसानों ने गेहूं के निर्यात को रिकॉर्ड 70 लाख टन तक पहुंचाने में मदद की है, जिसके जरिये प्रमुख आपूर्तिकर्ता यूक्रेन के संकटग्रस्त होने के बावजूद वैश्विक गेहूं व्यापार में व्यवधान के असर को कम करने में मदद मिली है।

इसी तरह, कॉफी का निर्यात लगभग 1 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जो इस क्षेत्र के लिए एक उल्लेखनीय उपलब्धि है, क्योंकि इसका 95 प्रतिशत उत्पादन, छोटे उत्पादकों द्वारा किया जाता है। समुद्री निर्यात भी फल-फल रहा है, जिससे छोटे व्यवसायों और मछुआरों को मदद मिल रही है। भारत को अब इस गति को बनाए रखने की जरूरत है। हमारे विनिर्माता, निर्यातक और नीति-निर्माता इस अत्यधिक प्रतिस्पर्धी दुनिया में आत्मसंतुष्ट होने का जोखिम नहीं ले सकते। भारतीय उद्योग को अनुसंधान एवं विकास में शीघ्र निवेश बढ़ाने और गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। एक समय था, जब भारतीय नागरिकों को बेचे जाने वाले उत्पादों और बाहर भेजे जाने वाले ‘निर्यात गुणवत्ता’ से युक्त सामानों के बीच बड़ा अंतर होता था। अब ऐसा कोई अंतर नहीं होना चाहिए। सरकार निर्यातकों की मदद के लिए प्रयासों में तेजी लाएगी।

हाल की विभिन्न नीतियां से आने वाले वर्षों में फायदा होगा और देश के विनिर्माण तथा निर्यात क्षेत्र में नए वैश्विक चैंपियन सामने आएंगे। मोबाइल फोन क्षेत्र जैसी सफलता की कई कहानियां होंगी, जो कभी आयात पर बहुत अधिक निर्भर था। लेकिन, वर्तमान में निर्यात कई गुना बढ़ गया है और आयात में गिरावट दर्ज की गयी है। निर्यातकों को पीएम गति शक्ति- मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी के लिए राष्ट्रीय मास्टर प्लान- से भी लाभ होगा, जिसे पीएम ने पिछले अक्टूबर में लॉन्च किया था।
अब हमें अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अपने प्रभाव का विस्तार करना है। यह चुनौतीपूर्ण होगा, लेकिन उत्साह बढ़ाने वाला और हासिल करने योग्य होगा।

हमारी सरकार के पास महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त करने का एक ट्रैक रिकॉर्ड है; चाहे वह देश के हर गांव का विद्युतीकरण हो; अक्षय ऊर्जा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ-साथ इसकी लागत में तेज गिरावट हो; एलईडी क्रांति, जिसने ऊर्जा की कम खपत करने वाले बल्ब की लागत को काफी कम कर दिया हो या परिदृश्य बदलने वाली कल्याणकारी योजनाएं हों- जैसे आम नागरिकों को शौचालय, रसोई गैस, बैंक खाते, स्वास्थ्य बीमा, जल आपूर्ति, आवास, ग्रामीण सडक़, इंटरनेट कनेक्टिविटी और भारत में निर्मित वैक्सीन की मदद से दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण कार्यक्रम की सुविधा प्रदान करना आदि।

भारत प्रमुख व्यापारिक शक्ति (Identity in Global Business) के रूप में अपनी स्थिति को एक बार फिर से प्राप्त करने की राह पर है। यह एक महत्वाकांक्षी मिशन है, लेकिन भारतीय निर्यात की कहानी को, न्यू इंडिया के कई अति-महत्वपूर्ण पहलों के समान नेल्सन मंडेला के प्रसिद्ध कथन के रूप में व्यक्त किया जा सकता है: “जब तक इसे पूरा नहीं किया जाता, यह हमेशा असंभव लगता है।”

पीयूष गोयल, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग; उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण और वस्त्र मंत्री


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