Navratri के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानिए पूजन मंत्र एवं आरती |

Navratri के दूसरे दिन करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानिए पूजन मंत्र एवं आरती

Worship Maa Brahmacharini on the second day of Navratri, know the worship mantra and aarti

Navratri

Maa Brahmacharini Puja Vidhi : नवदुर्गा का दूसरा रूप मां ब्रह्मचारिणी कहलाता है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां के इसी रूप के पूजन का विधान है। ब्रह्मचारिणी मां, ब्रह्म अर्थात तपस्या का आचरण करने वाली हैं। इसलिए इन्हें तपस्चारिणी भी कहा जाता है। उनके एक हाथ में कमण्डल है तो दूसरे हाथ में अक्ष माला। मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान और तप की देवी माना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करने से भक्त को धैर्य, ज्ञान और कठोर परिश्रम करने का गुण प्राप्त होता है। विद्धार्थियों को मां ब्रह्मचारिणी का पूजन जरूर करना चाहिए। आइए जानते हैं मां ब्रह्मचारिणी के पूजन की विधि, मंत्र और आरती…..

मां ब्रह्मचारिणी की पूजन विधि –

नवरात्रि के दूसरे दिन सुबह उठकर स्नानादि कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें। इसके बाद आसन पर बैठ कर मां ब्रह्मचारिणी (Maa Brahmacharini Puja Vidhi) की पूजा करें। उन्हें फूल, अक्षत, रोली, चंदन आदि अर्पित करें। मां को दूध, दही, घृत, मधु या शर्करा से स्नान कराएं। मां ब्रह्मचारिणी को पिस्ते की मिठाई का भोग लगाएं। फिर उन्हें पान, सुपारी और लौंग चढ़ाएं। इसके बाद मां के मंत्रों का जाप और आरती करना चाहिए। श्रद्धाभाव से मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से भक्त को धैर्य और ज्ञान की प्राप्ति होती है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

मां ब्रह्मचारिणी पूजन के मंत्र –

1. या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

2. दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

3. ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी.

सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते..

4. मां ब्रह्मचारिणी का स्रोत पाठ

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।

ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।

शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥

5. मां ब्रह्मचारिणी का कवच

त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।

अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥

पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥

षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।

अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।

मां ब्रह्मचारिणी की आरती –

जय अंबे ब्रह्माचारिणी (Maa Brahmacharini Puja Vidhi) माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता।

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।

कोई भी दुख सहने न पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने।

जो तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना।

मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।

पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।

रखना लाज मेरी महतारी।

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