Weekly Column By Sukant Rajput : दैनिक नवप्रदेश में प्रकाशित साप्ताहिक स्तंभ, बातों…बातों…में…!

Weekly Column By Sukant Rajput : दैनिक नवप्रदेश में प्रकाशित साप्ताहिक स्तंभ, बातों…बातों…में…!

Weekly Column By Sukant Rajput :

Weekly Column By Sukant Rajput :

Weekly Column By Sukant Rajput : दैनिक नवप्रदेश में सुकांत राजपूत द्वारा इस साप्ताहिक स्तंभ बातों…बातों में देश से लेकर प्रदेश तक के सियासी और नौकरशाही से ताल्लुक रखती वो बातें हैं जिसे अलहदा अंदाज़ में सिर्फ मुस्कुराने के लिए पेश किया जा रहा है।

खेड़ा के कई बखेड़े….

माता कौशल्या की भूमि में महिला का अपमान… दुशील और महिला हूं, लड़ रही हूं… जैसी बातें सियासी गलियारों से लेकर खबरों तक में खूब सुर्खियां बटोरी। किस्सा-ऐ-वारदात की सिर्फ और सिर्फ एक ही पात्र हैं जिसे प्रदेश कांग्रेस के लोग खेड़ा का बखेड़ा कहने लगे हैं। बातों ही बातों में राजीव भवन के एक चिंतित सदस्य ने बताया खेड़ा के ऐसे एक नहीं और भी कई बखेड़े हैं। सियासत में कच्ची उम्र लेकिन पक्की नेता बनने के लिए पूर्व में पंजाब के एक युवा पार्टी नेता से भिड़ गईं थीं। दूसरा वाक्या छत्तीसगढ़ के पूर्व एनएसयूआई प्रदेश अध्यक्ष संजीव से भी दिल्ली के पार्टी दरबार में तीखी नोक-झोंक कर चुकी है। खुद को अबला बताना और आमतौर पर पुरुषों से ही भिड़ंत के तीन किस्से सब कुछ बयां कर देते हैं। राजीव भवन में भी दिल्ली से थोपी गईं बखेड़े ने पहली गलती खुद कीं जो बिना पीसीसी संचार अध्यक्ष को बताये प्रेस वार्ता आहूत कर गईं। जब उन्हें उनका अधिकार क्षेत्र और सीमाएं बताने की कोशिश की गई तो वो दुशील, माता कौशल्या और कई तरह से ऐन चुनावी माहौल में विपक्ष को बैठे-बिठाये मुद्दा दे दीं। साफ हो जाता है कि वो कितनी परिपक्व बखेडेबाज हैं।

स्टिंगबाज कांग्रेसी कौन….

एक नहीं दो दफा बिना जानकारी दिए प्रेस वार्ता बुलाने से उपजा विवाद तब बढ़ गया जब खेड़ा और दुशील की तीखी बहस हो गई। मौके में जो दो कांग्रेसी प्रवक्ता यह सब देख रहे थे तो उन्होंने बखेड़ेबाज का बेजा फायदा उठाते हुए छुपकर स्टिंग भी किया और वीडियो वायरल भी कर दिया। बातों ही बातों में राजीव भवन की हर खबर रखने वाले नेता ने दावा किया कि सियासत पर सियासी चालें उस दिन चली गईं। कांग्रेस भवन में अगर पिन भी गिर जाये तो उसकी आवाज़ सुन लेने का दावा करते हुए स्टाफ ने बताया खेड़ा, शुक्ला की जब बहस हो रही थी उस वक्त भंसाली और तिवारी भी मौके पर थे। शुक्ला के अनुभवी और कर्णप्रिय शब्दों को सुनकर आपा खो चुकी खेड़ा को दिल्ली फोन करने का सुझाव और बाहर खड़े होकर फोन में बताई जा रही पूरी बातों का स्टिंग कर लिया गया…दरअसल आपदा में अवसर उसे ही मिला जिसकी बहस रेलवे स्टेशन में कैमरा फ्रेम को लेकर हुई थी। इसलिए भी कहते हैं सियासत में इश्क और मुश्क छिपाये नहीं छिपता।

सुचारिता महंती का फंड….

पैर में कुल्हाड़ी मारने वाली कहावत तो सुनीं हैं, लेकिन कांग्रेस चुनाव में आपे पैर कुल्हाड़ी मारती ही है। इसका ताजा उदहारण सूरत और इंदौर है। इसी तरह ओडिशा की पूरी लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी सुचारिता महंती ने भी ऐन वक्त में पार्टी टिकिट लौटा कर कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति के उन कुल्हाड़ीमारों को फिर सबक सिखाया है। हालांकि सूरत और इंदौर प्रत्याशियों से ओडिशा की महिला प्रत्याशी की वजह अलग है। बातों ही बातों में कांग्रेसी राजनीति के ‘बाबा मोज’ ने बताया सुचारिता महंती पत्रकार हैं और टाइम्स जैसी संस्थान में रह चुकी हैं। पूर्व सांसद की पुत्री भले ही हैं वे लेकिन इतना नहीं है कि लोकसभा टिकिट के लिए और फिर चुनाव लड़ने के लिए भी खुद का घर-बार दांव पर लगाएं। वर्ष 2014 में भी उन्हें कांग्रेस से जबरिया टिकिट स्वर्गीय मोतीलाल वोरा जी ने दिलवाये थे। काफी ना नुकुर और पैसों का अभाव बताने के बाद भी वोरा जी ने पार्टी से फंड दिलाने का कहकर उन्हें मना तो लिया पर वादा पूरा नहीं किया और वे चुनाव हार गईं थी। इस बार भी पत्रकार सुचारिता के सामने फंड का ही फंडा आया और वो इंतज़ार करती रहीं लेकिन हाथ खाली रहा…मजबूरन उन्होंने ई मेल कर क्विट कर लिया…करें भी क्यों ना आखिर वो मूलतः पत्रकार हैं, बिरादरी के अन्य लोगों की तरह होती तो खर्च भी करतीं और लड़ती भीं…!

बीजेपी के दो खतरे में….

इस बार छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों में बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति ने दो सांसदों की टिकिट छोड़कर 9 सीटों में नयों को मौका दिया है। इसमें दुर्ग लोकसभा सीट में विजय बघेल और राजनांदगांव से संतोष पांडेय को सिर्फ रिपीट किया गया। जबकि विजय बघेल सांसद रहते हुए भी पाटन विधानसभा से 19 हजार के करीब वोटों से हार गए। वैसे विजय बघेल ही ऐसे सांसद हैं जिन्होंने पिछले लोकसभा में सर्वाधिक मतों से जीतने वाले प्रत्याशी थे। खैर, बात कर रहे हैं इन दो को रिपीट करने के पीछे पार्टी की मंशा क्या थी और क्या दोनों प्रदेश में सबसे ताकतवर नेता हैं ?…बातों ही बातों में रायपुर लोकसभा सीट से दो लाख मतों से जीत दर्ज करने वाले सुनील सोनी की टिकिट काटकर मंत्री बृजमोहन अग्रवाल को लोकसभा प्रत्याशी घोषित करने के पीछे की वजह एक पार्टी नेता ने जो बताई वो चौंकाने वाली थी। वैसे भी भाजपा और बृजमोहन दोनों एक दूसरे के पर्याय ही हैं और इस बार शर्त बाजों का दावा है…भैया 4 लाख पार का रिकार्ड बनाएंगे..!

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