Chhattisgarh Politics : छत्तीसगढ़ में तीसरे मोर्चे की आहट, असंतुष्ट नेताओं की बनेगी पार्टी!

Chhattisgarh Politics : छत्तीसगढ़ में तीसरे मोर्चे की आहट, असंतुष्ट नेताओं की बनेगी पार्टी!

रायपुर, विशेष संवाददाता/ नवप्रदेश। 2023 के विधानसभा चुनाव (Chhattisgarh Politics) के लिए छत्तीसगढ़ में तीसरे मोर्चे की आहट की चाप सुनाई दे रही है। कांग्रेस और भाजपा से असंतुष्ट नेता इस मोर्चे के रसद पानी का इंतजाम कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ क्रांति सेना, दो धड़ों में बंटा सर्व आदिवासी समाज का संगठन, आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, अजीत जोगी की जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ और उससे बाहर हुए नेता व कार्यकर्ता भी इस मोर्चेे में अपनी संभावना तलाश रहे हैं। सर्व आदिवासी समाज के नेता अरविंद नेताम ने सभी सीटों पर चुनाव लडऩे की घोषणा के साथ यह भी कहा है कि क्षेत्रीय संगठनों के साथ मिलकर वे भी प्रत्याशी उतारेंगे।

छत्तीसगढ़ क्रांति सेना के अमित बघेल इस संगठन के साथ संपर्क में हैं। इस क्रांति सेना में पिछड़ा वर्ग समाज के लोगों की बहुतयात है। जिस तरह से केंद्र में भाजपा (Chhattisgarh Politics) के खिलाफ विपक्षी दल एकजुट हो रहे, ठीक उसी तरह छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस व भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए लगभग एक दर्जन राजनीतिक पार्टियां और क्षेत्रीय सामाजिक संगठन तीसरे मोर्चे के रूप में खड़ा हो रहे। इन मोर्चे में दिल्ली के बाद पंजाब में सरकार बनाने वाली ‘आपÓ सबसे बड़ी पार्टी है। आम आदमी पार्टी ऐलान कर चुकी है कि सूबे के सभी 90 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। आम आदमी पार्टी किसी मोर्चे में शामिल नहीं होगी, लेकिन इस पार्टी में सर्व आदिवासी समाज, छग क्रांति सेना, गोंगपा, बसपा, एनसीपी, वामपंथी दल, जकांछ और बहुजन समाज पार्टी, छत्तीसगढ़ स्वाभिमान मंच के असंतुष्ट नेता व कार्यकर्ता ‘आपÓ में शामिल होकर एक मजबूत मोर्चा खड़ा कर सकते हैं। 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस लहर में भाजपा पूरी तरह से साफ हो गई थी। वहीं जकांछ व बसपा ने गठबंधन कर 7 सीटें जीती थीं। अगर ये सभी पार्टियां एकजुट होकर चुनाव लड़ती है तो कांग्रेस व भाजपा दोनों के लिए न सिर्फ चुनौती खड़ी कर सकते हैं, बल्कि सरकार बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

बिखर चुकी जकांछ

छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्व अजीत जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh Politics) पूरी तरह से बिखर चुकी है। 2018 में बसपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी इस पार्टी ने 7 सीटें हासिल की थी। जिनमें मरवाही, कोटा, लोरमी, बलौदाबाजार और खैरागढ़ में बाजी मारी थी। वहीं, बसपा को पामगढ़ और जैजैपुर में जीत मिली थी। यह समीकरण पूरे पांच साल नहीं रहा। मरवाही से अजीत जोगी और खैरागढ़ से देवव्रत सिंह की मृत्यु के बाद में हुए उपचुनाव में ये दोनों सीटेंं कांग्रेस ने जीत ली। इस तरह अब जोगी कांग्रेस के पास सिर्फ तीन सीटें रह गई हैं। जिसमें लोरमी से विधायक धरमजीत सिंह को पार्टी ने निष्कासित कर रखा है और बलौदाबाजार के विधायक प्रमोद शर्मा अपने आप को स्वस्र्फूत निष्कासित विधायक मानते हैं। इस तरह कोटा से डॉ. रेणु जोगी इकलौती विधायक इस पार्टी से बचे है और वे पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लडऩे के संकेत दिए हैं। संगठन के प्रदेशाध्यक्ष अमित जोगी ने 2 अप्रैल को किए ट्वीट में लिखा है कि मेरे लिए मेरी मां का स्वास्थ्य छत्तीसगढ़ की सत्ता से कहीं ज्यादा सर्वोपरि है। जब तक वह पूरी तरह ठीक नहीं हो जाती। तब तक मैं उनके साथ साये की तरह रहूंगा। अमित जोगी ने अपने ट्वीट में इस बात का भी जिक्र किया कि पापा के आखिरी क्षणों में मैं उनके साथ नहीं रह सका। इस गलती को मैं मम्मी के साथ नहीं दोहरा सकता। मेरा प्रथम उद्देश्य मम्मी का स्वस्थ होना है। बाकी सब राजनीति करने के लिए पूरी उम्र पड़ी है। इससे संकेत है कि जकांछ इस बार चुनाव नहीं लड़ेगी। फिलहाल पार्टी पूरी तरह से बिखर चुकी है, इसके कुछ नेता भाजपा तो कुछेक कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। बाकी नेता नए मोर्चे में अपनी संभावना तलाश रहे।

रिटायर्ड अफसरों की टीम तैयार : वहीं कई रिटायर्ड आईएएस व आईपीएस के साथ सेवानिवृत राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर सर्व आदिवासी समाज में शामिल हैं। हालांकि वर्तमान में यह समाज कई धड़ा में बंट चुका। छत्तीसगढ़ की राजनीति में आदिवासी समाज महत्वपूर्ण स्थान रखता है। छत्तीसगढ़ में लगभग 32 फ ीसद आबादी आदिवासियों की है। बस्तर और सरगुजा संभाग में इस वर्ग की आबादी 65 फ ीसद से अधिक है। अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित विधानसभा की 29 सीटों के साथ ही अनारक्षित वर्ग की ऐसी सीटें, जहां आदिवासी आबादी 30 प्रतिशत से अधिक है, वहां भी सर्व आदिवासी समाज प्रत्याशी उतार सकता है। सुरक्षित व 30 फीसद से अधिक आदिवासी आबादी वाली सीटों पर सर्व आदिवासी समाज में शामिल रिटायर्ड अफसर एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे तो भाजपा व कांग्रेस के लिए चुनौती जरूर खड़ी कर सकते हैं।

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