Supreme Court Orders : अंतत: इमरान खान आउट
Supreme Court Orders : पड़ौसी देश पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान जो आखिरी गेंद तक खेलने के लिए उधार खाए बैठे थे उन्हे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आउट होना ही पड़ गया। इमरान खान ने संसद भंग करवाकर विपक्ष को चारों खाने चित करने की जो चाल चली थी वह नाकाम रही। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लिया है कि पाकिस्तान में विपक्ष को सरकार बनाने का अवसर मिलना चाहिए।
प्रधानमंत्री इमरान खान को यह अधिकार नहीं है कि वे संसद को भंग कर दें और विपक्ष को देशद्रोही करार दें। सुप्रीम कोर्ट की इस फटकार के बाद अब पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने इसके अलावा अब और कोई रास्ता नहीं रह गया है कि वे विपक्ष द्वारा उनकी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का सामना करें और अविश्वास प्रस्ताव पारित होने की स्थिति में अपने पद से इस्तीफा दे ताकि बहुतम का दावा करने वाले विपक्ष को सरकार बनाने का अवसर मिल सके। गौरतलब है कि इमरान खान ने अपनी सत्ता बचाने के लिए हर पैतरा आजमाया था।
उन्होने आरोप (Supreme Court Orders) लगाया था कि उनकी सरकार को गिराने के पीछे विदेशी षडयंत्र है और विदेशों से मिलने वाले पैसों से सांसदों को खरीदा गया है। उन्होने विपक्षी सांसदों को देश का गद्दार भी कहा था। पाकिस्तान की जनता को संबोधित करते हुए उन्होने आवाम को बरगलाने की भी कोशिश की थी किन्तु उनकी कोई चाल नहीं चल पाई और पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने दूध का दूध और पानी का पानी कर के ईमरान खान ने मंसूबों पर पानी फेर दिया।
अब पाकिस्तान ने विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर किस तरह की चर्चा होती है और यह प्रस्ताव पारित होता है या नही यह देखना दिलचस्प होगा। जिस तरह से इमरान खान के साथी ही उनका साथ छोड़ चुके है उसे देखते हुए उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का पारित होना तय माना जा रहा है।
इसके बाद पाकिस्तान (Supreme Court Orders) में सत्ता की बागडोर किसके हाथों में आएगी और इसमें पाकिस्तानी सेना की क्या भूमिका होगी यह आगे चलकर पता चलेगा। जहां तक पाकिस्तान में चल रहे इस राजनीतिक घमासान का प्रश्र है तो इससे भारत का चिंतित होना स्वाभाविक है क्योंकि पाकिस्तान हमारा पड़ौसी देश है और उसके साथ भारत का छत्तीस का आंकड़ा रहा है। हालांकि वहां कोई भी प्रधानमंत्री बने सत्ता के पुत्र तो पाकिस्तानी सेना के हाथ में ही रहेंगे क्योंकि वहां सेना का ही प्रभाव है।