Great Achievement in Durg : BSP ने शुरू किया राज्य का पहला 'स्किन बैंक', जले मरीजों के लिए होगा वरदान

Great Achievement in Durg : BSP ने शुरू किया राज्य का पहला ‘स्किन बैंक’, जले मरीजों के लिए होगा वरदान

Great Achievement in Durg: BSP started the state's first 'Skin Bank', will be a boon for burn patients

Great Achievement in Durg

दुर्ग/नवप्रदेश। Great Achievement in Durg : दुर्ग जिला के पंडित जवाहरलाल नेहरू अस्तपाल में छत्तीसगढ़ राज्य व सेल का पहला स्किन बैंक खुल गया है। इस बैंक के खुलने से 80 प्रतिशत तक जले मरीजों को नया जीवनदान मिल सकेगा। स्किन बैंक के अलावा कैडेवरिक टिशू ट्रांसप्लांट का भी पंडित जवाहरलाल नेहरू अस्तपाल एवं अनुसंधान केन्द्र छत्तीसगढ़ का पहला संस्थान बना है।

स्किन बैंक का उद्घाटन आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर भिलाई इस्पात संयंत्र के निदेशक प्रभारी अनिर्बान दास गुप्ता ने किया। इस प्रकार भिलाई बिरादरी को चिकित्सकीय क्षेत्र में नई सुविधा उपलब्ध कराया गया है। इस बैंक के खुलने के बाद लाखो बर्न मरीजों को जीवनदान मिल सकता है।

कुशल डॉक्टरों की टीम को मिलेगी जिम्मेदारी

जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र, सेक्टर-9 के बर्न विभाग (Great Achievement in Durg) में स्थापित स्किन बैंक के संचालन के लिए अस्पताल के कुशल चिकित्सकों की टीम को दायित्व दिया गया है। जिसमें मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रभारी डॉ एम रविन्द्रनाथ को स्किन बैंक का प्रशासनिक प्रमुख बनाया गया है। एडीशनल सीएमओे डॉ उदय कुमार को स्किन बैंक के प्रबंधक का दायित्व दिया गया है। इसी प्रकार डिप्टी सीएमओ डॉ अनिरूद्ध मेने को स्किन बैंक का मेडिकल हेड बनाया गया है और कंसल्टेंट डॉ आकांक्षा शर्मा को स्किन बैंक के माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट की जिम्मेदारी दी गई है।

स्किन बैंक के लिए किया गया स्टाफ प्रशिक्षित

स्किन बैंक को शुरू करने के लिए जरूरी जगह, आवश्यक मशीनें और प्रशिक्षित स्टाफ की आवश्यकता होती है। भिलाई के स्किन बैंक को शुरू करने के लिए एडवांस बर्न केयर डिपार्टमेंट में जगह निर्धारित की गई और आवश्यक मशीनें जैसे इलेक्ट्रिकल डर्मेटोम, स्किन मैशर, बायोसेफ्टी केबिनेट और फ्रीजर, इनक्यूबेटर आदि उपलब्ध कराए गए। भिलाई इस्पात संयंत्र के बर्न विभाग के 6 स्टाफ मुंबई स्थित नेशनल बर्न सेंटर के स्किन बैंक में प्रशिक्षित किया गया। यह प्रशिक्षित स्टाफ भिलाई में स्किन बैंक प्रारंभ करने में सहायक सिद्ध होंगे। आवश्यक दस्तावेज और स्किन निकालने की सहमति से लेकर दूसरे मरीज को स्किन लगाने तक की पूरी प्रक्रिया का मैन्युअल बनाया गया है।

सोटो ने निरीक्षण के बाद दी खोलने की अनुमति

सेल-भिलाई इस्पात संयंत्र के मुख्य चिकित्सालय जवाहरलाल नेहरू अस्पताल एवं अनुसंधान केन्द्र, सेक्टर-9 के एडवांस्ड बर्न केयर विभाग में स्थापित स्किन बैंक के निरीक्षण के लिए कुछ दिनों पहले छत्तीसगढ़ के स्टेट ऑर्गन एवं टिशु ट्रांसप्लांट ऑर्गनाइजेशन (सोटो) की चार सदस्यीय निरीक्षण टीम ने अस्पताल का दौरा किया। इस टीम ने भिलाई इस्पात संयंत्र के चिकित्सालय में स्किन बैंक प्रारंभ करने के लिए आवश्यक दस्तावेजों तथा उपकरणों की जांच की। जरूरी उपकरण, आवश्यक दस्तावेज तथा प्रशिक्षित मेडिकल स्टाफ की उपलब्धता से संतुष्ट होकर रायपुर से आई टीम ने स्किन बैंक को प्रारंभ करने की अनुमति प्रदान की।

पंजीयन के साथ जागरूकता कार्यक्रम शुरू

स्किन बैंक को प्रारंभ करने की अनुमति प्रदान करने के साथ ही सोटो रायपुर से रजिस्ट्रेशन नंबर जारी कर दिया गया है जो 5 वर्षों के लिए मान्य होगा। इस प्रकार बीएसपी के मुख्य चिकित्सालय में स्थापित स्किन बैंक छत्तीसगढ़ का पहला स्किन बैंक बन गया है। इसके स्थापना के साथ ही बीएसपी अस्पताल ने स्किन डोनेशन के प्रति लोगों को जागरूक करने का कार्य प्रारंभ कर दिया है। जिससे लोग स्कीन बैंक को स्किन डोनेशन करें और गंभीर मरीजों के जीवनरक्षा में अपना योगदान दें।

गंभीर रूप से जले हुए मरीजों को मिलेगा जीवनदान

बर्न यूनिट के एडीशनल सीएमओे डॉ उदय कुमार ने बताया कि आने वाले समय में बीएसपी का स्किन बैंक गंभीर रूप से जले मरीजों के लिये वरदान साबित होगा। इस स्किन बैंक से गंभीर किस्म से और अत्यधिक जले मरीजों को जीवनदान मिल सकेगा। मरीज की या उनके रिश्तेदारों की सहमति के बाद ही मरीज की पैर या पीठ की चमड़ी की ऊपरी परत इलेक्ट्रिकल डर्मेटोम के द्वारा निकाली जाती है और निकाली गई जगह पर प्रॉपर बैंडेज किया जाता है। निकाली गई चमड़ी को 50 प्रतिशत ग्लिसरॉल में लेकर स्किन बैंक में इनक्यूबेटर में स्टोर किया जाता है।

वहीं इसमें कुछ आवश्यक जांच भी की जाती है। जरूरी जांच की रिपोर्ट आने के बाद बायोसेफ्टी केबिनेट में स्किन मेंशर द्वारा स्किन पर छोटे-छोटे छेद बनाए जाते हैं। जिससे ग्लिसरोल व एंटीबायोटिक सॉल्यूशन उसमें अंदर तक जाए और स्किन में कोई संक्रमण ना हो इस प्रक्रिया के बाद प्रॉपर लेबल जिसमें नाम रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ फ्रीजर में 85 प्रतिशत ग्लिसरॉल में स्टोर किया जाता है। इस स्किन को लगभग 5 वर्षों तक 4 डिग्री सेंटीग्रेड पर रख सकते हैं।

अधिक जले हुए रोगियों की अपनी त्वचा होती है डेमेज

स्किन बैंक के मेडिकल हेड व डिप्टी सीएमओं (Great Achievement in Durg) डॉ अनिरूद्ध मेने ने जानकारी देते हुए कहा कि 80 प्रतिशत से ज्यादा जले मरीज में खुद की स्किन कम होने के कारण स्किन बैंक से प्राप्त स्किन लगाने से उनकी जान बचने की संभावना बढ़ जाएगी। स्किन ना होने से अधिक जले मरीजों के शरीर से प्रोटीन और मिनरल्स निकलते रहते हैं और इन्फेक्शन अंदर जाता रहता है। जिससे मरीज कमजोर हो जाता है और घाव के संक्रमण से सेप्टीसीमिया या जहर फैलने के कारण मरीज के मरने की संभावना बढ जाती है। अधिक जले मरीजों में खुद की स्किन कम होने से दूसरे द्वारा दिए गए स्किन लगाने से यह प्रोटीन और मिनरल बाहर निकलने की प्रक्रिया कुछ समय के लिए रुक जाती है और मरीज के बचने की संभावना बढ़ जाती है।

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