Amir Hashmi : छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता सेनानियों पर लिखी गई किताब 'जोहार गांधी' का जल्द होगा प्रकाशन |

Amir Hashmi : छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता सेनानियों पर लिखी गई किताब ‘जोहार गांधी’ का जल्द होगा प्रकाशन

Amir Hashmi: The book 'Johar Gandhi' written on the freedom fighters of Chhattisgarh will be published soon

Amir Hashmi

रायपुर/नवप्रदेश। Amir Hashmi : अमीर हाशमी द्वारा लिखित तत्कालीन मध्य भारत प्रांत के मौजूदा छत्तीसगढ़ राज्य के मूल स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों तथा महात्मा गांधी की इस भूमि पर की गई दो यात्राओं पर केंद्रित किताब ‘जोहार गांधी’ का विमोचन जल्द होने जा रहा हैं।

पुस्तक के लेखक अमीर हाशमी के अनुसार भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के दौरान, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 1920 और 1933 में छत्तीसगढ़ का दौरा किया था, और इस यात्रा की सम्पूर्ण इतिहास सहित और छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर केंद्रित एक किताब लिखी गई है, जिसे ‘जोहार गांधी’ नाम दिया गया हैं।

अमीर हाशमी मूल रूप से फिल्ममेकर हैं। उनके अनुसार इस पुस्तक से पहले उन्होंने लगभग तीन साल तक इस विषय में छत्तीसगढ़ राज्य के कोने-कोने में बसने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के घर जा-जा कर पहले उनके साक्षत्कार किये और एक डॉक्यूमेंट्री तैयार की और साथ ही इसे लिखने भी लगे जो अब एक पुस्तक के रूप में प्रस्तुत करने जा रहें हैं।

स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान को पुनर्जीवित किया जावेगा

अमीर हाशमी (Amir Hashmi) ने अपने ट्वीटर हेंडल @amirhashmilive से अपनी आने वाली किताब का पोस्टर लांच किया। हाशमी कहते है कि छत्तीसगढ़ राज्य के असंख्य लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था, जिनकी कहानियां समय के साथ इतिहास के पन्नों में खो गई हैं। उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के वंशजों के प्रत्यक्ष साक्षात्कारों के माध्यम से तथा अन्य आधिकारिक लिखित समाचार पत्रों, दस्तावेजों, पुस्तकों, पत्रिकाओं आदि को एकत्रित व् आंकलन करके इस पुस्तक को तथ्यात्मक रूप से प्रस्तुत किया जा रहा है, ताकि इन अमूल्य कथाओं और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के बलिदान को पुनर्जीवित किया जा सके।

महिला स्वतंत्रता सेनानियों और आदिवासियों का आंदोलन में विशेष योगदान

पुस्तक के लेखक के रूप में हाशमी ने बताया कि पहले विभिन्न किस्म के उद्द्योग धंधे नहीं होते थे, समय के उस कालखंड में कपड़ा मिलों का बोलबाला था ऐसे में महिलाओं द्वारा चरखा चलाकर अंग्रेजों को आर्थिक रूप से तोड़ने में सबसे बड़ा योगदान रहा हैं, वहीं गांधी जी के अहिंसावादी आंदोलनों से बहुत पहले मध्य भारत की इस भूमि में आदिवासियों द्वारा विद्रोह और आज़ादी की जंग पहले ही शुरू की जा चुकी थी, किन्तु हिंसा वादी आंदोलनों के ज़्यादातर नायक तोप से बांधकर शहीद कर दिए गए या कत्ल कर दिए गए।

ऐसे में अहिंसावादी आंदोलन ने सम्पूर्ण देश को एक लंबे समय तक लड़ी जा सकने वाली लड़ाई का उद्देश्य और दृष्टिकोण दिया, और तीन-चार दशकों में आर्थिक, सामाजिक, और असहयोग आंदोलन जैसे क्रांतिकारी आंदोलनों के माध्यम से हम आज़ादी के निकट पहुँच सके और सफलता हाथ लगी, और इसमें भी छत्तीसगढ़ का वो घटनाक्रम जब कंडेल सत्याग्रह में देश का पहला असहयोग आंदोलन किया गया था, जिसने सम्पूर्ण भारत को अहिंसा के मार्ग पर चलकर विजय हासिल करने की प्रेरणा दी।

तथ्यों और शोध पर आधारित हैं क़िताब

इस पुस्तक (Amir Hashmi) में इतिहास के किसी भी हिस्से के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई है, ना ही इसे किसी घृणा, द्वेष या प्रतिशोध भाव के साथ लिखा गया है। यह पूर्ण रूप से आधिकारिक और सीधे साक्षात्कार के माध्यम से मिली जानकारियों से प्राप्त तथ्यों पर आधारित है, तथा प्रकाशक द्वारा किसी भी आपत्ति अथवा त्रुटि की लिखित सूचना पर यथासंभव आगामी संस्करण में पुस्तक को सुधार सहित प्रकाशित किया जावेगा।

किताब का पहला संस्करण अंग्रेजी में है जो अमेजन प्लेटफ़ॉर्म से लांच होगा तथा यथासंभव हिन्दी तथा देश की अन्य भाषाओं में अनुवाद करके जल्द ही ऑनलाईन उपलब्ध कराया जाएगा जो विषय से रूचि रखने वालों के साथ-साथ स्कूल, महाविश्विद्यालयों, तथा शोध के विद्द्यार्थियों के लिए उपयोगी होगा।

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