chanakya neeti: विद्याहीन और माता-पिता की सेवा न करने वाला पुत्र भी सर्वथा...

chanakya neeti: विद्याहीन और माता-पिता की सेवा न करने वाला पुत्र भी सर्वथा…

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chanakya neeti: जिस प्रकार दूध न देने वाली, गर्भ न धारण करने वाली गाय सर्वथा निरर्थक है, उसी प्रकार विद्याहीन और माता-पिता की सेवा न करने वाला पुत्र भी सर्वथा अवांछनीय है। ऐसे पुत्र से किसी को कोई लाभ नहीं हो सकता।

यहां आचार्य चाणक्य का कथन है कि गाय वही उत्तम होती है जो दूध देने वाली और गर्भ धारण करने वाली हो, ठीक उसी तरह पुत्र भी वही वांछनीय है जो विद्वान और माता-पिता का आज्ञाकारी हो।

विद्या धन की ऐसा धन है जो अनजाने देश (विदेश) में भी विद्वान को सच्चा सहारा देता है, मित्र बनता है। नारी का सतीत्व ही घर में उसके आदर का कारण बना रहता है।

रोगी का सच्चा मित्र उसकी औषधि होती है और मृत्यु के बाद आत्मा को सद्गति देने वाला मनुष्य का सच्चा मित्र केवल धर्म है। जीवन में धर्माचरण करने वाला व्यक्ति ही मृत्यु के बाद शान्ति और मोक्ष की प्राप्ति करता है।

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