Russia Ukraine Drone Attack : 117 ड्रोन, 4000 किमी की घुसपैठ…क्या रूस की जमीनी कमजोरी खोल रहे यूक्रेन के हमले…?”

मास्को/कीव। Russia Ukraine Drone Attack : एक ऐसा हमला जिसने रूस की रणनीतिक परतों को हिला कर रख दिया — 1 जून को यूक्रेन ने रूस पर अपने अब तक के सबसे बड़े ड्रोन ऑपरेशन “स्पाइडर वेब” को अंजाम दिया। 5 एयरबेस, 40 से ज्यादा फाइटर जेट, और रूस की प्रतिष्ठा को गहरा झटका। लेकिन असली सवाल ये है कि एस-400 जैसे अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम होने के बावजूद रूस क्यों नाकाम रहा?
सैन्य विश्लेषक लेफ्टिनेंट जनरल विष्णु चतुर्वेदी (सेवानिवृत्त) ने इस पूरे हमले का तकनीकी विश्लेषण करते हुए इसे “इंटेलिजेंस और लो लेवल डिफेंस नेटवर्क की विफलता” करार दिया है — न कि एस-400 की कमजोरी।
कहां और कैसे किया यूक्रेन ने हमला?
बेलाया, ड्यागिलेवो, इवानोवो सेवर्नी, ओलेन्या, और यूक्रेनका एयरबेस पर 117 ड्रोन से अटैक
ड्रोन लांचिंग रूस के अंदर से — छिपे हुए कंटेनर ट्रकों से की (Russia Ukraine Drone Attack)गई
हमला इतनी नजदीक से किया गया कि रूस की रडार निगरानी को रिएक्शन टाइम ही नहीं मिला
एस-400 क्यों नहीं कर पाया कुछ?
एस-400 की डिज़ाइन लॉन्ग-रेंज, हाई-एल्टीट्यूड टारगेट्स को रोकने के लिए है
इस हमले में इस्तेमाल हुए ड्रोन लो-लेवल, शॉर्ट-रेंज थे
चूंकि ड्रोन रूस के अंदर से लॉन्च हुए, सिस्टम को पहचानने और प्रतिक्रिया देने का समय नहीं मिला
एस-400 फेल नहीं हुआ, बल्कि यह इसके कर्तव्य क्षेत्र के बाहर का हमला था
असल में रूस से कहां हुई चूक?
इंटेलिजेंस फेल्योर: रूस को यह जानकारी तक नहीं थी कि ड्रोन उसके ही अंदर छिपाए जा चुके हैं
यूक्रेन की योजना डेढ़ साल पहले बनाई गई थी, और कजाकिस्तान से ड्रोन लाकर चुपचाप तैनात किए (Russia Ukraine Drone Attack)गए
सपोर्टिंग डिफेंस सिस्टम की कमी — भारत की तरह बहुस्तरीय सुरक्षा कवच रूस ने नहीं अपनाया
अब क्या होगा? रूस की प्रतिक्रिया तय
लेफ्टिनेंट जनरल चतुर्वेदी के अनुसार रूस इस हमले को “आतंकी कार्रवाई” मानता है और इसका जवाब कीव, सूमी, व अन्य रणनीतिक ठिकानों पर बड़े हमलों से (Russia Ukraine Drone Attack)देगा। यह हमला यूक्रेन के लिए जीत नहीं, बल्कि आगामी संकट की शुरुआत हो सकता है।
क्या S-400 सच में कमजोर हो रहा है?
2023-24 में यूक्रेन ने 2-3 S-400 सिस्टम्स को ध्वस्त किया| विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सिस्टम की कमजोरी नहीं, बल्कि गलत तैनाती, कम प्रशिक्षित ऑपरेटर और सपोर्ट की कमी का नतीजा हो सकता है