अमित शाह को मिली सहकारिता मंत्रालय की कमान,ये है कारण…

अमित शाह को मिली सहकारिता मंत्रालय की कमान,ये है कारण…

Ministry of Cooperation

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Ministry of Co-Operation:देश में शाह उतारेंगे गुजरात मॉडल

नई दिल्ली। मोदी 2.0 में सहकारिता मंत्रालय (Ministry of Co-Operation) की कमान अमित शाह को दी गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल का यह पहला मंत्रिमंडल विस्तार है। जिसमे 12 मंत्रियों की छुट्टी करने के बाद नए 36 चेहरे को शामिल किया गया है।

बुधवार को हुए मंत्रिमंडल विस्तार में कुल 43 मंत्रियों ने शपथ लिया और आज सभी मंत्रियों ने अपना पदभार भी संभाल लिया। माना जा रहा है कि मिनिमम गवर्नमेंट और मैक्सिमम गवर्नेंस को मूर्त रूप देने ये नीति अपने गई है।

अमित शाह की कार्यक्षमता रंग लाएगी

अमित शाह (Amit Shah) को गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सहकारिता मंत्रालय (Ministry of Co-Operation) की नई जिम्मेदारी देने के पीछे कई कारण बताये जा रहे हैं। इसके पीछे देश के सहकारिता सेक्टर में जान फूंकने की रणनीति छिपी है। गृहमंत्री अमित शाह को सहकारिता सेक्टर में कार्य करने का लंबा अनुभव है। उनका सहकारिता क्षेत्र में गुजरात मॉडल इस कदर सुर्खियों में रहा है कि उन्हें राज्य में सहकारिता आंदोलन का एक समय पितामह कहा जाने लगा था। गुजरात में सहकारिता क्षेत्र में किए उनके कार्यों को आज भी याद किया जाता है। देश में सहकारी समितियों के जरिए गांव, गरीब और किसानों के कल्याण के लिए बने इस मंत्रालय के बेहद मायने हैं। कहा जा रहा है कि वर्तमान में कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालय जैसी ही इस मंत्रालय की अहमियत होगी।

भाजपा के सहकारिता संयोजक रह चुके शाह

गृहमंत्री अमित शाह भाजपा की राष्ट्रीय सहकारिता प्रकोष्ठ (सेल) के संयोजक रह चुके हैं। खास बात है कि अमित शाह (Amit Shah) मात्र 36 वर्ष की उम्र में अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक (एडीसीबी) के सबसे युवा अध्यक्ष भी रह चुके हैं। उस दौरान सिर्फ एक साल में अमित शाह ने न सिर्फ 20.28 करोड़ का बैंक का घाटा पूरा किया, बल्कि 6.60 करोड़ के लाभ में लाकर 10 प्रतिशत मुनाफे का वितरण भी किया। गुजरात में सहकारिता (Ministry of Co-Operation) सेक्टर में बेहतरीन कार्य के लिए अमित शाह को सहकारिता आन्दोलन का पितामह भी कहा जाने लगा था।

सहकारिता मंत्रालय के ये हैं काम काज

सहकारिता (Ministry of Co-Operation) दो शब्दों से मिलकर बना है। सह का अर्थ है मिलकर और कार का अर्थ है कार्य। यानी मिलकर काम करना सहकारिता है। सामूहिक आर्थिक हितों के लिए लोगों का वह आंदोलन, जो समूह बनाकर कार्य करता है, सहकारिता कहलाता है। सहकारिता समितियां, व्यक्तियों का एक समूह होती हैं।

देश में बनी सहकारी समितियों को मजबूत बनाने के लिए मोदी सरकार ने कैबिनेट विस्तार से पहले इस नए मंत्रालय का गठन किया है। जिससे ‘सहकार से समृद्धि’ की ओर बढ़ने में सहकारिता मंत्रालय (Ministry of Co-Operation) सहयोगी बने। कुछ राज्यों में इस तरह के विभाग हैं, लेकिन केंद्र स्तर पर अब तक सहकारिता सेक्टर के लिए अलग से कोई मंत्रालय नहीं था। यह मंत्रालय देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने के लिए एक अलग प्रशासनिक, कानूनी और नीतिगत ढांचा प्रदान करेगा। यह आम आदमी की भागीदारी से बनी सहकारी समितियों को जमीनी स्तर तक मजबूत बनाने में भी सहायता प्रदान करेगा। सहकारिता मंत्रालय, सहकारी समितियों के लिए ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ प्रक्रियाओं को कारगर बनाने के लिए काम करेगा।

दरअसल, देश में सहकारिता आधारित आर्थिक विकास मॉडल है, जिसमें हर सदस्य अपनी जिम्मेदारी की भावना के साथ कार्य करता है। सरकार के उच्चस्तरीय अधिकारी ने कहा, सहकारिता मंत्रालय (Ministry of Co-Operation) के गठन से कृषि व ग्रामीण क्षेत्र में समृद्धि आएगी। इसीलिए सरकार ने ‘सहकार से समृद्धि’ के स्वप्न को साकार करने के लिए यह ऐतिहासिक निर्णय लिया है। सहकारिता मंत्रालय देश के गांव, गरीब व किसानों के कल्याण और उनसे संबंधित व्यवसायों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य करेगा।

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