संपादकीय: अति सर्वत्र वर्जते
Very taboo everywhere: लोकसभा चुनाव में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश में भाजपा की सीटें कम होने के कारणों की अभी तक समीक्षा हो रही है। यूपी की राजधानी लखनऊ में भाजपा की एक दिवसीय प्रदेश कार्यसमिति की बैठक और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की अध्यक्षता में संपन्न हुई।
जिसमें प्रदेशभर से जुटे तीन हजार से अधिक भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा कार्यकर्ताओं को बीती ताही बिसार कर आगे की सुध लेने की समझाइश दी। लोकसभा चुनाव भाजपा के प्रदर्शन को लेकर योगी आदित्यनाथ ने एक पंक्ति में ही सारी बात कह दी।
उन्होंने कहा कि अतिआत्मविश्वास नुकसानदायक होता है। सही बात यही है कि उत्तरप्रदेश में भाजपा को कम सीटें मिलने की एक बड़ी वजह भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का अतिआत्मविश्वास भी रहा है। कहा जाता है कि अति सर्वत्र वर्जते अतिआत्मविश्वास भी वर्जित माना जाता है।
उत्तरप्रदेश में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को इसी अतिआत्मविश्वास का शिकार होने की कीमत चुकानी पड़ी है। उन्होंने यह मान लिया था कि भाजपा जिसे भी टिकट दे देगी। वह इस बार प्रचंड बहुमत से जीत दर्ज करने में सफल हो जाएगा। इसी आत्मविश्वास के चलते ऐसे लोगों को भी टिकट दे दी गई।
जिनके प्रति उनके लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं के बीच असंतोष व्याप्त था। इसका ज्वलंत उदाहरण फैजाबाद लोकसभा सीट से तीसरी बार प्रत्याशी बनाए गए लल्लू सिंह हैं। उनके खिलाफ लोगों में नाराजगी थी। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने यह बड़बोलापन भी दिखाया था कि यदि भाजपा इस बार चार सौ सीटें पार कर जाएगी तो संविधान में बड़े बदलाव किए जाएंगे।
उनके इस विवादास्पद बयान को समाजवादी पार्टी ने बड़ा मुद्दा बना दिया और पूरे लोकसभा क्षेत्र में यह बात फैला दी कि यदि भाजपा जीत जाएगी तो संविधान में संशोधन कर दलितों और पिछड़े वर्ग का आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा। इस झूठ ने भाजपा का खेल बिगाड़ दिया और लल्लू सिंह को फैजाबाद सीट से हार का सामना करना पड़ गया।
अब इसे विपक्ष भाजपा की अयोध्या में हार के रूप में प्रचारित कर रहा है। गौरतलब है कि फैजाबाद से लल्लू सिंह को फिर से प्रत्याशी बनाए जाने के पक्ष मेें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी नहीं थे। किन्तु भाजपा संगठन ने लल्लू सिंह पर ही विश्वास जताया और उसे हार का सामना करना पड़ गया।
उत्तरप्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन ठीक न होने के पीछे और भी कई कारण इस समीक्षा बैठक में गिनाए गए। जिसमें एक कारण भीतरघात भी बताया गया है। यह भी सही है। दरअसल भाजपा कार्यकर्ताओं की रायशुमारी के बावजूद ऐसे लोगों को टिकट दी गई। जिनके प्रति क्षेत्र में असंतोष फैला हुआ था।
नतीजतन भाजपा कार्यकर्ता निराश होकर घर बैठ गए और कोई बड़ी बात नहीं की। इनमें से कुछ लोगों ने भीतरघात भी किया हो। बहरहाल जो हुआ सो हुआ। भाजपा को अब अपनी खामियों को दूर करने का प्रयास करना होगा क्योंकि विधानसभा की दस सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं। इसके बाद 2027 में उत्तरप्रदेश विधानसभा के चुनाव भी होने हैं।
इसलिए यह आवश्यक है कि कार्यकर्ताओं को रिचार्ज किया जाए। इस बाबत् उत्तरप्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने उक्त समीक्षा बैठक में ठीक ही कहा है कि संगठन सरकार से बड़ा होता है यह सही बात भी है संगठन किसी भी पार्टी की रीढ़ की हड्डी होती है।
संगठन की उपेक्षा करने का दुष्परिणाम पार्टी को चुनाव में भुगतना पड़ता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि अब उत्तरप्रदेश में भाजपा अपने संगठन को मजबूत बनाने पर जोर देगी तभी उसके आगे की राह आसान होगी।