Navratri Kalash Sthapana: कैसे करें कलश स्थापना? जानें मुहूर्त एवं सही विधि

Navratri Kalash Sthapana: कैसे करें कलश स्थापना? जानें मुहूर्त एवं सही विधि

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Navratri Kalash Sthapana:  नवरात्रि का प्रारंभ आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से होता है। मां दुर्गा की आराधना का पावन पर्व नवरात्रि इस वर्ष 07 अक्टूबर से प्रारंभ हो रही है। प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के साथ नवरात्रि व्रत और मां दुर्गा की पूजा का संकल्प लिया जाता है। आइये जानते हैं कि नवरात्रि में कलश स्थापना या घट स्थापना की विधि क्या है? कलश स्थापना का मुहूर्त एवं सामग्री क्या है?

नवरा​​त्रि 2021 कलश स्थापना मुहूर्त

07 अक्टूबर को नवरात्रि का प्रथम दिन है। इस दिन कलश स्थापना या घटस्थापना के साथ ही मां दुर्गा की पूजा प्रारंभ होती है। 07 अक्टूबर को आप अभिजित मुहूर्त में कलश स्थापना करें, यह सर्वोत्तम मुहूर्त होता है। अभिजित मुहूर्त दिन में 11:37 बजे से दोपहर 12:23 बजे तक है। इसके अलावा आप चाहें तो प्रात:काल में 6:54 बजे से सुबह 9:14 बजे के मध्य नवरात्रि कलश स्थापना करें।

कलश स्थापना की सामग्री

नवरात्रि (Navratri Kalash Sthapana) में कलश स्थापना के लिए लाल रंग का आसन, मिट्टी का घड़ा या कलश, जौ, मिट्टी, मौली, कपूर, रोली, इलायची, लौंग, साबुत सुपारी, अक्षत्, अशोक या आम के पांच पत्ते, सिक्के, लाल चुनरी, सिंदूर, नारियल, फल-फूल, श्रृंगार पिटारी और फूलों की माला।

नवरात्रि 2021 कलश स्थापना विधि

प्रातः स्नान करके शुभ साफ़ मिट्टी के द्वारा वेदी निर्माण कर सप्तधान (जौ) छींटकर जल से भरे हुए कलश (Navratri Kalash Sthapana) में रक्षासूत्र (कलावा) बांधकर वैदिक मन्त्रों के द्वारा कलश स्थापन करना चाहिए। इसके बाद कलश में नारा, रोली, अक्षत्, पुष्प, सुपारी, पान एवं दक्षिणा डालकर पंचपल्लव रखकर उस पर पूर्णपात्र स्थापित कर जटादार जल भरे हुए नारियल को उस पर रखना चाहिए। फिर नवरात्रि के लिए नौदुर्गा का आवाहन एवं स्थापन करना चाहिए।

देवी स्तुति मंत्र:

1. सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्व शक्ति समन्विते।

भयेत्भयस्त्राहि नो देवि दुर्ग़े देवी नमोस्तुते।।

2. लक्ष्मी लज्जे महाविद्ये श्र्द्धे पुष्टिस्वधे ध्रुवे।

महारात्रि महालक्ष्मी नारायणी नमोस्तुते।।

ॐ वागिश्वरी महागौरी गणेश जननी शिवे।

विद्यां वाणिज्य बुद्धीं देहि में परमेश्वरी।।

यह नवरात्रि आठ दिन का ही है। षष्ठी तिथि की हानि होने के कारण 8 दिन का शारदीय नवरात्र शुभ नहीं माना गया है। नौ रात्रि पूर्ण होने पर ही शुद्ध नवरात्रि की शास्त्र में मान्यता बताई गई है-“ नवानां रात्रिनां समाहर:इति नवरात्र:।।”

डिस्क्लेमर

”इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।”

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