National tribal dance festival raipur: कोलाट और कोमकोया नृत्य ने किया मंत्रमुग्ध

National tribal dance festival raipur: कोलाट और कोमकोया नृत्य ने किया मंत्रमुग्ध

CM Bhupesh reviews the preparations for the National Tribal Dance Festival-Rajyotsava

Tribal Fest 2021

आंध्रप्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, केरल, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के कलाकारों ने दिखाई संस्कृति की झलक

रायपुर/नवप्रदेश।राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महाेत्सव (national tribal dance festival raipur) में शनिवार को कोलाट और कोमकाया नृत्य (kolat and komkoya dance)ने मंत्रमुग्ध कर दिया। कर्नाटक के वनांचल क्षेत्रों में फसल कटाई के समय सामूहिक कोलाट नृत्य किया जाता है।

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रायपुर (raipur) के साइंस कालेज मैदान में आयोजित इस महोत्सव (national tribal dance festival raipur) में  पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे इन लोक कलाकारों की प्रस्तुति देखते ही बन रही थी। लोकभाषा में गायन और संगीत ने कोलाट (kolat dance) नृत्य में नया रंग भर दिया।

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कोलाट kolat नृत्य की प्रस्तुति गुजरात की डांडिया नृत्य के समान थी। डांडिया के मुकाबले इसमें गति कम थी, लेकिन कदमों का लय और संयोजन इसे अलग स्तर दे रहा था।

मांदर की थाप पर हुआ कोमकोया नृत्य

रायपुर के साइंस कालेज मैदान में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में ‘शनिवार को आंध्रप्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, केरल, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी। आंध्रप्रदेश का कोमकोया नृत्य (komkoya dance) मांदर की थाप पर किया गया।

पुरुषों और महिलाओं द्वारा प्रस्तुत यह नृत्य वैवाहिक संस्कार और रीति-रिवाजों पर आधारित था। परम्परागत रंग-बिरंगे वस्त्रों में सजे लोक कलाकारों ने बायसन हार्न पहनकर जब थिरकना शुरू किया, तब उनकी प्रस्तुति देखते ही बनती थी। इस तरह कोलाट व कोमकोया (kolat and komkoya dance) डांस ने समां बांध दिया।

आंध्र प्रदेश के दल ने पेश किए तीन नृत्य

आंध्रप्रदेश से आए एक अन्य नर्तक दल ने पारंपरिक वेशभूषा पहनकर वाद्ययंत्रों की धुन पर कल्चिरा नृत्य, मयूर ढिमशा नृत्य और डफला नृत्य की प्रस्तुति दी। समारोह में मध्यप्रदेश का बैगानी कर्मा नृत्य, अरूणाचल प्रदेश का पोनू नृत्य और केरल के नर्तक दलों ने नाटक शैली में वाद्ययंत्रों की धुन में एकलय एवं सूरताल के साथ गीत-नृत्य प्रस्तुत दी।

मयूर ढिमसा में दिखे चटक परिधान

मयूर ढिमशा नृत्य में लोक कलाकारों ने पारंपरिक वादयंत्रों के साथ चटक परिधानों में प्रस्तुति दी। यह नृत्य फसल कटाई के समय किया जाता है। समारोह में मध्यप्रदेश के शैला नृत्य, छत्तीसगढ़ के हूलकी नृत्य की प्रस्तृति भी दी गई।

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