Article : होलिकोत्सव पर चिंतन आलेख : गुलालों का गुस्सा

Article : होलिकोत्सव पर चिंतन आलेख : गुलालों का गुस्सा

Article : Thoughts on Holi Festival Article : Anger of Gulals

Article

Article : होलिका दहन के बाद गहरी नींद में सो रहा था। तभी रोने,चीखने,चिल्लाने की आवाज से मेरी नींद टूट गई। बिस्तर से उठकर मैं उस कमरे की ओर गया जहां से आवाजें आ रही थी। वहां जाकर मैंने देखा मेरी टेबल पर बाजार से खरीद कर लाए गए रंग गुलाल ही चीख चिल्ला रहे थे।वे एक दूसरे से लिपट लिपट कर अपना दुखड़ा सुना रहे थे। मैं उनकी बातें कान देकर सुनने लगा।

मैंने देखा एक सफेद रंग का गुलाल कह रहा था- भाईयों रोने चिल्लाने से कुछ नहीं होगा।आओ हम अपनी पीड़ा पर मनन करें और उसे दूर करने के लिए कुछ जतन करें। सफेद गुलाल की बात से सभी गुलाल सहमत हो गएऔर बड़ी गंभीर मुद्रा में लाल, पीला, हरा, गुलाबी, नीला रंग के गुलाल आमने सामने बैठ गए। तब सफेद गुलाल ने सवाल उठाया- भाईयों होली तो रंगों का त्योहार है। खुशियों का रंग बिखेरने की परंपरा इस पर्व की विशेषता है,पर अब ऐसा लगता नहीं। अब तो होली के दिन लाठी-गोली चलना, चाकूबाजी,धार्मिक दंगे की खबरें देश भर से आती है।

सफ़ेद गुलाल की ऐसी बातें सुनकर लाल गुलाल (Article) अपनी आंखें लाल करता हुआ उठ खड़ा हुआ और बोला-हां हां सफेद गुलाल भाई आप बिल्कुल सही कह रहे हो। लोगों ने होली को ब्यभिचारों का पर्व बना लिया है।इस पर्व पर कथनी और करनी में साफ साफ अंतर दिखाई देता है।आपसी भाईचारा बढ़ाने का पर्व तो लोग इसे कहते हैं, पर मुझे याद है बीते वर्ष केसरिया और हरा गुलाल के नाम पर भरे बाजार में दो समुदाय के लोग लड़ पड़े थे।अरे भाई, इंसान आपस में तो बंट रहे हैं। हम गुलालों को भी रंगों की आड़ में झगड़े का कारण बना रहे हैं। मुझे तो दो मुंहे इंसानों से नफ़रत हो चली है।

लाल गुलाल भाई आप सोलह फ़ीसदी सही कह रहे हो।यह कहते हुए हरा गुलाल उठ खड़ा हुलह सुबकते हुए बोला- चिकित्सालयों में हरी चादर, हरे पर्दे,और डॉक्टर नर्स के हरे जैकेट्स रोग ग्रस्त मरीजों को कितना सुकून देते हैं।बददिमाग इंसानों ने ऐसा गंदा खेल खेला है कि अब मुझे अपने हरे गुलाल होने पर शर्म आती है। हरियाली का संदेश देने वाला मैं हरा गुलाल अब अपने अस्तित्व को सुरक्षित बनाए रखने के लिए भी आशंकित हूं।

हरा गुलाल की बातें ख़त्म होते ही केसरिया गुलाल लड़खड़ाते हुए उठ खड़ा हुआ और बोला हरा गुलाल भाई आपकी तरह मुझे भी केसरिया रंग होने का दुख है।वीरता का प्रतीक मैं केसरिया गुलाल आज मानव मन में और विभिन्न धर्मों के बीच विकृति लाने का कारण बन गया हूं।किसी एक वर्ग, जाति, समुदाय का ही चहेता मुझे मान लिया गया है। पावन पर्व होली पर अब मेरा मन डरा हुआ रहता है कि कहीं दो समुदाय के बीच आपसी तनाव, लड़ाई-झगड़े का कारण मैं ना बन जाऊं।

केशरिया गुलाल की बात को आगे बढ़ाने पीला गुलाल उठ खड़ा हुआ।उसने कहा- गुलाल भाइयों, इंसानों की खुशी के लिए प्रकृति ने तरह-तरह के रंग दिए हैं ,पर रंगों की राजनीति करने वाले इंसानो ने अब रंगों को रंजिश का माध्यम बना डाला है। मुझे अपने पीलेपन पर बड़ा फक्र था। शादी विवाह, पूजा-पाठ में पीले वस्त्रों, सामग्रियों की पूछ परख होती थी। पर अब होली के पर्व में रंगों की आड़ में होते दंगों को देख देख कर लगता है कि हम गुलालों की जिंदगी ही बेरंग बदरंग हो गई है।मेरा तो कहना है कि अब वह समय आ गया है जब हम सब मिलकर इंसानों की जिंदगी से सदा सदा के लिए दूर चले जाएं।

गुलालों का गुस्सा और तर्कसम्मत बातें सुनकर मुझे पसीना आ गया। इंसानों की गलती का बोध कराने वाले गुणी गुलालों से माफ़ी मांगते हुए मैंने कहा- गुलाल भाइयों, आपका आक्रोश और क्रोध में लाल पीला होना स्वाभाविक है‌ जितनी बारीक सोच, महीन विचार आप लोगों के भीतर है शायद हम इंसानों के भीतर वह नहीं है। इसलिए मेरी विनती है आप सब हम मनुष्यों की जिंदगी से मत भागना। हमारे जीवन में खुशियों के रंग ही बिखेरते रहना।

आप सभी धीरज रखना मुझे विश्वास है रंगों की आड़ में रंजिश करने वालों की भी आंखें जरूर खुलेगीं।गुलाल भाईयों आप के रंगों में ऐसी शक्ति है,जो इंसानों के भीतर भक्ति के भाव जगा सकती है।क्रांति करके गुलाम भारत को आज़ाद करा सकती है। इसीलिए तो हमारे देश के झंडे में तीन रंगों का उपयोग हुआ है।तिरंगे की ताकत से आज भी भारत अखंड,आज़ाद भारत बना हुआ है।

मेरी बातें सुनकर गुस्से में तमतमाए (Article) गुलालों का गुस्सा कपूर की तरह हवा में विलीन हो गया। वे एक एक करके मेरे करीब आते गए और मेरे माथे पर गाल को स्पर्श कर भाईचारा की ख़ुशबू महकाते चले गए।उन सभी ने कहा- कुछ ऐसी चीज मिलाइए नफरत के तेल में।

इंसान मोहब्बत करने लगे होलसेल में।

विजय मिश्रा ‘अमित’
पूर्वअति.महाप्रबंधक (जन.) छग पावर कंपनी

JOIN OUR WHATS APP GROUP

डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *