पैकेज: एमएसमई का बढ़ा दायरा, बिना गारंटी का लोन; पढ़े वित्तमंत्री की हर एक बात |

पैकेज: एमएसमई का बढ़ा दायरा, बिना गारंटी का लोन; पढ़े वित्तमंत्री की हर एक बात

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  • वित्तमंत्री सीतारमण ने 20 लाख करोड़ के पैकेज का ब्योरा देने की शुरुआत की
  • एमएसएमई का बढ़ा दायरा, इस क्षेत्र को 3 लाख करोड़ रुपए का लोन भी
  • ये लोन कोलेटरल फ्री होगा, यानी बिना गारंटी के मिलेगा
  • वित्तमंत्री ने पहले दिन एमएसएमई केे बारे में दी जानकारी, आगामी दिनों में अन्य क्षेत्रों के बारे में भी बताएंगी

नई दिल्ली /नवप्रदेश। वित्त मंंत्री निर्मला सीतारमण (finance minister sitaraman) की ओर से बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कोरोना संकट काल में आत्म निर्भर भारत अभियान (atm nirbhar bharat abhiyan) के तहत घोषित 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज (package) का ब्योरा देने की शुरुआत की गई। उन्होंने पहले दिन इस पैकेज के तहत सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग (msme) के लिए किए गए प्रावधानों को बताया।

जबकि आत्म निर्भर भारत अभियान (atm nirbhar bharat abhiyan) के तहत उक्त पैकेज (package) में अन्य क्षेत्रों के लिए घोषणाएं आने वाले दिनों में की जाएगी। सरकार ने इस क्षेत्र को बड़ी राहत देते हुए हुए इसका दायरा भी बढ़ा दिया गया है।

इसकी परिभाषा बदल दी है। एमएसएमई (msme) को 3 लाख करोड़ रुपए का कोलेटर फ्री लोन का भी ऐलान किया है। यानी बिना गारंटी के ये लोन मिलेगा। आयकर रिटर्न की अवधि को भी 30 नवंबर तक के लिए बढ़ा दिया गया है।

कारोबार बढ़ाने में मिलेगी मदद

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (finance minister nirmala sitaraman) ने कहा कि सरकार ने सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) की परिभाषा बदलते हुये अब 20 करोड़ रुपये तक का निवेश और 100 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनियों को इसके दायरे में रखने का फैसला किया है। इससे कंपनियों को एमएसएमई (msme) के लिए दी जाने वाली छूटों का लाभ लेते हुये अपना कारोबार बढ़ाने में मदद मिलेगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर भी उपस्थित थे।

ऐसे समझें एमएसएमई की बदली परिभाषा

एक ही मानदंड : सीतारमण ने कहा कि अब एमएसएमई की परिभाषा में निवेश के साथ ही कारोबार का अतिरिक्त मानदंड शामिल किया गया है। अब विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के लिए एक ही मानदंड होगा। पहले दोनों के लिए अलग-अलग मानदंड थे।
सूक्ष्म उद्योग: अब एक करोड़ रुपये से कम निवेश और पांच करोड़ रुपये से कम का कारोबार करने वाले इस उद्योग की श्रेणी में आयेंगे। पहले यह सीमा विनिर्माण क्षेत्र के लिए 25 लाख रुपये और सेवा क्षेत्र के लिए 10 लाख रुपये थी।

लघु व मध्यम उद्योग

लघु उद्यम : 10 करोड़ रुपये से कम निवेश और 50 करोड़ रुपये से कम का कारोबार करने वाली कंपनियां लघु उद्यम की श्रेणी में आयेंगी। जबकि अभी विनिर्माण क्षेत्र के लिए यह सीमा 5 करोड़ रुपये और सेवा क्षेत्र के लिए 2 करोड़ रुपये निवेश की थी।
मध्यम उद्योग : 20 करोड़ रुपये से कम निवेश और 100 करोड़ रुपये से कम कारोबार करने वाली कंपनियां मध्यम उद्योगों की श्रेणी में आयेंगी। पहले विनिर्माण क्षेत्र में 10 करोड़ रुपये और सेवा क्षेत्र में 5 करोड़ रुपये तक निवेश वाली कंपनियों को इस श्रेणी में रखा गया था।

आयकर रिटर्न भरने की अवधि 30 नवंबर तक बढ़ी

कोरोना वायरस के कारण उत्पन्न परस्थितियों के मद्देनजर वर्ष 2019-20 के लिए आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दी गयी है। सीतारमण ने कहा कि 31 जुलाई 2020 और 31 अक्टूबर 2020 तक भरे जाने वाले सभी आयकर रिटर्न की अवधि 30 नंवबर 2020 तक बढ़ा दी गयी है। इसके साथ ही 30 सितंबर तक भरे जाने वोल कर आडिट रिपोर्ट की अवधि भी 31 अक्टूबर तक बढ़ा दी गयी है।

5 लाख रुपए तक के सभी लंबित रिफंड जारी

उन्होंने कहा कि पांच लाख रुपये तक के सभी लंबित रिफंड जारी किय जा रहे हैं। अब तक 14 लाख से अधिक रिफंड जारी किय जा चुके है। उन्होंने कहा कि 30 सितंबर तक की आंकलन तिथि को बढ़ाकर 31 दिसेबर 2020 और 31 मार्च 2021 तक की तिथि को बढ़ाकर 30 सितंबर 2021 कर दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि विवाद से विश्वास स्कीम की अवधि 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ायी जा रही है। इसके लिए अतिरिक्त भुगतान नहीं करना होगा।

ईपीएफ में चार प्रतिशत की कटौती

सरकार ने निजी उद्यमों में काम करने वाले कर्मचारियों के हाथ में ज्यादा पैसा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से अगले तीन महीने के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) में दिये जाने वाले अंशदान में कमी की है। कर्मचारियों के वेतन का 12 प्रतिशत ईपीएफ में जमा होता है।

साथ ही नियोक्ता भी इतनी ही राशि ईपीएफ में जमा कराता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि अब निजी नियोक्ताओं और कर्मचारियों का अंशदान 12-12 प्रतिशत से घटाकर 10-10 प्रतिशत कर दिया गया है। कर्मचारी के ईपीएफ खाते में उसके वेतन के 24 प्रतिशत की बजाय 20 प्रतिशत के बराबर राशि ही जमा करानी होगी।

15 हजार से कम वालों का अंशदान सरकार ही देगी

इसके अलावा 100 कर्मचारियों तक के ऐसे संगठन जिनमें 90 प्रतिशत कर्मचारियों का वेतन 15 हजार रुपये से कम है उन्हें पूर्व में दी गयी छूट की अवधि तीन महीने और बढ़ा दी गयी है।

पहले सरकार ने कहा था कि ऐसे संस्थानों के कर्मचारियों और नियोक्ताओं दोनों की तरफ से दिया जाने वाला मार्च, अप्रैल और मई का अंशदान सरकार जमा करायेगी। इसकी अवधि भी अब अगस्त तक बढ़ा दी गयी है।

चार साल के लिए होगा एमएसएमई को मिलने वाला लोन

सीतारमण ने कहा कि इस अभियान के तहत एमएसएमई के लिए तीन लाख करोड़ रुपये का कोलेट्रल फ्री लोन देने का प्रावधान किया गया है। यह लोन चार वर्ष के लिए होगा। और पहले एक वर्ष मूलधन का भुगतान नहीं करना होगा। उन्होंने कहा कि इसके तहत 100 करोड़ रुपये के कारोबार वाले एमएसएमई को 25 करोड़ रुपये तक का लोन मिलेगा। बैंकों और एनबीएफसी के लिए शतप्रतिशत गारंटी कवर मिलेगा। यह योजना 31 अक्टूबर 2020 तक उपलब्ध होगी।

200 करोड़ तक की खरीदी का वैश्विक टैंडर नहीं होगा जारी

वित्त मंत्री ने कहा कि एमएमएसई को विनिर्माण और अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में लाने के उद्देश्य से अब 200 करोड़ रुपये तक की सरकारी खरीद का वैश्विक टेंडर जारी नहीं किया जायेगा। यह कदम आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया को मदद करने वाला है। इससे एमएसएमई का कारोबार भी बढ़ेगा।

अन्य मुख्य बातेंं

  • एनबीएफसी, हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों और माइक्रो फाइनेंस संस्थानों के लिए -30 हजार करोड़ रुपये का विशेष तरलता स्कीम शुरू किया जा रहा है।
  • इसके अतिरिक्त एनबीएफसी के लिए 45 हजार करोड़ रुपये का आंशिक क्रेडिट गारंटी स्कीम 2.0 शुरू किया गया है।
  • बिजली कंपनियों को 90 हजार करोड़ रुपये की पूंजी उपलब्ध करायी जा रही है।
  • पावर फाइनेंस कार्पोरेशन और आरईसी के जरिये बिजली वितरण कंपनियों को संबंधित राज्य सरकारों की गारंटी पर ऋण दिया जायेगा।

ठेकेदारों को छह माह की छूट

  • भी केन्द्रीय एजेंसियों जैसे रेलवे, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और पीडब्ल्यूडी के ठेकेदारों को राहत दी गयी है।
  • ठेकेदारों को छह महीने की छूट दी गयी है।
  • रियल एस्टेट को भी राहत प्रदान की जा रही है। इसके तहत रेरा में पंजीकृत उन परियोजनाओं को पूर्ण करने की अवधि छह महीन बढ़ायी जा रही है जो 25 मार्च या उसके बाद पूर्ण होनी थी।
  • इसके लिए किसी भी रियल एस्टेट कंपनी को रेरा कार्यालय जाने की जरूरत नहीं होगी। ऑनलाइन नया पंजीयन प्रमाण पत्र मिल जायेगा।

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