Virtual classes : फीस, पैसा और पढ़ाई की लड़ाई कही कोर्ट ना पंहुच जाए |

Virtual classes : फीस, पैसा और पढ़ाई की लड़ाई कही कोर्ट ना पंहुच जाए

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Virtual classes

रायपुर। प्रदेश (state) में बढ़ते कोरोना मरीजो (Corona patients growing) के बीच स्कूल शिक्षा विभाग (School Education Department) के आदेशानुसार प्रदेश में 40 उष्कृट इंग्लिश मिडियम सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली से लेकर कक्षा बारहवी तक के बच्चों को वर्चुवल क्लासेस (Virtual classes) के माध्यम से दिनांक 15 जुलाई, 2020 से पढ़ाया जाएगा।

कक्षा पहली से आठवी तक के बच्चों के साथ उनके अभिभावको को भी अनिवार्य रूप उपस्थिति होकर अपने बच्चों के साथ ऑनलाईन (Online classes) या वर्चुवल क्लासेस (Virtual classes) में पढ़ाई कराना और होमवर्क भी पूरा कराना अनिवार्य है।

ऑनलाईन क्लासेस के लिए पालको से लिखित सहमति नही

वैसे ही निजी स्कूलों के द्वारा नर्सरी से लेकर कक्षा बारहवी तक बच्चों को दिनांक 15 जून 2020 से ऑनलाईन क्लासेस के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है जबकि कई पालको का कहना है कि ऑनलाईन क्लासेस के लिए पालको से लिखित सहमति नही लिया गया और सिर्फ फीस वसूलने की नियत से ऑनलाईन क्लासेस आरंभ किया गया है।

बच्चों के ऑनलाईन पढ़ाई को नुकसान

छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने शासन से मांग की है कि मध्यप्रदेश और कर्नाटक सरकार के द्वारा नर्सरी से लेकर कक्षा पांचवी तक के बच्चों के ऑनलाईन पढ़ाई पर पूर्णता: प्रतिबंद्ध लगा दिया गया है वैसे ही प्रदेश में भी छोटे बच्चों के ऑनलाईन और वर्चुवल क्लासेस पर तत्काल प्रतिबंद्ध लगाया जाए। कई चाईड विशेषज्ञों के द्वारा भी छोटे-छोटे बच्चों के ऑनलाईन पढ़ाई को नुकसान जनक बताया गया है।

यह भी देख जा रहा है कि कई पालक जिनके एक से अधिक बच्चे किसी स्कूल में पढ़ रहे है और जिन बच्चों के माता व पिता दोनो नौकरी में है उनको ऑनलाईन या वर्चुवल क्लासेस (Virtual classes) से परेशानी हो रही है क्योंकि उनको अपना व्यापार या नौकरी छोड़कर बच्चों के साथ ऑनलाईन या वर्चुवल क्लासेस में उपस्थित होकर बच्चों को पढ़ाना और फिर होमवर्क कराना संभव नही है जबकि स्कूल फीस भी पूरा मांग रहा है।

पॉल का कहना है कि सरकार बच्चों की चिंता कम और स्कूल खोलने में ज्यादा उत्सूक दिख रही है। फीस, पैसा और पढ़ाई से बढ़कर बच्चों की जिन्दगी है। पूरी तैयारी और पूरी जिम्मेदारी तो दिखाए सरकार, अन्यथा हमे कोर्ट का दरवाजा खडखडाना पड़ेगा।

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